नई दिल्ली : कोलकाता में 1962 में हुए राष्ट्रीय खेलों में विख्यात धावक मिल्खा सिंह को हराकर स्वर्ण पदक जीतने वाले मक्खन सिंह के परिवार की खराब हालत का संज्ञान लेते हुए पेट्रोलियम मंत्री ने आज उनके परिवार के लिये 5 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की.
मोइली ने बयान में कहा कि उन्होंने पेट्रोलियम खेल संवर्धन बोर्ड (पीएसपीबी) से इस खिलाड़ी के परिवार के लिये तुरंत राहत देने के लिये कहा है. पीएसपीबी ने मक्खन सिंह के परिवार को पांच लाख रुपये देने पर सहमति दी. उन्होंने कहा, ‘‘अगले हफ्ते नई दिल्ली में उन्हें चेक दिया जायेगा.’’ मक्खन सिंह ने 1959 से लेकर 1962 तक सभी राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लिया और उनमें 12 स्वर्ण, तीन रजत तथा एक कांस्य पदक जीता.
वह भारतीय सेना में सूबेदार थे और 1972 में रिटायर हुए. बाद में एक दुर्घटना में उनकी एक टांग चली गई. 2002 में जब उनका देहांत हुआ उस समय उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब थी.
इससे पहले लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज द्वारा सदन में शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाए जाने पर संसदीय कार्य मंत्री कमलनाथ ने कहा, ‘‘पेट्रोलियम मंत्री ने मुझे बताया कि उनका मंत्रलय मक्खन सिंह के परिवार की मदद करने की पहल कर रहा है. सरकार इस संबंध में नीति बनाने में लगी है कि ऐसे खिलाड़ियों के परिवारों की किस तरह से मदद की जा सके.’’ उन्होंने कहा कि सरकार इस तरह की नीति बनाने में भी लगी है कि खेलों को किस तरह से प्रोत्साहित किया जाए.
सुषमा ने यह मामला उठाते हुए जाने माने एथलीट दिवंगत मक्खन सिंह के परिवार को सरकार से मदद दिलाने और उत्कृष्ठ खिलाड़ियों एवं खेल को बढ़ावा देने के लिए विशिष्ट नीति बनाने की मांग की.
सुषमा ने कहा कि कल उन्होंने ‘भाग मिल्खा भाग’ फिल्म देखी और उन्हें आभास हुआ कि खेल की इस उंचाई तक पहुंचने के लिए कितनी साधना करनी पड़ती है. लेकिन इसके बाद एक टेलीविजन चैनल पर उन्हें मिल्खा सिंह को हराने वाले एथलीट मक्खन सिंह के परिवार से जुड़ी पीड़ादायक खबर देखने को मिली.
उन्होंने कहा, ‘‘मक्खन सिंह की विधवा कह रही थी कि उनके पास खाने के लिए रोटी नहीं है और वह अपने पति को मिले पदकों को लोगों से खरीदने की गुहार कर रही थीं ताकि उनका घर चल सके.’’ सुषमा ने कहा, ‘‘ मक्खन सिंह की विधवा कह रही थीं कि उनके पति ने अपने बच्चों से कहा था कि वे खिलाड़ी नहीं बनें क्योंकि खेल ने उन्हें कुछ नहीं दिया. उनके परिवार का अब कोई खेल से जुड़ा नहीं है.’’
विपक्ष की नेता ने कहा, ‘‘ मैं सरकार और खेल मंत्रलय से आग्रह करना चाहूंगी कि तत्काल उस परिवार से सम्पर्क करे. और ऐसे खिलाड़ियों एवं खेलों को प्रोत्साहित करने के लिए नीति बनाए. ’’ उन्होंने कहा कि सरकार पुरस्कार विजेताओं को श्रेणीबद्ध करके तय करे कि किसे कितनी पेंशन देनी है और क्या नौकरी देनी है.
सुषमा ने कहा, ‘‘इतना बड़ा देश है और अगर हम अपने नायकों को नहीं संभाल सकते तब हम सब को शर्म आनी चाहिए. ऐसी घटनाएं होंगी तो कोई भी खेल में नहीं आयेगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ यह दलगत राजनीति का प्रश्न नहीं है. पूरा सदन इससे अपने को जोड़े.’’ सदन में सभी सदस्यों ने मेज थपथपाकर इसका समर्थन किया.