झारखंड की दीपिका ने दिलाया स्वर्ण
महिला रिकर्व टीम का कमाल * तीरंदाजी विश्व कप का चौथा चरण * भारतीय महिलाओं ने कोरियाई टीम को 219-215 से हराया * सेमीफाइनल में भारत ने डेनमार्क को हराया था * दीपिका कुमारी वर्ल्डकप महिला एकल के लिए क्वालीफाई किया नयी दिल्ली : विश्व की नंबर तीन तीरंदाज झारखंड की दीपिका कुमारी की अगुवाई […]
महिला रिकर्व टीम का कमाल
* तीरंदाजी विश्व कप का चौथा चरण
* भारतीय महिलाओं ने कोरियाई टीम को 219-215 से हराया
* सेमीफाइनल में भारत ने डेनमार्क को हराया था
* दीपिका कुमारी वर्ल्डकप महिला एकल के लिए क्वालीफाई किया
नयी दिल्ली : विश्व की नंबर तीन तीरंदाज झारखंड की दीपिका कुमारी की अगुवाई में भारतीय महिला रिकर्व तीरंदाजी टीम ने पोलैंड के रोक्लॉ में आयोजित विश्व कप तीरंदाजी के चौथे चरण का स्वर्ण पदक जीत लिया.भारतीय महिला रिकर्व टीम में झारखंड की दीपिका कुमारी के अलावा लैशराम बोंबायला देवे और रिमिल बिरुली शामिल हैं. विश्व कप में भारतीय टीम की यह लगातार दूसरी जीत है. इससे पहले भारतीय महिलाओं ने कोलंबिया में आयोजित विश्व कप की तीसरे चरण में स्वर्ण जीता था.
रविवार को भारतीय टीम ने विश्व की नंबर एक टीम कोरिया को 219-215 अंक से पराजित किया. कोरिया टीम में शामिल यून ओक ही, की बो बे और जू ह्यून जंग ने पूरे टूर्नामेंट में 222 से कम अंक नहीं बनाया था, लेकिन फाइनल में वे भारतीय टीम के मुकाबले 215 अंक ही बना सके. भारतीय टीम ने इससे पहले प्रतियोगिता में इंडोनेशिया, मेक्सिको और डेनमार्क को हरा कर फाइनल में प्रवेश किया था.
जमशेदपुर की रीमिल ने भी दिखाया दम जमशेदपुर : पोलैंड में आयोजित विश्वकप तीरंदाजी प्रतियोगिता के चौथे चरण के महिला रिकर्व टीम इवेंट में स्वर्ण जीतने वाली भारतीय टीम में जमशेदपुर की रीमिल बिरुली भी शामिल है. कदमा निवासी रीमिल बिरूली ने सन 2003 में डीबीएमएस (हिंदी) स्कूल में आयोजित आर्चरी शिविर में पहली बार भाग लिया. उस वक्त वहां के कोच हरेंद्र सिंह थे. इसके बाद रीमिल ने कइ नेशनल में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. रीमिल 2008-09 में टाटा आर्चरी एकेडमी की कैडेट भी रही. द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित पूर्णिमा महतो और धमेंद्र तिवारी ने भी रीमिल को आर्चरी के गुण सिखाये. रीमिल के आर्चरी कैरियर में कुछ उतार चढ़ाव भी आया.जब वह पूरी तरह से असमंजस में थी की वह किस राउंड में खेले. उन्होंने सबसे पहले इंडियन राउंड से शुरुआत की, फिर रिकर्व में भी हाथ आजमाया इसके बाद उन्होंने कंपाउंड में भी अपनी किस्मत आजमायी. लेकिन कोचों ने उनको रिकर्व के लिए सही खिलाड़ी समझा और उनको नियमित रुप से रिकर्व में अभ्यास करने को कहा. रीमिल कोच को सही साबित करते हुए विश्व स्तरीय तीरंदाज बनी. बिलासपुर रेलवे में कार्यरत रीमिल बिरुली के पिता टाटा स्टील में कार्यरत थे और कदमा इसीसी फ्लैट में रहते थे. उनके पिता विश्वनाथ बिरुली ने टाटा स्टील से इएसएस ले लिया.
रीमिल भले ही 2010 के कामनवेल्थ में शिरकत नहीकर सकी हो लेकिन इसके बाद जमशेदपुर की इस खिलाड़ी ने जिस तरह से कामनवेल्थ (2010) की गोल्ड मेडलिस्ट दीपिका को टक्कर दी है. इसको देखते हुए रीमिल से भारत की ओलिंपिक में उम्मीद बढ़ गयी है.