भारत को विश्व कप की मेजबानी मिलने से हॉकी को फायदा

जालंधर : भारत को 2018 में विश्व कप हॉकी की मेजबानी मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए जालंधर के खेल उद्योग से जुडे संगठनों का कहना है कि इससे जालंधर के हॉकी बाजार को बढावा मिल सकता है जो प्रदेश के खेल उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार पुन: स्थापित करने की दिशा में बढाया गया एक […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2013 1:28 PM

जालंधर : भारत को 2018 में विश्व कप हॉकी की मेजबानी मिलने पर खुशी जाहिर करते हुए जालंधर के खेल उद्योग से जुडे संगठनों का कहना है कि इससे जालंधर के हॉकी बाजार को बढावा मिल सकता है जो प्रदेश के खेल उद्योग को अंतरराष्ट्रीय बाजार पुन: स्थापित करने की दिशा में बढाया गया एक कदम साबित होगा.

खेल उद्योग से जुडे संगठनों का कहना है कि हॉकी विश्वकप एक बार फिर देश में खेला जाएगा और इसका सीधा असर शहर के खेल उद्योग पर सकारात्मक रुप से पडेगा. देश में हॉकी विश्वकप होने से न केवल हॉकी के बाजार को बढ़ावा मिल सकता है बल्कि विदेशों से आने वाले खिलाडी भी पहले की तरह यहां के बाजार में दिलचस्पी ले सकते हैं.उनका कहना है कि इसका एक यह भी फायदा होगा कि जालंधर की खेल इंडस्टरी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरानी पहचान दिलाने की ओर बढ़ाया गया एक कदम साबित होगा.

खेल सामग्री उत्पादन से जुडे एक संगठन स्पोर्ट्स फोरम के प्रमुख संजय कोहली ने कहा, एकदम से ऐसा नहीं होगा कि सरकारी उपेक्षा से ग्रस्त जालंधर के हॉकी बाजार या खेल उद्योग को कोई भरी फायदा होगा लेकिन जब इस तरह का कोई बडा टूर्नामेंट देश में होता है तो निश्चित तौर पर इसका फायदा उससे जुडे उद्योगों को होता है.

कोहली ने कहा, विश्वकप 2018 में होना है. आज कोई वैसा फायदा नहीं होगा जैसा हम सोच रहे हैं लेकिन आयोजन से पहले प्रक्रिया शुरू हो जाती है तो देश में भी इसका क्रेज बढ़ता है और निश्चित तौर पर इसका फायदा आयोजन से ऐन पहले हॉकी के बाजार को भी मिलेगा.

यह पूछने पर कि क्या कोई बड़े आर्डर मिलने की उम्मीद है इस पर उन्होंने कहा, अभी तो काम रुटीन में चलेगा लेकिन जिस साल विश्व कप होना है उससे पहले ऐसा हो सकता है. विश्वकप बड़ी प्रतियोगिता है और निश्चत ही इसका फायदा उद्योग को मिलेगा.

उन्होंने कहा, क्रिकेट लीग और हॉकी लीग देश में शुरु हो चुकी है और विश्व कप जैसे अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट से घरेलू इंडस्टरी में मांग बढ़ जाती है. जालंधर की भी मांग बढ़ती है लेकिन सरकारी उपेक्षा से यह थोडा पीछे रह गया है. ऐसे इवेंट होने से घरेलू बाजार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती है.

दूसरी ओर खेल उद्योग संघ के समन्वयक विजय धीर ने कहा, न केवल हॉकी के बाजार को बल्कि पूरे खेल उद्योग को फायदा हो सकता है. ऐसे इवेंट में हॉकी या बल्ला चाहे जालंधर का इस्तेमाल हो या न हो लेकिन कई मौकों पर खिलाडी जिस खेल किट का इस्तेमाल करते हैं वह जालंधर का होता है. इसका फायदा पूरी इंडस्टरी को होता है. उन्होंने कहा कि विश्व कप का आयोजन पहले भी देश में हो चुका है. उस समय भी बाजार को बढ़ावा मिला था लेकिन आशा के अनुरुप ऐसा नहीं हो सका था और अब घरेलू हॉकी में भी तेजी आएगी तो बाजार भी बढ़ेगा.

धीर ने कहा, सबसे बडी दिक्कत है कि हमारी हॉकी का बाजार कमजोर हो गया है. कहीं न कहीं सरकार का इस ओर से उदासीन होना भी एक बड़ा कारण है. पाकिस्तान ने हमसे हमारा हॉकी का कारोबार छीन लिया है. आजकल हॉकी कंपोजिट स्टिक से खेली जाती है. कंपोजिट हॉकी देश में बहुत कम बनती है जिससे बाजार पड़ोसी मुल्क में शिफ्ट हो गया है.

उन्होंने कहा कि देश में जो हॉकी की स्टिक बनती है वह परंपरागत है जिसकी मांग नहीं है इसलिए जरुरी है कि सरकार इस तरह का इवेंट अगर देश में कराती है तो इसके लिए यहां के बाजार को भी प्रोत्साहन दिया जाए जिससे जालंधर का खेल उद्योग अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खोयी प्रतिष्ठा पुन: प्राप्त कर सके.

दूसरी ओर कोहली ने दावा किया कि उनकी कंपनी देश में कंपोजिट हॉकी बनाती है हालांकि हॉकी के बाजार पर पाकिस्तान की इतनी पकड़ है कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जालंधर के कंपोजिट हॉकी का प्रचार नहीं हो सका है.

दोनों संगठनों और अन्य व्यापारियों का कहना है कि विश्व कप और क्रिकेट तथा हॉकी लीग होने से जालंधर के खेल बाजार को फायदा हुआ है और अन्य लीग के आयोजन की योजना है इसका भी फायदा होगा और यह अंतरराष्ट्रीय बाजार में जालंधर को पहचान दिलाने में बढ़ाया गया एक कदम होगा.

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