नयी दिल्ली : अपेक्षाओं और उम्मीदों के साथ शुरु हुए इस साल का अंत भारतीय शतरंज के लिये निराशाजनक रहा जब विश्वनाथन आनंद अपनी ही सरजमीं पर विश्व चैम्पियनशिप खिताब गंवा बैठे. आनंद ने कुछ अप्रत्याशित पराजयों, प्रत्याशित ड्रॉ और कुछ मौके गंवाने वाले आनंद को चेन्नई में खेले गए विश्व चैम्पियनशिप मैच में नार्वे के मैग्नस कार्लसन ने हराया.
साल की शुरुआत काफी उत्साहवर्धक रही जब भारत ने चेन्नई में विश्व शतरंज चैम्पियनशिप की मेजबानी की तैयारी शुरु की थी. इसमें पांच बार (2000, 2007, 2008, 2010 और 2012) खिताबी जीत दर्ज कर चुके आनंद का मुकाबला कार्लसन से होना था.आनंद ने साल की शुरुआत 75वें टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट के आखिरी दौर में चीन के वांग हाओ से के हाथों मिली अप्रत्याशित हार से ही. इससे वह टूर्नामेंट में संयुक्त तीसरे स्थान पर रहे.
इसके बाद उन्होंने हालांकि शानदार वापसी करते हुए ग्रेंके शतरंज क्लासिक में जर्मनी के अर्कादिज नैडिश को हराकर खिताब जीता. ज्यूरिख शतरंज चैलेंज में वह आखिरी दौर में रुस के ब्लादीमिर क्रामनिक को हराकर दूसरे स्थान पर रहे.
मई में रुस के सेंट पीट्सबर्ग में खेले गए अलेखाइन मेमोरियल टूर्नामेंट में आनंद तीसरे स्थान पर रहे जिन्हें नौवें और आखिरी दौर में इस्राइल के बोरिस गेलफेंड ने ड्रॉ पर रोका.नार्वे सुपर टूर्नामेंट में आनंद ने विश्व चैम्पियनशिप चैलेंजर कार्लसन से ड्रॉ खेला. उन्होंने बुल्गारिया के वेसलीन टोपालोव को हराया लेकिन अमेरिका के हिकारु नकामूरा से हार गए. चीन के वांग हाओ से मिली हार के बाद वह चौथे स्थान पर रहे.
अगले महीने आनंद ने ताल मेमोरियल शतरंज में हिस्सा लिया और ब्लिट्ज टूर्नामेंट में दूसरे स्थान पर रहे लेकिन मुख्य टूर्नामेंट में इटली के फेबियानो कारुआना से हारे, रुस के दमित्री आंद्रेइकिन और गेलफेंड से ड्रॉ खेला और रुस के अलेक्जेंदर मोरोजेविच को हराया. पांचवें दौर में कार्लसन से मिली हार के कारण वह अंकतालिका में सातवें स्थान पर खिसक गए. नकामूरा से हारने के बाद अगली तीन बाजियां ड्रॉ खेलकर वह नौवे स्थान पर रहे.
आनंद ने विश्व चैम्पियनशिप की तैयारियां अज्ञात स्थान पर शुरु की लेकिन 12 बाजियों का यह टूर्नामेंट उनके लिये निराशाजनक रहा. बाई बरस के कार्लसन ने उनके हर तिलिस्म को तोड़ते हुए उनसे खिताब छीन लिया. वर्ष 2007 से 2013 तक निर्विवाद विश्व चैम्पियन रहे 44 बरस के आनंद 12 में से 10 बाजियों के बाद 6-5-3-5 से हारे.
आनंद ने पहली चार बाजियां ड्रॉ खेली लेकिन बाद में लगातार दो पराजय झेलनी पड़ी. अगली दो बाजियां उन्होंने ड्रॉ कराई लेकिन नौवे दौर में उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. कार्लसन ने दसवीं बाजी ड्रॉ खेलकर अपनी ताजपोशी तय की.
इस हार के बाद आनंद ने लंदन क्लासिक में भाग लिया. वह टूर्नामेंट के आधे चरण तक सात अंक लेकर संयुक्त बढत पर थे. इंग्लैंड के ल्यूक मैकशेन को हराकर और फ्रांस के आंद्रेइ इस्ट्रातेस्कू से ड्रॉ खेलकर वह क्वार्टर फाइनल तक पहुंचे लेकिन रुस के ब्लादीमिर क्रामनिक से हारकर वह टूर्नामेंट से बाहर हो गए. दूसरी ओर परिमाजर्न नेगी समेत युवा खिलाड़ियों ने साल में कुछ अच्छी जीत दर्ज की.
नेगी 29वें कापेले ला ग्रैंड टूर्नामेंट में सात अन्य ग्रैंडमास्टर के साथ शीर्ष पर रहे. उन्होंने वजिर्निया में 43000 डालर ईनामी राशि का विश्व ओपन शतरंज खिताब संयुक्त रुप से जीता. इसके बाद उसने पोलिटिकेन कप में 10 में से नौ अंक हासिल किये. ग्रैंडमास्टर और पूर्व विश्व जूनियर चैम्पियन अभिजीत गुप्ता ने राष्ट्रमंडल शतरंज चैम्पियनशिप जीती. ग्रैंडमास्टर दिव्येन्दु बरुआ को रजत पदक मिला और ग्रैंडमास्टर एम आर ललित बाबू ने कांस्य हासिल किया. महिलाओं में ग्रैंडमास्टर सौम्या स्वामीनाथन ने रजत पदक जीता जबकि मेरी अन गोम्स ने कांस्य हासिल किया.