तोक्यो ओलंपिक आयोजकों और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति के बीच इस बात को लेकर ठन गई है कि एक साल के लिए खेलों को स्थगित करने की लागत कौन वहन करेगा. तोक्यो ओलंपिक के प्रवक्ता मासा तकाया ने कहा कि आयोजन समिति ने आईओसी से उसकी वेबसाइट पर जारी यह बयान हटाने को कहा है कि जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे स्थगन का अधिकांश खर्च उठाने पर राजी हो गए हैं.
जापान में मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि कोरोना महामारी के कारण एक साल के लिए खेल स्थगित होने से दो अरब से छह अरब डॉलर के बीच खर्च आएगा. तकाया ने 90 मिनट की टेलीकॉंफ्रेंस में कहा,‘‘ इस तरह प्रधानमंत्री के हवाले से बयान देना सही नहीं है. ” आईओसी ने बार बार पूछे गए सवालों वाले वर्ग में लिखा है कि आबे इस बात को लेकर राजी हो गए हैं कि वह इस अतिरिक्त लागत को वहन करेंगे. आईओसी अध्यक्ष थामस बाक ने भी दस दिन पहले एक जर्मन अखबार को दिये इंटरव्यू में यही बात कही थी.
आपको बता दें कि तोक्यो आयोजन समिति के प्रमुख का कहना था नयी तारीखों पर खेलों के आयोजन की लागत बहुत अधिक होगी. स्थानीय रपटों के अनुसार यह लागत अरबों डॉलर बढ़ जाएगी और इसका बोझ जापान के करदाताओं पर पड़ेगा. हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि वो लागत की गणना में पारदर्शिता लायेंगे. जापान आधिकारिक तौर पर ओलंपिक की मेजबानी पर 12 . 6 अरब डॉलर खर्च कर रहा है. जापानी सरकार के एक आडिट ब्यूरो ने हालांकि कहा कि लागत इसकी दुगुनी है.
लेकिन जापान के विषाणु विशेषज्ञ का मानना है कि उन्हें डर है कि 2021 में भी ओलंपिक का आयोजन नहीं हो पाएगा. उन्होंने इस बारे में बात करते हुए कहा था कि ओलंपिक के आयोजन के लिए दो शर्तें हैं, पहली शर्त है जापान में कोविड-19 नियंत्रण में हो और दूसरा यह कि दुनिया भर में कोविड-19 नियंत्रण में हो क्योंकि आपको दुनिया भर से खिलाड़ियों और दर्शकों को आमंत्रित करना होगा. ” इवाटा ने कहा कि उन्हें अगले साल तभी खेलों के आयोजन की उम्मीद नजर आती है जब इनमें कुछ बदलाव किया जाए, जैसे कि कोई दर्शक नहीं आएं या काफी सीमित प्रतिनिधित्व हो.
गौरतलब है कि कोरोना से पूरे विश्व में अब तक 2 लाख से ज्यादा इससे संक्रमित हैं.