नयी दिल्ली : भारतीय तीरंदाजी टीम अमेरिका में होने वाली विश्व युवा तीरंदाजी चैम्पियनशिप से आज हट गई जब उसके 31 सदस्यीय दल के 21 सदस्यों को इस अंदेशे के कारण वीजा देने से इनकार कर दिया गया कि वे स्वदेश वापस नहीं लौटेंगे. अमेरिकी अधिकारियों के फैसले से नाराज भारतीय तीरंदाजी संघ (एएआई) ने विरोध स्वरुप साउथ डैकोटा के यांकटोन में होने वाली चैम्पियनशिप से हटने का फैसला किया.
तीरंदाजों के अलावा भारत के जाने माने कोच कोरिया के चेई वोम लिम को भी यहां अमेरिकी दूतावास ने वीजा देने से इनकार कर दिया. एएआई के कोषाध्यक्ष वीरेंदर सचदेवा ने बताया, हमने विरोध स्वरुप इस टूर्नामेंट से टीम हटाने का फैसला किया है. यह फैसला एएआई अध्यक्ष विजय कुमार मल्होत्रा ने किया है, हम हालांकि वीजा के लिए पुन: आवेदन कर चुके हैं. भारतीय टीम में अंडर 20 लड़के और लड़कियां हैं. जूनियर तीरंदाजों को कल अमेरिका रवाना होना था. चैम्पियनशिप का आयोजन आठ से 14 जून तक होना है.
यहां अमेरिकी दूतावास ने सिर्फ सात तीरंदाजों, दो कोचों और भारतीय खेल प्राधिकरण के एक अधिकारी को वीजा दिया जबकि 21 अन्य को वीजा देने से इनकार कर दिया जिससे भारत के टूर्नामेंट में हिस्सा लेने पर सवालिया निशान लग गया था. लिम के अलावा भारतीय कोचों मिम बहादुर गुरंग, चंद्रशेखर लागुरी, राम अवधेश और मालिशिये पिंकी को भी वीजा नहीं मिला.
सचदेवा ने बताया कि वीजा अधिकारी इन उम्मीदवारों के इंटरव्यू से संतुष्ट नहीं था और उसे शक था कि इनमें से कई टूर्नामेंट के बाद लौटेंगे ही नहीं. सचदेवा ने कहा, यह हैरान करने वाली घटना है. हमारे अधिकांश तीरंदाज असम, झारखंड, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से हैं. अधिकांश को अच्छी अंग्रेजी नहीं आती लिहाजा वे अपनी बात ठीक से रख नहीं पाये. जब वीजा अधिकारी ने उनसे पूछा कि वे आजीविका के लिये क्या करते हैं तो उनका जवाब था कि हम तीरंदाज हैं और तीरंदाजी ही करते हैं.
उन्होंने कहा, इससे वीजा अधिकारी को शक हुआ होगा जिससे उसने वीजा देने से इनकार कर दिया. लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि लिम को वीजा क्यों नहीं दिया गया. वह तो विश्व तीरंदाजी में जाना माना नाम है और दुनिया भर में घूम चुका है.
सचदेवा ने कहा कि इससे भी हैरानी भरी बात तो यह है कि अमेरिकी तीरंदाजी संघ से भारत को न्यौता मिला था और भारत सरकार ने इसे मंजूरी दी थी लेकिन इसके बाद भी वीजा नहीं दिये गए. उन्होंने कहा कि तीरंदाजी संघ ने विदेश मंत्रालय और खेल मंत्रालय से भी संपर्क किया लेकिन मसला हल नहीं हो सका.