भारत में सभी खेलों के साथ समान व्यवहार नहीं होता : आडवाणी

नयी दिल्ली : बारह बार के विश्व चैम्पियन क्यू खिलाड़ी पंकज आडवाणी का मानना है कि ओलंपिक पदक उम्मीदों के लिये सरकारी टीओपी (टारगेट ओलंपिक पोडियम) योजना से साबित हो गया है कि देश में खिलाडियों में कितना भेदभाव किया जाता है. स्नूकर और बिलियर्ड्स में कई खिताब जीत चुके आडवाणी ने कहा कि सभी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 11, 2015 4:44 PM

नयी दिल्ली : बारह बार के विश्व चैम्पियन क्यू खिलाड़ी पंकज आडवाणी का मानना है कि ओलंपिक पदक उम्मीदों के लिये सरकारी टीओपी (टारगेट ओलंपिक पोडियम) योजना से साबित हो गया है कि देश में खिलाडियों में कितना भेदभाव किया जाता है. स्नूकर और बिलियर्ड्स में कई खिताब जीत चुके आडवाणी ने कहा कि सभी खेलों के साथ समान व्यवहार करने पर ही भारत विश्व खेलों में अपनी स्थिति सुधार सकता है.

उन्होंने कहा , ओलंपिक, एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों को लेकर जुनून समझ से परे हैं. ये बडे आयोजन है लेकिन चूंकि चार साल में सिर्फ एक बार होने का यह मतलब नहीं कि खेल में यही सब कुछ है.

आडवाणी ने कहा , यदि आप खेलों और खिलाडियों की मदद करना चाहते हैं तो टूर्नामेंट आधारित नीति नहीं बनानी चाहिये. सरकार टीओपी के तहत रियो ओलंपिक की तैयारी में 75 खिलाडियों की मदद करेगी.

आडवाणी ने कहा , हमारे पास हर खेल में विश्व स्तरीय खिलाड़ी हैं. खेलों का स्तर बेहतर हुआ है. नई पीढी खेलों को नये स्तर तक ले जाने में सक्षम है. हमें इस पर फोकस करना चाहिये और हर खेल की मदद करनी चाहिये.

उन्होंने कहा , मैं इसलिये यह नहीं कह रहा हूं क्योंकि क्यू खेल टीओपी का हिस्सा नहीं है. यह अच्छी बात है कि ओलंपिक जा रहे खिलाडियों को मदद मिल रही है. ओलंपिक पदक जीतना अच्छा है लेकिन ओलंपिक, एशियाई चैम्पियनशिप, विश्व चैम्पियनशिप सभी में आप जीतने के लिये मेहनत करते हैं.

खेलों में भेदभाव नहीं करना चाहिये. केरल स्थित साइ सेंटर में हाल ही में हुई त्रासदी के बारे में आडवाणी ने कहा , जब हम खेल नीति बनाते हैं तो फोकस खिलाडियों पर होना चाहिये. केरल में साइ सेंटर पर चार युवा महिला एथलीटों ने खुदकुशी का प्रयास किया जिनमें से एक की मौत हो गई.

आडवाणी ने कहा , यदि फोकस खिलाडियों पर नहीं होता तो यह सब होगा ही. हमारे देश में खेल नीति का फेाकस खिलाडियों पर होता ही नहीं है.

उन्होंने कहा , मेरा मानना है कि प्रशासकों को यह समझना होगा कि खिलाड़ी किन हालात से गुजरते हैं. मैं यह नहीं कहता कि हालात बहुत खराब है लेकिन अगर आप खिलाडियों का विकास चाहते हैं तो वह सब करना होगा जिससे उनका फोकस सिर्फ खेल पर रहे.

Next Article

Exit mobile version