FIH Hockey Men’s World Cup 2023: नौजवान अभिषेक अपनी कलाकारी और दुनिया की किसी भी टीम की रक्षापंक्ति को बिखेरने की कूवत के कारण भारतीय हॉकी टीम के विशेष स्ट्राइकर बन गये हैं. दिल्ली से सटे हरियाणा के सोनीपत के रहनेवाले 23 बरस के अभिषेक को खेल और जीवन में अनुशासन फौजी पिता सत्यनारायण से मिला. अपने इसी अनुशासन के चलते अभिषेक ने 15वें एफआइएच पुरुष हॉकी विश्व कप में भारतीय कोच ग्राहम रीड का भरोसा जीता है.
भारतीय हॉकी टीम अपने अंतिम मैच में वेल्स को 4-2 से हरा इंग्लैंड की तरह तीन मैचों से सात अंक लेकर पूल डी में दूसरे स्थान पर रही. भारत अब क्वॉर्टर फाइनल में स्थान बनाने के लिए रविवार को क्रॉसओवर में पूल डी में तीसरे स्थान पर रही न्यूजीलैंड से भिड़ेगा. मौजूदा विश्व कप मेंं अभिषेक को अभी अपने पहले गोल का इंतजार है. अभिषेक से उनकी अब तक की पिछले डेढ़ बरस की कामयाब हॉकी यात्रा, मौजूदा विश्व कप और आने वाले समय के लक्ष्यों पर बातचीत.
भारतीय सीनियर हॉकी टीम में जगह पाने पर अब बतौर खिलाड़ी आपके लक्ष्य, आपके आदर्श?
भारतीय सीनियर टीम में जगह बनाना मेरे लिए गौरव की बात है. अब चाहे फिर वह हॉकी विश्व कप हो, ओलिंपिक या एशियाई खेल जैसा कोई भी बड़ा टूर्नामेंट, मेरा लक्ष्य महज भागीदारी ही नहीं, बल्कि भारत को पदक जिताना है. बतौर हॉकी खिलाड़ी कोई एक खिलाड़ी मेरा आदर्श नहीं है. मैं देश और दुनिया के धुरंधर खिलाड़ियों को खेलते देख सीखता हूं.
टीम में जगह पाने पर क्या बदलाव महसूस करते हैं?
मैं खुशकिस्मत हूं कि भारतीय सीनियर हॉकी टीम में आने पर मुझे सभी साथियों खासतौर पर सीनियर साथियों का सहयोग मिला. सीनियर भारतीय टीम में आने से मेरा तालमेल तो बढ़िया हुआ है. मेरी ऑफ द बॉल, विद दÓ बॉल रनिंग तो बेहतर हुई है, मेेरे खेल में जरूरी धैर्य भी आ गया है.
आपने चीफ कोच ग्राहम रीड का ऐसा विश्वास जीता कि वह आपके मुरीद हो गये?
मैं खुद को खुशकिस्मत मानता हूं कि चीफ कोच रीड ने मुझ पर भरोसा जताया. इससे ही मुझे यहां चल रहे हॉकी विश्व कप में भारतीय टीम में जगह दिलायी. रीड ने मुझसे कहा कि मैं खुल कर अपना नैसर्गिक खेल खेलूं. उन्होंने मुझे समझाया कि गलतियों से डरने की नहीं, बल्कि सीखने की जरूरत है.
टोक्यो ओलिंपिक में कांस्य दिलाने में अहम भूमिका निभानेवाले चोटिल सिमरनजीत सिंह की कमी भारत को कितनी अखर रही है?
सिमरनजीत सिंह ने भारत को 41 साल बाद कांस्य पदक दिलाने में अहम भूमिका निभायी. वह चोट से नहीं जूझ रहे होते, तो भारत की मौजूदा टीम में जरूर होते. दबाव में सिमरनजीत बेहतरीन प्रदर्शन करना जानते हैं.
लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार है…