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जूनियर हॉकी विश्व कप : बेल्जियम को हराकर भारत दूसरी बार बना विश्व चैंपियन

लखनऊ : भारत ने 15 साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप जीत लिया है. मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में लगभग 10,000 दर्शकों के बीच आज भारत ने बेल्जियम को 2-1 से हरा दिया और खिताब पर कब्‍जा कर लिया. भारत के दो गोल के जवाब में बेल्जियम मात्र एक गोल ही दाग पाया. भारत के […]

लखनऊ : भारत ने 15 साल बाद जूनियर हॉकी विश्व कप जीत लिया है. मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में लगभग 10,000 दर्शकों के बीच आज भारत ने बेल्जियम को 2-1 से हरा दिया और खिताब पर कब्‍जा कर लिया. भारत के दो गोल के जवाब में बेल्जियम मात्र एक गोल ही दाग पाया. भारत के लिये गुरजंत सिंह (सातवां मिनट) और सिमरनजीत सिंह (23वां मिनट) ने गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये आखिरी मिनट में पेनल्टी कार्नर पर फेब्रिस वान बोकरिज ने गोल किया.

* 15 साल बाद भारत ने जीता जूनियर विश्वकप

जीत के अश्वमेधी रथ पर सवार भारतीय टीम पंद्रह बरस बाद जूनियर हॉकी विश्व कप का खिताब अपने नाम किया है. आज बेल्जियम को 2-1 से हराकर भारत देशवासियों को अर्से बाद हॉकी के मैदान पर खिताब तोहफे में दे दिया है. इससे पहले 2001 में ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में भारतीय टीम ने अर्जेंटीना को 6-1 से हराकर एकमात्र जूनियर विश्व कप जीता था.

* ऐसा रहा भारत का खिताबी मुकाबला

मैदान के भीतर दर्शकों की भीड़ दोपहर से ही जुटनी शुरू हो गई थी. सीटों के अलावा भी मैदान के चप्पे चप्पे पर दर्शक मौजूद थे और भारतीय टीम ने भी उन्हें निराश नहीं किया. पिछले दो बरस से कोच हरेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में की गई मेहनत आखिरकार रंग लाई. भारत के लिये गुरजंत सिंह (सातवां मिनट) और सिमरनजीत सिंह (23वां मिनट) ने गोल किये जबकि बेल्जियम के लिये आखिरी मिनट में पेनल्टी कार्नर पर फेब्रिस वान बोकरिज ने गोल किया.

पहले ही मिनट से भारतीय टीम ने अपने आक्रामक तेवर जाहिर कर दिये थे और तीसरे मिनट में उसे पहला पेनल्टी कार्नर मिला. मनप्रीत के स्टाप पर हरमनप्रीत हालांकि इसे गोल में नहीं बदल सके. इसके तीन मिनट बाद भारत को एक और पेनल्टी कार्नर मिला लेकिन इसे भी गोल में नहीं बदला जा सका. भारतीयों ने हमले करने का सिलसिला जारी रखा और अगले ही मिनट गुरजंत ने टीम का खाता खोला.

सुमित के स्कूप से गेंद को पकड़ते हुए गुरजंत ने शाट लगाया और गोलकपर के सीने से टकराकर गेंद भीतर चली गई. भारत की बढ़त 10वें मिनट में दुगुनी हो जाती लेकिन नीलकांत शर्मा गोल के सामने आसान मौका चूक गए. इस दौरान सारा मैच भारतीय सर्कल में हो रहा था लेकिन 20वें मिनट में बेल्जियम ने पहला हमला बोला. सुमित की अगुवाई में भारतीय डिफेंस ने उसे नाकाम कर दिया.

भारतीय फारवर्ड पंक्ति ने गजब का तालमेल दिखाते हुए कई मौके बनाये और 23वें मिनट में बढ़त दुगुनी कर दी. हरमनप्रीत मैदान के दूसरे छोर से गेंद को लेकर भीतर आये और नीलकांत को पास दिया जिसने गुरजंत को गेंद सौंपी और बायें फ्लैंक से गुरंजत से मिले पास पर सिमरनजीत ने इसे गोल में बदला. बेल्जियम को पहले हाफ में 30वें मिनट में मिला एकमात्र पेनल्टी कार्नर बेकार गया. पहले हाफ में भारत की 2-0 से बढ़त बरकरार रही.

दूसरे हॉफ में भी आक्रामक हॉकी का सिलसिला जारी रहा और 47वें मिनट में भारत को तीसरा पेनल्टी कार्नर मिला हालाकि कप्तान हरजीत गेंद को रोक नहीं सके. भारत ने एक और आसान मौका गंवाया जब गुरजंत विरोधी गोल के भीतर अकेले गेंद लेकर घुसे थे लेकिन गोल पर निशाना नहीं लगा सका. रिबाउंड पर परविंदर सिंह भी गोल नही कर सके. अगले मिनट के भीतर भारत को दो पेनल्टी कार्नर मिले लेकिन बेल्जियम के गोलकीपर लोइक वान डोरेन ने दोनों शाट बचा लिये. आखिरी मिनट में बेल्जियम को मिले पेनल्टी कार्नर को फेब्रिस ने गोल में बदला लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी.

* जीत के बाद कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके

भारतीय हॉकीप्रेमियों ने ऐसा अप्रतिम मंजर बरसों बाद देखा जब टीम के हर मूव पर ‘इंडिया इंडिया’ के नारे लगाते 10000 से ज्यादा दर्शकों का शोर गुंजायमान था. मैदान के चारों ओर दर्शक दीर्घा में लहराते तिरंगों और हिलोरे मारते दर्शकों के जोश ने अनूठा समा बांध दिया. जिसने भी यह मैच मेजर ध्यानचंद स्टेडियम पर बैठकर देखा, वह शायद बरसों तक इस अनुभव को भुला नहीं सकेगा.

हूटर के साथ ही कप्तान हरजीत सिंह की अगुवाई में भारतीय खिलाडियों ने मैदान पर भंगड़ा शुरू कर दिया तो उनके साथ दर्शक भी झूम उठे. कोच हरेंद्र सिंह अपने आंसुओं पर काबू नहीं रख सके. हर तरफ जीत के जज्बात उमड़ रहे थे. कहीं आंसू के रुप में तो कहीं मुस्कुराहटों के बीच.

पंद्रह बरस पहले ऑस्ट्रेलिया के होबर्ट में खिताब अपने नाम करने के बाद भारत ने पहली बार जूनियर हॉकी विश्व कप जीता. भारत 2005 में स्पेन से कांस्य पदक का मुकाबला हारकर चौथे स्थान पर रहा था और उस समय भी कोच हरेंद्र सिंह ही थे. इससे पहले 2013 में दिल्ली में हुए टूर्नामेंट में भारत दसवें स्थान पर रहा था.

* मुख्यमंत्री और राज्यपाल ने भी देखा मैच

भारत और बेल्जियम के बीच जूनियर विश्व कप हॉकी का फाइनल देखने के लिये मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम पर करीब 10000 दर्शकों के साथ कई अतिविशिष्ट अतिथि भी दर्शक दीर्घा में मौजूद थे जिनमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और राज्यपाल राम नाईक शामिल थे. अखिलेश मैच शुरू होने से पहले ही पहुच गए थे और राष्ट्रगान से पहले दोनों टीमों के खिलाडियों से मैदान पर जाकर मिले. उनके अलावा एफआईएच अध्यक्ष लिएंड्रो नेग्रे , भावी अध्यक्ष नरिंदर बत्रा भी वीआईपी गैलरी में मौजूद थे. अखिलेश ने इस मौके पर कहा कि यह उत्तर प्रदेश का सौभाग्य है कि यहां इतना बड़ा टूर्नामेंट हो रहा है. उन्होंने दर्शकों की सराहना करते हुए कहा कि जितना जोश खिलाडियों में है, उतना ही लखनउ के दर्शकों में भी देखने को मिला.

* दर्शकों की बेकाबू भीड़ ने पुलिस को किया हलकान

जूनियर हॉकी विश्व कप फाइनल में लोगों की दीवानगी का आलम यह था कि स्टेडियम में क्षमता से अधिक संख्या में दर्शक मौजूद रहे. दर्शकों पर काबू रखने के लिये डेढ़ हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया था. लखनउ ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों से भी पुलिसबल मंगवाया गया. यहीं नहीं प्रवेश द्वार पर भीतर आने को बेताब भीड़ भी पुलिस और वांलिटियर्स की परेशानी का सबब बनी हुई थी. लोग गेट तोड़कर भीतर घुसने को आमादा थे जबकि स्टेडियम में जगह नहीं बची थी. इस भीड़ में मलेशिया से आया एक पत्रकार और फोटोग्राफर भी फंस गया था जिसे बड़ी मुश्किल से दूसरे पत्रकार साथियों की मदद से निकाला गया. स्थानीय पत्रकार लोगों के लिये वीआईपी पास जुटाने की जद्दोजहद में व्यस्त रहे.

* हरमनप्रीत को फैंस व्चाइस पुस्कार

भारतीय टीम के ड्रैग फ्लिकर हरमनप्रीत सिंह को यहां भारत और बेल्जियम के बीच जूनियर हाकी विश्व कप के फाइनल से पहले फैंस च्वाइस प्लेयर पुरस्कार से नवाजा गया जबकि न्यूजीलैंड टीम को फेयरप्ले पुरस्कार मिला. विश्व कप में भाग लेने वाली 16 टीमों में से न्यूजीलैंड को खेलभावना के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिये यह पुरस्कार मिला. दूसरी ओर हरमनप्रीत ने लीग चरण में बेहतरीन प्रदर्शन करके भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई.

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