रांची: रांची में शनिवार से होनेवाली नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारी पूरी कर ली गयी है. इसका औपचारिक उदघाटन अपराह्न् तीन बजे विकास आयुक्त एके सरकार करेंगे, जबकि स्पर्धाएं सुबह छह बजे शुरू हो जायेंगी. झारखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन (जेएए) के तत्वावधान में 10 सितंबर तक चलनेवाली चैंपियनशिप के पहले दिन शनिवार को आठ स्वर्ण पदक दावं पर होंगे. चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए 24 राज्यों और छह संस्थानों की टीमें रांची पहुंच गयी हैं. चैंपियनशिप में देशभर के 1031 एथलीट भाग ले रहे हैं. इन एथलीटों में 100 से अधिक स्टार एथलीट होंगे, जिन्होंने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश के लिए पदक हासिल किया है.
क्वालीफाइंग चैंपियनशिप
अगले वर्ष होनेवाले कॉमनवेल्थ गेम्स और एशियन गेम्स के लिए इसी चैंपियनशिप से भारतीय टीम का चयन किया जायेगा. इस वर्ष की यह आखिरी सबसे बड़ी चैंपियनशिप है. इसमें भाग लेनेवाले एथलीटों के लिए यह क्वालीफाइंग चैंपियनशिप होगी.
सबसे बड़ा दल रेलवे का
चैंपियनशिप में भाग लेनेवाली रेलवे की टीम में सबसे अधिक 117 एथलीट शामिल हैं. दूसरी सबसे बड़ी टीम पुलिस की है, जिसमें 93 एथलीट हैं. उत्तरप्रदेश के दल में 67 एथलीट हैं. वहीं मेजबान झारखंड की टीम में 52 एथलीट शामिल हैं. सबसे छोटी टीम ओड़िशा की है, जिसमें पांच एथलीट शामिल हैं. सभी खिलाड़ियों के रहने-खाने का इंतजाम खेल गांवा स्थित क्वार्टरों में किया गया है. वहीं कोचों और मैनेजरों को वीवीआइपी गेस्ट हाउस और होटलों में ठहराया गया है.
एथलीटों ने बहाया पसीना
चैंपियनशिप से एक दिन पूर्व शुक्रवार को चैंपियनशिप में भाग लेने पहुंचे एथलीटों ने जम कर पसीना बहाया. उड़नपरी पीटी की देखरेख में टिंटू लुका और उनकी अकादमी की अन्य एथलीटों ने अभ्यास किया. अभ्यास के बाद एथलीटों ने मेगा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स स्थित अन्य स्टेडियम भी देखे और उनकी जम कर तारीफ की. एथलीटों ने कहा कि यह देश का पहला ऐसा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स है, जहां एक साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर के इतने स्टेडियम हैं.
सम्मान समारोह कल
चैंपियनशिप में शामिल होनेवाले अंतरराष्ट्रीय पदक विजेता एथलीटों को झारखंड एथलेटिक्स एसोसिएशन सम्मानित करेगा. उनके सम्मान में आठ सितंबर को सम्मान समारोह का आयोजन किया गया है. इनके अलावा समारोह में वैसे एथलीट भी सम्मानित होंगे, जिनका हालिया प्रदर्शन शानदार रहा है. चैंपियनशिप से एक दिन पहले शुक्रवार को टीम मैनेजरों और तकनीकी अधिकारियों की बैठक हुई. बैठक में चैंपियनशिप के दौरान समय का विशेष ध्यान रखने पर जोर दिया गया. बैठक में भारतीय एथलेटिक्स टीम के चीफ कोच बहादुर सिंह चौहान भी मौजूद थे.
पूरे एशिया में नहीं है मेरा सानी : सुधा सिंह
रांची: ‘एथलेटिक्स की दुनिया में 3000 मीटर स्टीपल चेज प्रतिस्पर्धा में देश ही नहीं, पूरे एशिया महादेश में मेरा कोई सानी नहीं है. समान रूप से टक्कर देनेवाला कोई जोड़ीदार नहीं होने की वजह से इस खेल में टाइमिंग कवर करने में कठिनाई होती है. यही वजह है कि मैं हाल ही में मॉस्को में आयोजित वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में मेडल हासिल नहीं कर पायी यह मलाल रहेगा.’ यह कहना है युवा महिला एथलीट सुधा सिंह का.
उत्तर प्रदेश के रायबरेली की रहनेवाली 27 वर्षीय सुधा सिंह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई रिकॉर्ड भी कायम किये हैं. 2009 में चीन के ग्वांग्झू में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप से अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत करनेवाली सुधा इन दिनों रांची में शनिवार से आयोजित होनेवाली नेशनल ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लेने के लिए आयी हुई हैं. यह चैंपियनशिप उनके लिए सिर्फ एक प्रैक्टिस सेशन के रूप में ही मायने रखता है. उद्देश्य इसमें भाग लेकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड को आगे बढ़ाना है. उनका असली निशाना 2016 में आयोजित होनेवाले ओलिंपिक गेम्स और वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप है.उन्हें इस बात का मलाल है कि उनके ही देश में उन्हें कोई टक्कर देनेवाला नहीं है. भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) की ओर से उन्हें अच्छी ट्रेनिंग की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं. बेंगलुरु के नेशनल कैंप में रहने की सुविधा उपलब्ध है.
बावजूद इसके वह विश्व में अंडर-10 में बने रहने के बाद भी देश को गोल्ड मेडल दिलाने में कामयाब नहीं हो पा रही हैं. उनका कहना है कि भले ही हाल फिलहाल ज्यादा कामयाबी नहीं मिली, पर आनेवाले समय में वह बेहतर नतीजे देने की कोशिश करेंगी. इसी साल जुलाई में पुणो में आयोजित एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल कीं. दूसरे स्थान पर रहीं. वर्ष 2010 में दिल्ली में के राष्ट्रमंडल खेल और एशियन गेम्स, 2011 में जापान की एशियन एथलेटिक्स चैंपियनशिप, 2012 का लंदन ओलिंपिक और 2013 में एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप व मॉस्को के वर्ल्ड चैंपियनशिप में उन्होंने भाग लिया. इन सबमें उन्होंने वर्ष 2012 के लंदन ओलिंपिक के दौरान विश्व रिकॉर्ड भी कायम किया और 3000 मीटर स्टीपल चेज प्रतिस्पर्धा को 9:48:86 सेकेंड में तय करने का रिकॉर्ड बनायीं. इसमें वह विश्व में दूसरे स्थान रहीं. उनके पहले रूस की धाविका है, जो इस समय प्रैक्टिस में नहीं है. उसने 8:58 सेकेंड का रिकॉर्ड कायम किया है, जिसे तोड़ पाना अब खुद उसके लिए भी संभव नहीं है.
सुधा कहती हैं कि यदि मैं 3000 मीटर स्टीपल चेज की प्रतिस्पर्धा को वाटरचैंप और हैडल के साथ 9:00 मिनट में तय कर देती हूं, तो किसी भी चैंपियनशिप में गोल्ड हासिल करने में सक्षम हूं. उनका कहना है कि इसके लिए बराबरी के जोड़ीदार के साथ कम से कम पांच साल तक प्रैक्टिस होना जरूरी है. फिलहाल वह अकेले ही प्रैक्टिस कर रही हैं. हालांकि साइ ने उन्हें जेएस भाटिया के संरक्षण में ट्रेनिंग की व्यवस्था की है, लेकिन यह व्यवस्था नाकाफी दिखाई देती है. भाटिया के पहले विदेशी कोच डॉ निकोलाई के संरक्षण में ट्रेनिंग ले रही थीं. सुधा कहती हैं कि वह रांची 2016 ओलिंपिक की तैयारी को लेकर ही आयी हैं और यहां के ट्रैक पर दौड़ना उन्हें अच्छा लगेगा.