Paris Olympics 2024: गीता के ज्ञान ने मनु भाकर को दिलाई सफलता, कहा- ‘श्री कृष्ण ने…’
Paris Olympics 2024: मनु भाकर ने 221.7 का स्कोर करके ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया. पदक जीतने के बाद मनु ने बताया कि भगवद गीता का संदेश पाकर वे पदक जीतने तक की राह तय कर सकी हैं.
Paris Olympics 2024 में भारत ने मेडल टैली में अपना खाता खोल लिया है. देश को पहला पदक 10 मीटर एयर पिस्टल में आया है. भारत की महिला एयर पिस्टल एथलीट मनु भाकर ने देश को पहला पदक दिलाया है. वह पॉइंट 1 से रजत पदक से चूक गई. मगर उन्होंने देश को निराश ना करते हुए कांस्य पदक दिलाया है. मुकाबले में मनु भाकर ने 221.7 का स्कोर करके ब्रॉन्ज मेडल पर कब्जा जमाया. पदक जीतने के बाद मनु ने बताया कि भगवद गीता का संदेश पाकर वे पदक जीतने तक की राह तय कर सकी हैं. उन्होंने भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए संदेश ‘कर्म करो फल की चिंता मत करो’ का पालन करने की बात भी कही.
Table of Contents
Paris Olympics 2024: जीत के बाद भावुक दिखी मनु भाकर
आपकी जानकारी के लिए बता दें, साल 2020 में खेले गए टोक्यो ओलंपिक्स के समय मनु भाकर ने 18 वर्ष की आयु में अपना ओलंपिक डेब्यू किया था. उस समय पिस्टल में तकनीकी खराबी आने के कारण वे टॉप-10 में भी नहीं आ सकी थीं. आलम यह था कि खराब प्रदर्शन के कारण मनु रोने लगी थीं. उस बुरे दौर को याद करते हुए मनु ने बताया – मैं सच कहूं तो मेरी टोक्यो ओलंपिक्स से जुड़ी बहुत खराब यादें रही हैं. मैं सोचती हूं कि यह मेरे साथ ही क्यों हुआ? मैंने ऐसा क्या गलत किया था.
Paris Olympics 2024: जीवन में आगे बढ़ना था: मनु भाकर
मनु भाकर के लिए टोक्यो ओलंपिक्स की खराब यादों से पार पाना आसान नहीं था. मगर उन्होंने इस सभी खराब यादों को पीछे छोड़ते हुए फिर से एक बार तैयारी की और वह कर के दिखाया जिसकी सभी को उम्मीद थी. मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में जीत के बाद कहा, ‘मेरा मानना है कि हम सबको कुछ परिस्थितियों को भुला ही देना चाहिए, खासतौर पर तब जब चीजें हमारे हाथ में ना रही हों. हम इतिहास को नहीं बदल सकते. पहले जो हुआ, वह अच्छा नहीं था, लेकिन मुझे अपने जीवन में आगे बढ़ने का तरीका ढूंढना ही था.’
Paris Olympics 2024: गीता के ज्ञान ने दिलाई सफलता
22 वर्षीय मनु भाकर भगवद गीता का पाठ करती हैं, जिसका एक श्लोक उन्हें बहुत अधिक प्रभावित करता है. उन्होंने पदक जीतने के बाद कहा, ‘मैं भगवद गीता का पाठ करती हूं, तो मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था, ‘बस वही करो, जो तुम यहां करने आए हो. आप नियति को नियंत्रित नहीं कर सकते. गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं, ‘कर्म करो, फल की चिंता मत करो.’ मेरे दिमाग में भी यही चल रहा था.’