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सैग खेलों में भारत की बादशाहत बरकरार

गुवाहाटी/शिलांग : लगातार 12वीं बार दक्षिण एशियाई खेलों में भारत ने अपनी बादशाहत साबित करते हुए रिकार्ड 308 पदक जीते लेकिन प्रतिस्पर्धा के स्तर पहले से कई गुना गिर गया. खेलों के 32 साल के इतिहास में किसी देश का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था लेकिन अधिकांश खेलों में सिर्फ भारत का दबदबा रहने के कारण […]

गुवाहाटी/शिलांग : लगातार 12वीं बार दक्षिण एशियाई खेलों में भारत ने अपनी बादशाहत साबित करते हुए रिकार्ड 308 पदक जीते लेकिन प्रतिस्पर्धा के स्तर पहले से कई गुना गिर गया.

खेलों के 32 साल के इतिहास में किसी देश का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था लेकिन अधिकांश खेलों में सिर्फ भारत का दबदबा रहने के कारण इनके औचित्य पर सवाल उठने लगे हैं. इस बार भी भारत ने 188 स्वर्ण, 90 रजत और 30 कांस्य पदक जीते. पांच से 16 फरवरी तक हुए खेलों में कुल 239 स्वर्ण पदक दांव पर थे यानी भारत ने तीन चौथाई से अधिक पीले तमगे अपने नाम किये.
श्रीलंका 25 स्वर्ण, 63 रजत और 98 कांस्य जीतकर दूसरे स्थान पर रहा. पाकिस्तान 12 स्वर्ण, 37 रजत और 57 कांस्य के साथ तीसरे स्थान पर था.
इससे पहले भारत ने 1995 में मद्रास में हुए खेलों में कुल 143 में से 106 स्वर्ण पदक जीते थे. भारत अभी तक सैग खेलों में हमेशा शीर्ष पर रहा है लेकिन इस बार मुक्केबाजी, तीरंदाजी, टेनिस, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, निशानेबाजी, एथलेटिक्स, कुश्ती, तैराकी, भारोत्तोलन, साइकिलिंग, जूडो और वुशू में भारत ने लगभग क्लीन स्वीप किया. कबड्डी और खोखो में भारत ने पुरुष और महिला दोनों वर्ग में खिताब जीते. ताइक्वांडो में अफगानिस्तान ने भारत को हराया जिसमें भारत को पांच स्वर्ण, तीन रजत और दो कांस्य मिले जबकि अफगानिस्तान ने छह स्वर्ण जीते.
भारत को सबसे बडी निराशा पुरुष हाकी में हाथ लगी जिसमें पाकिस्तान ने फिर उसे फाइनल में हराया. पाकिस्तान का यह इन खेलों की पुरुष हाकी स्पर्धा में लगातार तीसरा स्वर्ण पदक था. महिला हाकी टीम ने हालांकि आसानी से पीला तमगा अपने नाम किया.
भारतीय पुरुष फुटबाल टीम भी स्वर्ण नहीं जीत सकी और फाइनल में नेपाल से हार गई. महिला टीम ने हालांकि स्वर्ण जीता और इसके साथ ही कप्तान ओइनाम बेमबेम देवी ने फुटबाल को अलविदा कह दिया.भारत ने एथलेटिक्स, कुश्ती और भारोत्तोलन में दोयम दर्जे की टीम उतारी थी हालांकि निशानेबाजी, बैडमिंटन , मुक्केबाजी और तीरंदाजी में उसके शीर्ष खिलाडियों ने भाग लिया.
एथलेटिक्स में भारत ने 28 स्वर्ण पदक जीते जबकि निशानेबाजी , तैराकी, कुश्ती और भारोत्तोलन में उसे क्रमश: 26, 18, 14 और 13 स्वर्ण पदक मिले. भारत ने मुक्केबाजी, बैडमिंटन, टेनिस, तीरंदाजी और टेबल टेनिस में भी क्लीन स्वीप किया. एथलेटिक्स में लंबी दूरी की धाविका कविता राउत ने महिलाओं की मैराथन जीतकर ओलंपिक के लिये भी क्वालीफाई कर लिया. वह इन खेलों से रियो ओलंपिक का टिकट कटाने वाली एकमात्र एथलीट रही. मनप्रीत कौर (महिलाओं की शाटपुट), नितेंद्र सिंह रावत और खेता राम ( पुरुषों की मैराथन ) रियो ओलंपिक के लिए पहले ही क्वालीफाई कर चुके हैं. मनप्रीत ने स्वर्ण जीता लेकिन अपने ही 17 . 96 मीटर के राष्ट्रीय रिकार्ड की बराबरी नहीं कर सकी. कविता ने स्वर्ण और खेताराम ने रजत पदक जीता.
निशानेबाजी में भारत ने मजबूत टीम भेजी थी जिसमें रियो के लिये क्वालीफाई कर चुके छह निशानेबाज शामिल थे. चैन सिंह ने 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस, 50 मीटर राइफल प्रोन और 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीते. उन्होंने टीम स्पर्धा में भी तीन स्वर्ण पदक हासिल किये.
स्टार निशानेबाज गगन नारंग को एक भी स्वर्ण नहीं मिल सका. लंदन ओलंपिक के कांस्य पदक विजेता नारंग ने 50 मीटर राइफल प्रोन में रजत और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशंस में कांस्य पदक जीता.
गुरप्रीत सिंह ( 25 मीटर रैपिड फायर पिस्टल ) और अपूर्वी चंदेला (10 मीटर एयर राइफल ) ने स्वर्ण पदक जीता. ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कर चुकी हीना सिद्धू 10 मीटर एयर पिस्टल में रजत ही जीत सकी. मुक्केबाजी में लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता एमसी मेरीकाम की अगुवाई में भारत ने 10 स्वर्ण पदक जीते. मेरी (51 किलो ) के अलावा एल सरिता देवी ( 60 किलो ) और शिवा थापा ( 56 किलो ) ने भी स्वर्ण जीते.

तीरंदाजी में भी भारत ने सभी दस स्वर्ण और चार रजत पदक जीते. बैडमिंटन में साइना नेहवाल और पारुपल्ली कश्यप के भारत नहीं लेने के बावजूद भारत ने क्लीन स्वीप किया. उदीयमान खिलाडी रुत्विका शिवानी ने महिला एकल फाइनल में पी वी सिंधू को हराकर बडा उलटफेर किया. कुश्ती में भारत ने 14 स्वर्ण और दो रजत पदक जीते. भारोत्तोलन में भारत ने 12 स्वर्ण और आठ रजत पदक हासिल किये. टेनिस में भारत ने सभी पांच स्वर्ण और रजत जीतकर क्लीन स्वीप किया.

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