पेस के साथ जोड़ी पर बोपन्ना ने कहा, गडे मुर्दे उखाड़ने का कोई फायदा नहीं
चंडीगढ़ : अतीत को भुलाकर आपस में ज्यादा से ज्यादा संवाद रखना ही अगले महीने ओलंपिक के दौरान लिएंडर पेस के साझेदार रोहन बोपन्ना का लक्ष्य होगा और उनका मानना है कि इस कडवाहट को पाले रखने में कोई भलाई नहीं है. बोपन्ना रियो ओलंपिक में साकेत माइनेनी के साथ खेलना चाहते थे लेकिन एआईटीए […]
चंडीगढ़ : अतीत को भुलाकर आपस में ज्यादा से ज्यादा संवाद रखना ही अगले महीने ओलंपिक के दौरान लिएंडर पेस के साझेदार रोहन बोपन्ना का लक्ष्य होगा और उनका मानना है कि इस कडवाहट को पाले रखने में कोई भलाई नहीं है. बोपन्ना रियो ओलंपिक में साकेत माइनेनी के साथ खेलना चाहते थे लेकिन एआईटीए ने पेस के साथ उनकी जोड़ी बनाई. बोपन्ना ने कहा कि कुछ बातों को भुला देने में ही भलाई है. उन्होंने कहा कि एटीपी टूर पर कठिन और एकाकी जीवन से उन्हें ऐसे झटकों से उबरने में मदद मिली.
बोपन्ना और पेस यहां कोरिया के खिलाफ डेविस कप युगल मुकाबला खेलेंगे. बोपन्ना ने कहा ,‘‘ आप हमेशा गड़े मुर्दे नहीं उखाड़ सकते. यदि ऐसा करते रहे तो कुछ भी सकारात्मक नहीं मिलेगा. आपको आज के हालात देखने होंगे और कल के बारे में सोचना होगा. आज स्थिति यह है कि मैं और लिएंडर रियो जा रहे हैं.
हम रियो से पहले अभ्यास करेंगे. टोरंटो के बाद मैं सीधे रियो जाउंगा जहां लिएंडर भी होगा. हम कुछ दिन ज्यादा से ज्यादा अभ्यास करेंगे.” यह पूछने पर कि अतीत को भुलाकर उस खिलाडी के साथ तालमेल बनाना कितना कठिन है जिससे कोर्ट के बाहर कभी रिश्ता नहीं रहा , बोपन्ना ने कहा कि वह इतने पेशेवर हैं कि हालात से निपट सकते हैं.
बोपन्ना ने कहा ,‘‘ सर्किट पर हम बहुत जल्दी जोड़ीदार बदलते हैं लिहाजा हमें इसकी आदत है. 2013 में मैने रोजर वेसलीन के साथ विम्बलडन सेमीफाइनल में प्रवेश किया. बात बस अच्छे अभ्यास की है. हमें सिर्फ अच्छे अभ्यास और आपस में बातचीत बनाये रखने की जरुरत है. इससे फायदा मिलेगा.” उन्होंने कहा ,‘‘ मैं सिर्फ कडी मेहनत कर सकता हूं.
पांच दिन काफी होते हैं. मैं आगे बढ़ने वालों में से हूं. कुछ बातें होती रहती है लेकिन आपको आगे बढ़ना होता है. कई बार आप करीबी मुकाबला हारते हैं लेकिन अगले सप्ताह नया टूर्नामेंट होता है. हर दिन नया है और हमें इन चुनौतियों का सामना करना होता है.”