कोर्ट ने कहा बेटी की खातिर वैवाहिक विवाद को सुलझायें लिएंडर पेस-रिया पिल्लई
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने आज टेनिस सितारे लिएंडर पेस एवं उनसे अलग हुई पत्नी रिया पिल्लै से कहा कि वे अपनी अल्पवय पुत्री की खातिर अपने वैवाहिक विवाद का आपस में मिलकर समाधान निकालें. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने कहा, ‘‘अंतत: आप दोनों (पेस एवं रिया) को आमने सामने बैठकर आपस में स्वीकार्य कोई […]
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने आज टेनिस सितारे लिएंडर पेस एवं उनसे अलग हुई पत्नी रिया पिल्लै से कहा कि वे अपनी अल्पवय पुत्री की खातिर अपने वैवाहिक विवाद का आपस में मिलकर समाधान निकालें. न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे ने कहा, ‘‘अंतत: आप दोनों (पेस एवं रिया) को आमने सामने बैठकर आपस में स्वीकार्य कोई समाधान निकालना पडेगा.’ इस माह के शुरू में हुई पिछली सुनवाई में उच्च न्यायालय ने पेस एवं रिया से चेम्बर में मुलाकात की थी और आपस में स्वीकार्य हल निकालने का प्रयास करने को कहा था.
इसके अनुरुप पेस के वकील ने आज उनकी सहमति की शर्तें पेश की किन्तु रिया एवं उनकी वकील ने उन्हें खारिज कर दिया और कहा कि वे स्वीकार्य नहीं हैं. रिया ने भी अपनी शर्तें पेश की. इन पर पेस के वकील ने कहा कि वह इन्हें टेनिस खिलाडी को भारत लौटने के बाद दिखाएंगे जो किसी टूर्नामेंट में भाग लेने के लिए बाहर गये हुए हैं. न्यायमूर्ति डेरे ने इस मामले की अगली सुनवाई 22 अगस्त को तय करते हुए कहा, ‘‘दोनों पक्षों द्वारा अभी तक किये जा रहे प्रयासों को तार्किक निर्ष्कष पर पहुंचाने की जरुरत है, कम से कम अल्पवय बच्ची के लिए.’ रिया ने पेस और उसके पिता पर उत्पीड़न का आरोप लगाया तथा घरेलू हिंसा कानून की धाराओं के तहत पारिवारिक अदालत में याचिका दी है.
उसने अनुरोध किया है कि उसे उस मकान से नहीं हटाने का निर्देश दिया जाए जहां पिछले कुछ सालों से वह पेस के साथ रह रही थी. उसने पेस से गुजारा भत्ता भी मांगा है.पेस ने भी पारिवारिक अदालत में याचिका देते हुए रिया की याचिका के सुनवाई योग्य होने पर सवाल उठाये और दलील दी कि वह उसकी पत्नी नहीं है क्योंकि दोनों ने कभी विवाह ही नहीं किया. बहरहाल, दोनों पक्षों को सुनने के बाद पारिवारिक अदालत ने पेस की याचिका को खारिज कर दिया. इसके बाद टेनिस सितारें ने पारिवारिक अदालत के निर्णय को चुनौती देने के लिए सत्र अदालत का दरवाजा खटखटाया. सत्र अदालत ने कहा कि कोई भी निष्कर्ष निकालने से पहले दोनों पक्षों के साक्ष्यों की सुनवाई करना आवश्यक है. सत्र अदालत के निर्णय से व्यथित रिया ने उच्च न्यायालय का द्वार खटखटाया.