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पूर्व हाकी खिलाडियों ने कहा, ध्यानचंद को भी दो भारत रत्न

जालंधर : महान हाकी खिलाडी मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते हुए पूर्व हाकी खिलाडियों ने कहा है कि यह सम्मान उन्हें नहीं दिया जाना उस महान खिलाडी का अपमान है जिसने देश को गुलामी के दौर में खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी थी. हाल ही में क्रिकेट से संन्यास […]

जालंधर : महान हाकी खिलाडी मेजर ध्यानचंद को ‘भारत रत्न’ देने की मांग करते हुए पूर्व हाकी खिलाडियों ने कहा है कि यह सम्मान उन्हें नहीं दिया जाना उस महान खिलाडी का अपमान है जिसने देश को गुलामी के दौर में खेल के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलायी थी.

हाल ही में क्रिकेट से संन्यास लेने वाले चैम्पियन क्रिकेटर तेंदुलकर को उनके 200 वें और आखिरी टेस्ट के तुरंत बाद देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिया गया. भारत रत्न पर मची घमासान के बीच पूर्व ओलंपियनों ने कहा है कि चाहे सचिन को भारत रत्न के साथ ‘खेल मंत्री’ बना दो लेकिन पहले यह पुरस्कार ध्यानचंद को दिया जाना चाहिए था जिसने मुल्क के खाते में कई स्वर्ण पदक दिलाये हैं.

भारत के पूर्व हाकी कप्तान परगट सिंह ने इस बारे में ‘भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘मेजर ध्यानचंद का खेल के क्षेत्र में बडा योगदान है. इस महान खिलाडी ने उस वक्त मुल्क को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेल के क्षेत्र में पहचान दिलायी थी जब हमारा देश गुलाम था. इसलिए खेल के क्षेत्र में इस सम्मान पर पहला हक उनका बनता है.’’

खिलाडी से विधायक बने परगट ने कहा, ‘‘सचिन को यह सम्मान दिये जाने का मैं विरोध नहीं कर रहा हूं. वह इसके हकदार हैं लेकिन मेजर का योगदान भी कम नहीं है इसलिए उन्हें यह सम्मान दिया जाना चाहिए. चाहे तो सचिन के साथ साथ ध्यानचंद का नाम भी सरकार को घोषित कर देना चाहिए था क्योंकि इस महान खिलाडी का योगदान किसी अन्य से कम नहीं है.

परगट ने कहा, ‘‘इस सम्मान पर कभी राजनीति नहीं होनी चाहिए. खेल मंत्रलय की सिफारिश के बावजूद ध्यानचंद को यह सम्मान नहीं मिलना उनका अपमान है. किसी भी खिलाडी को सम्मान दिये जाने से पहले खेल मंत्रलय से जरुर बातचीत होनी चाहिए थी.’’दूसरी ओर भारतीय हाकी टीम के पूर्व कोच राजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘मैं अन्य की बात नहीं जानता लेकिन मेजर :ध्यानचंद: को यह पुरस्कार अवश्य मिलना चाहिए था. मेजर ने उस समय हाकी में देश का नाम रोशन किया था जब मुल्क में क्रिकेट उतना प्रसिद्ध भी नहीं था. ’’

द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता सिंह ने कहा, ‘‘सरकार को यह नहीं भूलना चाहिए कि ध्यानचंद वह खिलाडी थे जिन्होंने जर्मनी के तानाशाह हिटलर का जर्मन नागरिकता स्वीकार करने का प्रस्ताव को उस समय ठुकरा दिया था जब देश न केवल गुलाम था बल्कि पूरी दुनिया हिटलर से डरती थी.’’उन्होंने कहा, ‘‘सचिन को भारत रत्न दे दो. वह हकदार है. लेकिन इस पर मेजर का अधिकार सबसे पहले है. ऐसे भी मेजर के नाम की सिफारिश तो पहले ही खेल मंत्रलय ने इस पुरस्कार के लिए कर दिया है. ध्यानचंद ने दुनिया में भारत को हाकी का पर्याय बना दिया था. फिर पता नहीं सरकार ऐसा क्यों कर रही है.’’

भारत के पूर्व खिलाडी तथा ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता टीम में रह चुके सुरिंदर सोढी ने कहा, ‘‘यह पुरस्कार ध्यानचंद को मिलना ही चाहिए. सरकार चाहे तो सचिन तेंदुलकर को खेल मंत्री बना दे, भारत रत्न का सम्मान भी दे दे. इससे किसी को दिक्कत नहीं है लेकिन मेजर ध्यानचंद इस पुरस्कार के असली हकदार हैं और उन्हें भी यह पुरस्कार मिलना चाहिए.’’

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