इपोह (मलेशिया) : भारत के पी आर श्रीजेश को अभी विश्व के सर्वश्रेष्ठ गोलकीपरों में से एक माना जाता है लेकिन केरल के इस खिलाड़ी का मानना है कि अनुभवी बैकअप गोलकीपर नहीं होना टीम के लिये अगले साल होने वाले रियो ओलंपिक से पहले बहुत बड़ी चिंता है.
श्रीजेश ने 24वें सुल्तान अजलन शाह कप हॉकी टूर्नामेंट के बेहतरीन गोलकीपिंग के नजारा पेश किया जिससे भारत कांस्य पदक जीतने में सफल रहा. पेनल्टी शूटआउट में दो बचाव करने वाले श्रीजेश ने कहा कि भारत के बैकअप गोलकीपरों हरजोत सिंह और सुशांत टिर्की को भविष्य में अधिक अंतरराष्ट्रीय अनुभव दिलाने की जरुरत है ताकि वे जरुरत पडने पर अपनी भूमिका अच्छी तरह से निभा सकें.
भारत की कोरिया पर 4-1 से जीत में मैन आफ द मैच चुने गये श्रीजेश ने पीटीआई से कहा, बैकअप गोलकीपर की अनुपस्थिति में हमारे लिये हमेशा चिंता का विषय रहा है. हरजोत और सुशांत हैं और वे अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहे हैं लेकिन उन्हें अनुभव हासिल करने के लिये पर्याप्त अवसर नहीं मिल रहे हैं. उन्हें टर्फ पर समय बिताने का अधिक समय नहीं मिला क्योंकि आपने देखा होगा कि यह हमारे लिये सभी मैच महत्वपूर्ण थे.
श्रीजेश ने 2006 में भारत की तरफ से पदार्पण किया लेकिन वह 2011 के बाद ही टीम के नियमित सदस्य बन पाये थे. उन्होंने कहा, हरजोत को कनाडा के खिलाफ कुछ समय खेलने का मौका मिला था. भविष्य में जब हम टेस्ट मैच खेलें तो उन्हें अधिक मौके दिये जाने की जरुरत है क्योंकि एक गोलकीपर अनुभव हासिल करके ही बेहतर बन सकता है.
श्रीजेश ने कहा कि वह भारत के लिये गोलकीपरों का एक बड़ी खेप तैयार करना चाहते हैं. उनकी योजना संन्यास लेने के बाद कोंचिंग करने की है. अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में उन्होंने कहा, मैं संन्यास लेने के बाद क्या करना चाहूंगा. मैं हालैंड या दक्षिण अफ्रीका जाकर डेव स्टेनीफोर्थ या मार्टिन द्रीवर के साथ छह महीने से लेकर एक साल तक काम करना चाहूंगा और फिर वापस आकर गोलकीपिंग अकादमी की शुरुआत करुंगा.
श्रीजेश से पूछा गया कि विश्व में सर्वश्रेष्ठ गोलकीपर बनने के लिये क्या करना चाहिए, उन्होंने कहा, सही प्रशिक्षण. उचित प्रशिक्षण का कोई विकल्प नहीं है. डेव स्टेनीफोर्थ और मार्टिन के साथ बिताये गये समय ने मुझे पूरी तरह से अलग गोलकीपर बना दिया. उन्होंने मुझसे हमेशा कहा कि सामान्य बातों पर गौर करो और इससे गोलकीपर पर से दबाव हट जाता है. इससे मनोबल भी बढता है. उन्होंने कहा, दूसरी चीज है जिम्मेदारी.
सीनियर खिलाड़ी होने के कारण मेरे पर जिम्मेदारी है. मुझ पर महत्वपूर्ण मौकों पर टीम को संकट से बचाने की जिम्मेदारी है और यह अनुभव हासिल करने से आती है. मैदान पर श्रीजेश मजाकिया व्यक्ति है. वह हमेशा अपने साथियों के साथ मजाक करते रहते हैं लेकिन जब वह गोलकीपिंग करते हैं तो पूरी तरह से भिन्न इंसान बन जाते हैं.
उन्होंने कहा, मैं मैदान पर हमेशा अपनी भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश करता हूं. मैं शांतचित बने रहने और मैच पर ध्यान लगाने की कोशिश करता हूं. मेरा मानना है कि गोलकीपर एक परफेक्ट व्यक्ति होता है जिसकी गलती हमेशा दिख जाती है. श्रीजेश ने कहा, यह पूरी तरह से खेल को चाहने और उसका लुत्फ लेने से जुडा है. आप अपने खेल का आनंद लो. यदि आप ऐसा करते तो अच्छा प्रदर्शन भी करोगे.