Sushila Meena: कुछ समय पहले तक, 10 वर्षीय सुशीला मीणा राजस्थान के एक छोटे से गांव में सामान्य जीवन जी रही थीं. लेकिन पिछले साल 20 दिसंबर को जब सचिन तेंदुलकर ने सोशल मीडिया पर उनका एक वीडियो शेयर किया, तो उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया. तेंदुलकर ने सुशीला की गेंदबाजी एक्शन की सराहना की और इसे पूर्व भारतीय गेंदबाज जहीर खान के ऐक्शन से मिलाया. इसके बाद सुशीला मीडिया की सुर्खियों में आ गईं. यह वीडियो तुरंत ही वायरल हो गया और लाखों लोगों ने इसे देखा और साझा किया. हालांकि ताज्जुब की बात है कि सुशीला तेंदुलकर को पहचानती तक नहीं हैं, क्योंकि उनके घर में टेलीविजन नहीं है और उन्होंने कभी क्रिकेट मैच नहीं देखा है.
सुशीला, जो एक गरीब आदिवासी परिवार से हैं, अब सभी के बीच लोकप्रिय हो गई हैं और उन्हें पहचानने वाले लोग उनकी तस्वीरें खिंचवाने के लिए आ रहे हैं. हालांकि, वह इस नई प्रसिद्धि से हैरान हैं और ज्यादातर समय मुस्कुराती रहती हैं. लेकिन जब वह क्रिकेट खेलने के लिए मैदान पर जाती हैं, तो वह पूरी तरह से निडर और फोकस्ड हो जाती हैं. सुशीला ने कहा कि जब गेंद उनके हाथ में आती है तो वे केवल बल्लेबाज को आउट करने के बारे में सोचती हैं. उनके साथ पढ़ने वाली आशा बताती हैं कि सुशीला की गेंदबाजी अप्रत्याशित होती है और कई बार यह टर्न लेकर विकेट उखाड़ देती है.
मां ने कहा मैं उसे कभी नहीं रोकूंगी
घर पर उनकी मां शांतिबाई को अपनी बेटी की उपलब्धि पर गर्व है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार हालांकि कुछ लोगों ने उन पर सवाल उठाए हैं कि वे अपनी बेटी को घरेलू कामकाजी जिम्मेदारियों से बचाकर क्रिकेट खेलने की अनुमति क्यों देती हैं. यह सोच ग्रामीण भारत में आम है, जहां लड़कियों को पारंपरिक रूप से घर के कामों में व्यस्त रहने के लिए प्रेरित किया जाता है. लेकिन शांतिबाई ने स्पष्ट किया कि वह अपनी बेटी को क्रिकेट खेलने से कभी नहीं रोकेंगी. शांतिबाई ने कहा, “मैं उनसे कुछ नहीं कहती, न ही यह सुनती हूं कि वे क्या कह रहे हैं. मैं उसे क्रिकेट खेलने से कभी नहीं रोकूंगी.”
स्कूल टीचर का भी बड़ा योगदान रहा
सुशीला के स्कूल में भी क्रिकेट खेलना एक आम बात है, और उनके शिक्षक ईश्वरलाल मीणा का इसमें बड़ा योगदान है. उन्होंने छात्रों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और खुद भी यूट्यूब वीडियो से प्रशिक्षण लिया. हालांकि स्कूल में क्रिकेट के लिए आवश्यक सुविधाएं नहीं हैं, फिर भी सुशीला और उनके साथियों को कुछ हद तक पहचान मिली है. सुशीला के फेमस होने के बावजूद, उनके गांव और स्कूल की हालत बहुत खराब है. स्कूल केवल प्राथमिक शिक्षा प्रदान करता है और उच्च कक्षाओं के लिए क्रिकेट खेलने के अवसर बहुत सीमित हैं. कुछ सरकारी अधिकारियों ने वादा किया है कि वे सुधार के लिए कदम उठाएंगे, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.
बैट तो मिले, लेकिन गेंद नहीं मिली
सुशीला के घर में अब क्रिकेट बैट्स की बाढ़ आ गई है, लेकिन उसे अभी तक कोई सही क्रिकेट बॉल नहीं मिली है. उसकी शिक्षिका का कहना है कि वह जिस रबर बॉल से अभ्यास करती है, वह बहुत कठोर है और उच्च स्तर के खेल के लिए यह उपयुक्त नहीं है. सुशीला ने शरमाते हुए कहा कि वह इन बैट्स का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगी. वर्तमान में यह सवाल उठ रहा है कि सुशीला की वायरल प्रसिद्धि उसे किसी वास्तविक बदलाव की ओर ले जाएगी या सिर्फ एक छोटी सी चमक बनकर रह जाएगी.