नयी दिल्ली : मुश्किलों का सामना कर रही भारतीय मुक्केबाजी में एक नया प्रशासनिक भूचाल आया जब बॉक्सिंग इंडिया के अध्यक्ष संदीप जाजोदिया के खिलाफ यहां आम सभा की विशेष बैठक में भारी बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पास हो गया. जाजोदिया ने हालांकि इस कदम को गैरकानूनी करार दिया है.
जाजोदिया बैठक में नहीं आए लेकिन इस बैठक के लिए आम सभा के 64 सदस्यों में से 57 पहुंचे और उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में 55-2 से मतदान किया. पश्चिम बंगाल के प्रतिनिधि असित बनर्जी ने कहा, आम सभा इस मुद्दे पर लगभग एकजुट थी.
वह क्या कर सकते हैं यह दिखाने के लिए हमने उन्हें पर्याप्त समय दिया था लेकिन हाल में जो हुआ और जय कोवली (कल रात इस्तीफा देने वाले बॉक्सिंग इंडिया के महासचिव) के साथ कहासुनी ने दर्शाया कि हमने उन पर विश्वास करके गलती की.
बनर्जी ने कहा, अब आगे बढने का यही तरीका है कि हम दैनिक कार्यों के लिए अंतरिम प्रमुख बनाए और 45 से 60 दिन के अंदर नये चुनाव हों. हम अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ (एआईबीए) को एक या दो दिन में पत्र लिखेंगे और जरुरी प्रक्रिया अपनाई जाएगी. अंतरिम अध्यक्ष के लिए मौजूदा उपाध्यक्ष मिरेन पाल को सर्वसम्मत उम्मीदवार माना जा रहा है. इस बीच जाजोदिया ने बयान जारी करके बैठक को ही गैरकानूनी करार दिया.
उन्होंने कहा, तीन मई 2015 को बुलाई गई आम सभा की यह विशेष बैठक गैरकानूनी है. इसके बावजूद अगर आप बैठक करते हैं तो आप इसे अपनी जिम्मेदारी और जोखिम पर करेंगे. जाजोदिया ने कहा कि भारतीय ओलंपिक संघ द्वारा संचालित राष्ट्रीय खेलों में हिस्सा लेकर राज्य संघ पहले ही सदस्यों के रुप में डिस्क्वालीफाई हो चुके हैं. पूर्ववर्ती भारतीय एमेच्योर मुक्केबाजी महासंघ (आईएबीएफ) के पूर्व अध्यक्ष अभय सिंह चौटाला भी बैठक स्थल पर मौजूद थे लेकिन अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने कार्रवाई में हिस्सा नहीं लिया.
चौटाला ने हालांकि बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि मौजूदा अधिकारी अपने उपर जताए भरोसे पर खरा उतरने में विफल रहे. उन्होंने कहा, मुझे नहीं लगता कि इस बैठक को गैरकानूनी करार देना उचित होगा क्योंकि इन्हीं लोगों ने जाजोदिया को चुना था. इनके अपने मुद्दे हैं जो तर्कसंगत है और उन्होंने यह कदम उठाया क्योंकि उनकी शिकायतों को नहीं सुना गया. जाजोदिया ने आईओए पर निशाना साधते हुए कहा कि संस्था ने बॉक्सिंग इंडिया को मान्यता नहीं देकर और एआईबीए द्वारा बर्खास्त आईएबीएफ को मान्यता जारी रखकर संदिग्ध भूमिका निभाई.
उन्होंने कहा, एआईबीए के बॉक्सिंग इंडिया को जरुरी मान्यता देने के बावजूद भारतीय ओलंपिक संघ ने जानबूझकर बाक्सिंग इंडिया को मान्यता नहीं दी और मुक्केबाजी के लिए खुद बनाई तदर्थ समिति को भंग नहीं किया. एआईबीए के आईओए को तदर्थ समिति भंग करने का स्पष्ट निर्देश देने के बावजूद ऐसा किया गया.