वर्ष 2015 : भारतीय गोल्फ को नये मुकाम पर ले गये लाहिड़ी

नयी दिल्ली : अनिर्बान लाहिडी ने इस साल भारतीय गोल्फ को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए दो यूरोपीय टूर खिताब जीते और एक मेजर टूर्नामेंट में पांचवें स्थान पर रहे. इस साल एशिया, अमेरिका और यूरोप में कई टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले लाहिड़ी ने इंडियन ओपन और मेबैंक मलेशिया ओपन खिताब जीता जबकि पीजीए […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 23, 2015 4:00 PM

नयी दिल्ली : अनिर्बान लाहिडी ने इस साल भारतीय गोल्फ को नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाते हुए दो यूरोपीय टूर खिताब जीते और एक मेजर टूर्नामेंट में पांचवें स्थान पर रहे. इस साल एशिया, अमेरिका और यूरोप में कई टूर्नामेंटों में भाग लेने वाले लाहिड़ी ने इंडियन ओपन और मेबैंक मलेशिया ओपन खिताब जीता जबकि पीजीए चैम्पियनशिप में पांचवें स्थान पर रहे. उन्होंने प्रेसिडेंट्स कप के लिए क्वालीफाई किया , एशियाई आर्डर आफ मेरिट में शीर्ष रहे और विश्व रैंकिंग में कैरियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 34वीं पायदान तक पहुंचे.

दिल्ली के चिराग कुमार ने भी फिटनेस समस्याओं को अलविदा कहते हुए दिल्ली गोल्फ क्लब पर पेनासोनिक ओपन जीता. वहीं जीव मिल्खा सिंह और अर्जुन अटवाल जैसे धुरंधर लय हासिल करने के लिए जूझते रहे. पिछले साल यूरोपीय टूर कार्ड हासिल करने वाले लाहिडी ने मेबैंक मलेशिया ओपन में पहली आधिकारिक जीत दर्ज की. उन्होंने बर्नड वीसबर्गर को एक स्ट्रोक से हराया. इसके बाद हीरो इंडियन ओपन जीता जो अपनी धरती पर उनका दूसरा यूरोपीय टूर खिताब है. इसके बाद उन्होंने 2015 यूएस मास्टर्स के लिए क्वालीफाई किया और जीव तथा अटवाल के बाद यह श्रेय हासिल करने वाले तीसरे भारतीय बन गये. वह अप्रैल में आगस्टा नेशनल गोल्फ क्लब में पहली बार खेलते हुए 49वें स्थान पर रहे.

लाहिडी और शिव कपूर यूएस ओपन कट में प्रवेश से चूक गए. इसके बाद स्काटलैंड में सत्र का तीसरा मेजर खेला और संयुक्त 31वें स्थान पर रहे. वह विसलिंग स्ट्रेट्स में पीजीए चैम्पियनशिप में संयुक्त पांचवें स्थान पर रहे. वह 2015 प्रेसिडेंट्स कप टीम में जगह पाने वाले पहले भारतीय रहे हालांकि पहले ही मैच में उन्हें पराजय का सामना करना पडा जबकि दूसरे और तीसरे सत्र में वह बाहर रहे. वह ओमेगा यूरोपीय मास्टर्स में पांचवें, वेनेटियन मकाउ ओपन में दूसरे और यूबीएस हांगकांग ओपन में सातवें स्थान पर रहे. भारत के एसएसपी चौरसिया एशिया में 13 टूर्नामेंट में से चार में शीर्ष 10 में रहे जबकि ज्योति रंधावा दो में शीर्ष 10 में जगह बना सके. गगनजीत भुल्लर ने एशिया में 17 टूर्नामेंट खेले और सिर्फ एक में शीर्ष 10 में रहे. राहिल गंगजी 18 टूर्नामेंटों में से 10 में कट में जगह बनाने में नाकाम रहे और विश्व मनीला मास्टर्स में संयुक्त पांचवें स्थान पर रहे.
जीव एशिया में नौ में से सिर्फ तीन टूर्नामेंटों में कट में प्रवेश कर सके. अर्जुन अटवाल ने यूरोपीय टूर पर पांच टूर्नामेंट खेले और दो में कट में प्रवेश करके दोनों में संयुक्त 31वें स्थान पर रहे. एस चिकारंगप्पा, हिम्मत राय, अंगद चीमा और अभिजीत चडढा जैसे युवा भी एशियाई टूर कार्ड हासिल करने में कामयाब रहे.

Next Article

Exit mobile version