नयी दिल्ली : भारत की शीर्ष रैंकिंग की खिलाड़ी दीपिका पल्लिकल की मौजूदा राष्ट्रीय स्क्वाश चैंपियनशिप में नहीं खेलने को लेकर स्पष्ट राय है कि जब तक पुरुष और महिला खिलाडियों के लिये समान पुरस्कार राशि नहीं कर दी जाती है तब तक वह इस घरेलू टूर्नामेंट में हिस्सा नहीं लेंगी.
केरल की रहने वाली पल्लिकल अपने राज्य में पहली बार हो रही राष्ट्रीय चैंपियनशिप में भाग लेना चाहती थी लेकिन पुरुष खिलाडियों के लिये पुरस्कार राशि अधिक होने के कारण उन्होंने लगातार चौथे वर्ष इससे हटने का फैसला किया. इस 23 वर्षीय खिलाड़ी ने आखिरी बार 2011 में चैंपियनशिप में हिस्सा लिया था और तब वह चैंपियन भी बनी थी.
विश्व की शीर्ष दस खिलाडियों में जगह बनाने वाली एकमात्र भारतीय पल्लिकल ने कहा, कारण वही है जिस वजह से मैं पिछले तीन साल भी राष्ट्रीय चैंपियनशिप में नहीं खेली. मुझे लगता है कि हम समान पुरस्कार राशि के हकदार हैं जैसे कि पीएसए पेशेवर सर्किट में हैं. वहां अधिकतर टूर्नामेंटों में पुरस्कार राशि समान है.
वर्तमान में विश्व में 18वें नंबर की खिलाड़ी ने कहा, मेरी समझ में नहीं आता कि पुरुष और महिलाओं में अंतर पैदा क्यों किया जाता है. मैं केरल में खेलना चाहती थी और निश्चित रुप से मुझे वहां नहीं खेलने की कमी खल रही है. केरल स्क्वाश रैकेट महासंघ के सचिव अनीश मैथ्यू ने कहा कि टूर्नामेंट की कुल पुरस्कार राशि 6.7 लाख रुपये हैं लेकिन दोनों वर्ग के विजेताओं को मिलने वाली राशि पर अभी फैसला नहीं किया गया है. हालांकि ज्ञात हुआ है कि पुरुष वर्ग के विजेता को एक लाख 20 हजार और महिला वर्ग की विजेता को 50 हजार रुपये मिलेंगे.
पल्लिकल को छोड़कर बाकी सभी शीर्ष खिलाड़ी सौरव घोषाल, हरिंदरपाल सिंह संधू और जोशना चिनप्पा इसमें भाग ले रहे हैं. मैथ्यू ने कहा कि यदि पल्लिकल भी खेलती तो टूर्नामेंट को काफी लोकप्रियता मिलती. उन्होंने कहा, यह निराशाजनक है कि वह यहां नहीं खेल रही है. वह चेन्नई में रहती है लेकिन मूल रुप से केरल की रहने वाली है. सभी उसके बारे में पूछ रहे हैं. अच्छा होता यदि वह यहां खेलती. इसके साथ ही हम उनके फैसले का सम्मान भी करते हैं.