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सानिया की आत्मकथा : कोर्ट के भीतर और बाहर संघर्षो की दास्तां

नयी दिल्ली : महज 29 बरस की उम्र में कई उतार चढावों से जूझते हुए टेनिस के शिखर तक पहुंची ग्रैंडस्लैम विजेता सानिया मिर्जा ने अपनी आत्मकथा ‘ऐस अगेंस्ट आड्स’ में कोर्ट के भीतर और बाहर के इन संघर्षों से रुबरु कराया है. सोलह बरस में विम्बलडन जूनियर युगल खिताब जीतकर स्टार बनी सानिया ने […]

नयी दिल्ली : महज 29 बरस की उम्र में कई उतार चढावों से जूझते हुए टेनिस के शिखर तक पहुंची ग्रैंडस्लैम विजेता सानिया मिर्जा ने अपनी आत्मकथा ‘ऐस अगेंस्ट आड्स’ में कोर्ट के भीतर और बाहर के इन संघर्षों से रुबरु कराया है.

सोलह बरस में विम्बलडन जूनियर युगल खिताब जीतकर स्टार बनी सानिया ने अपनी युगल जोड़ीदार मार्तिना हिंगिस के साथ लगातार 41 मैच जीते. उसने युगल टेनिस में नंबर एक बनने तक के अपने सफर में आई कठिनाइयों को इस किताब में कलमबद्ध किया है.
पिता इमरान मिर्जा की मदद से लिखी सानिया की इस आत्मकथा में प्रस्तावना हिंगिस ने लिखी है जिसने सानिया को खतरनाक फोरहैंड वाली बेहतरीन खिलाडी बताया है. भारत के एक और टेनिस स्टार और मिश्रित युगल में उनके जोडीदार रहे महेश भूपति ने प्राक्कथन लिखा है जिनका मानना है कि भारतीय खेलों का चेहरा बदलने में सानिया का अहम योगदान है.
किताब में बताया गया है कि कैसे सानिया की निजी जिंदगी हमेशा चर्चाओं में रही. चाहे उनके खिलाफ फतवा हो, उनके आपरेशन, पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक से शादी, शादी से पहले सेक्स पर उनकी टिप्पणी हो.
सानिया ने लिखा ,‘‘ विम्बलडन में मेरी टीशर्ट पर चर्चा हुई तो अमेरिकी ओपन में नथ पर. मैं जो कुछ भी पहनती, उसे बगावत का प्रतीक मान लिया जाता. शायद विदेशी मीडिया ने एक युवा भारतीय लड़की को पहले इस मुकाम पर नहीं देखा था या मैं एक पारंपरिक भारतीय लड़की के अमेरिकियों के मानदंड पर खरी नहीं उतरती थी.”
उसने लिखा ,‘‘ मेरी नथ (नोज रिंग) जल्दी ही भारत में काफी लोकप्रिय हो गई और बाजार में ‘सानिया नोज रिंग ‘ के नाम से बिकने लगी. युवा लड़कियों में इसका क्रेज काफी था.” सानिया ने बताया कि कैसे उसकी बचपन की एक दोस्त विम्बलडन में रोजर फेडरर या येलेना यांकोविच से बात करने के बावजूद उन्हें पहचान नहीं सकी चूंकि उसकी टेनिस में कोई रुचि नहीं थी.
उसने बताया कि कैसे उसने सेरेना विलियम्स या मारिया शारापोवा का कोर्ट पर सामना किया और अपनी आदर्श स्टेफी ग्राफ के सामने उसकी बोलती बंद हो गई. उसने यह भी कहा कि खेल में भारत का रिकार्ड बेहतर करना उसका सपना है. उसने कहा ,‘‘ यह निराशाजनक नहीं है कि लिएंडर, महेश और मेरे अलावा किसी ने टेनिस के इतिहास में भारत के लिये ग्रैंडस्लैम नहीं जीता.”

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