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ओलंपिक खेल के लिए सद्भावना दूत बने सलमान खान, कई खिलाडियों ने जतायी नराजगी

नयी दिल्ली: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की भारतीय ओलंपिक दल के सद्भावना दूत के तौर पर नियुक्ति पर आज हंगामा शुरू हो गया, जिसमें स्टार पहलवान योगेश्वर दत्त और महान स्प्रिंटर मिल्खा सिंह ने इस पर सवाल उठाये जबकि आईओए और कुछ अन्य एथलीटों ने इस फैसले का समर्थन किया. सलमान अपनी आगामी फिल्म ‘सुल्तान’ […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 24, 2016 4:22 PM

नयी दिल्ली: बॉलीवुड सुपरस्टार सलमान खान की भारतीय ओलंपिक दल के सद्भावना दूत के तौर पर नियुक्ति पर आज हंगामा शुरू हो गया, जिसमें स्टार पहलवान योगेश्वर दत्त और महान स्प्रिंटर मिल्खा सिंह ने इस पर सवाल उठाये जबकि आईओए और कुछ अन्य एथलीटों ने इस फैसले का समर्थन किया. सलमान अपनी आगामी फिल्म ‘सुल्तान’ में पहलवान की भूमिका निभा रहे हैं, उन्हें कल स्टार महिला मुक्केबाज एमसी मैरीकाम, हाकी कप्तान सरदार सिंह और निशानेबाज अपूर्वी चंदेला और अन्य की मौजूदगी में भारतीय ओलंपिक संघ ने सद्भावना दूत चुना. यह पद काफी अहमियत रखता है और आईओए के इसके लिये सलमान को चुनने के फैसले पर खेल जगत विभाजित है, जिसमें लंदन ओलंपिक के कांस्य पदकधारी योगेश्वर और महान एथलीट मिल्खा ने इसकी आलोचना की है.

आईओए ने हालांकि सलमान का नाम चुनने के फैसले का समर्थन किया. आईओए के उपाध्यक्ष तरलोचन सिंह ने कहा, ‘‘जब जानी मानी हस्तियां लोगों से मदद करने की अपील करती हैं तो साधारण सी बात है कि हमें और प्रचार मिलता है जो खेल के लिये अच्छा है. युवाओं में प्रवृति है कि वे इस तरह की फिल्मी हस्तियों से प्रेरणा लेते हैं. अगर हम इनका इस्तेमाल करते हैं तो इसमें कोई नुकसान नहीं है. ‘ उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम इसके लिये सलमान खान की मदद ले रहे हैं और उसे कुछ दे नहीं रहे. आईओए सलमान को एक कौडी भी नहीं दे रहा. ‘ योगेश्वर ने कहा कि इस तरह की नियुक्ति के लिये सलमान ने कुछ नहीं किया. योगेश्वर ने हिंदी में ट्वीट किया, ‘‘हर किसी को भारत में अपनी फिल्म प्रोमोट करने का अधिकार है लेकिन ओलंपिक फिल्म प्रोमोट करने की जगह नहीं.

योगेश्वर को लगता है कि इस भूमिका के लिये किसी खिलाडी को ही चुना जाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि उन्हें समझ नहीं आता कि एथलीटों को इस तरह की नियुक्ति से क्या फायदा होगा. उन्होंने कहा, ‘‘क्या कोई मुझे बतायेगा कि सद्भावना दूत की भूमिका क्या है? आप लोगों को मूर्ख क्यों बना रहे हो? ‘ इस 33 वर्षीय पहलवान को लगता है कि इस काम के लिये कोई खिलाडी ही सही रहता. उन्होंने लिखा, ‘‘एथलीट जैसे पीटी उषा और मिल्खा सिंह ने मुश्किल समय में देश के लिये मेहनत की। लेकिन इस दूत :सलमान: ने खेल के क्षेत्र में क्या किया है. ‘ योगेश्वर ने कहा, ‘‘दूत की नियुक्ति से क्या होगा? पदक ज्यादा आ जायेंगे क्या? अगर आपको ये नाटक ही करना था तो किसी खिलाडी को दूत क्यों नहीं बना दिया. ‘
उन्होंने लिखा, ‘‘देश को पदक की जरूरत है, प्रायोजकों की नहीं. ‘ मिल्खा सिंह को भी लगता है कि आईओए ने गलत फैसला किया है और उन्हें अपने इस कदम पर दोबारा विचार करना चाहिए. उन्होंने पूछा, ‘‘भारत ने इतने सारे खिलाडी पैदा किये हैं, जिन्होंने देश के लिये पसीना और खून बहाया है जैसे पीटी उषा, राज्यवर्धन सिंह राठौड, अजीत पाल और अन्य बहुत सारे। इनमें से किसी एक को सद्भावना दूत बनाना चाहिए था. बालीवुड से किसी को इसके लिये लाने की क्या जरुरत थी? ‘ वर्ष 1958 और 1962 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा ने कहा कि किसी भारतीय खिलाडी को इस पद के लिये नहीं चुने जाने की बात से उन्हें काफी दुख होता है.
मिल्खा ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं सलमान खान के खिलाफ नहीं हूं लेकिन आईओए का फैसला गलत है और सरकार को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। ऐसा पहली बार है जब मैं देख रहा हूं कि ओलंपिक के लिये किसी बालीवुड अभिनेता को सद्भावना दूत बनाया गया है. मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कभी बालीवुड ने किसी खिलाडी को अपने बडे कार्यक्रम के लिये दूत बनाया है?’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं चाहता हूं कि सलमान खान के दूत बनाने के फैसले को संशोधित किया जाना चाहिए.’ पूर्व हाकी स्टार धनराज पिल्लै ने भी उनकी भावनाओं का समर्थन किया. पिल्लै ने कहा, ‘‘मैं किसी खिलाडी को ही ब्रांड एम्बेसडर देखना चाहूंगा.
हमारे पास मिल्खा सिंह, पीटी उषा, अभिनव बिंद्रा जैसे खिलाडी मौजूद हैं. इसमें कोई शक नहीं सलमान बालीवुड में सबसे अहम चेहरा हैं और जो भी वह कहता है, वह बिकता है. लेकिन खेलों में, मुझे लगता है कि खिलाडी को ही दूत बनाया जाना चाहिए. ‘ हालांकि सरदार और मैरीकाम को लगता है कि अगस्त में रियो ओलंपिक से पहले बालीवुड हस्ती का आकर्षण ओलंपिक खेलों के बारे में जागरुकता बढाने में मदद करेगा. सरदार ने कहा, ‘‘सलमान के अपार प्रशंसक हैं. उनके विचार खेलों के बारे में काफी अच्छे हैं और भारतीय खेलों के लिये उनका सद्भावना दूत बनना अच्छी चीज है. काफी लोग उनकी वजह से ओलंपिक खेलों से जुड रहे हैं. लेकिन लोग अपने विचार रखने के लिये स्वतंत्र हैं. मैं उनकी राय का सम्मान करता हूं

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