Paris Olympics 2024: भारतीय हॉकी टीम ने अपने देश और सीनियर गोलकीपर पीआर श्रीजेश के लिए ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीत लिया है. गुरुवार को भारत ने स्पेन को 2-1 से हराया. भारत के लिए दोनों गोल कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने किए और श्रीजेश ने काफी शानदार बचाव किया. श्रीजेश ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि वह पेरिस ओलंपिक के बाद संन्यास ले लेंगे. बार-बार टीम से अंदर-बाहर होने के बावजूद श्रीजेश ने गोलकीपर के रूप में एक अमिट छाप छोड़ी. उनका हॉकी का सफर काफी रोमांचक रहा है. बोर्ड की परीक्षा में ग्रेस अंक पाने के लिये खेल के क्षेत्र में में उतरे श्रीजेश ‘भारतीय हॉकी की दीवार’ कहलाने लगे.
श्रीजेश का सफर उपलब्धियों से भरा रहा
पराट्टू रवींद्रन श्रीजेश का सफर उपलब्धियों से भरपूर रहा और हर बड़ी चुनौती में संकटमोचक बनकर उभरे. इस नायाब खिलाड़ी को पेरिस ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद अपने कंधे पर बिठाकर भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह की टीम ने विदाई दी. 36 वर्ष के श्रीजेश ने ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम को मिले लगातार दूसरे पदक के साथ अंतरराष्ट्रीय हॉकी को अलविदा कहा. श्रीजेश ने टोक्यो ओलंपिक में जर्मनी के खिलाफ प्लेऑफ मुकाबले में निर्णायक पेनल्टी बचाकर 41 साल बाद भारत को ओलंपिक पदक दिलाया था.
Paris Olympics 2024: भारत के खाते में चौथा मेडल, भारतीय हॉकी टीम ने जीता ऐतिहासिक ब्रॉन्ज मेडल
52 साल बाद भारत ने रचा इतिहास
पेरिस ओलंपिक में भी सभी मुकाबलों में वह गोल पोस्ट के सामने दीवार की तरह खड़े मिले. इसी ओलंपिक में भारत ने 52 साल बाद ऑस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की. ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में पेनल्टी शूटआउट में भारत को मिली जीत में भी श्रीजेश की भूमिका महत्वपूर्ण थी. श्रीजेश का जन्म 8 मई 1988 को केरल के अर्नाकुलम जिले के किझाकम्बलम गांव में हुआ था. उन्होंने पीटीआई ‘भाषा’ को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि वह बोर्ड की परीक्षा में ग्रेस अंक लेने के लिए एथलेटिक्स में उतरे थे और बाद में उनके स्कूल के कोच ने उन्हें हॉकी गोलकीपर बनने की सलाह दी.
श्रीजेश खेला 4 ओलंपिक
श्रीजेश ने जब गोलकीपर के रूप में करियर बनाने की सोची तब केरल में एथलेटिक्स और फुटबॉल की ही लोकप्रियता थी. लेकिन कोच की वह सलाह श्रीजेश और भारतीय हॉकी के लिये वरदान साबित हुई. श्रीजेश ने कहा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि भारत की जर्सी पहनूंगा और ओलंपिक में टीम के लिए खेलूंगा. श्रीजेश का यह चौथा ओलंपिक था और वह इसे सपने के जैसा मानते हैं. श्रीजेश से पहले केवल धनराज पिल्लै ने ही चार ओलंपिक, चार विश्व कप, चैम्पियंस ट्रॉफी और एशियाई खेलों में खेला है. श्रीजेश 4 ओलंपिक खेलने वाले पहले गोलकीपर हैं.
श्रीजेश ने खेले हैं 336 अंतरराष्ट्रीय मैच
2006 में दक्षिण एशियाई खेलों में श्रीजेश ने डेब्यू किया था. 2011 तक एड्रियन डिसूजा और भरत छेत्री जैसे सीनियर गोलकीपरों के रहने के कारण श्रीजेश टीम में स्थायी जगह नहीं पा पाए. 2014 एशियाई खेलों के फाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ दो पेनल्टी स्ट्रोक बचाकर श्रीजेश स्टार बने. वह 2011 से टीम में नियमित गोलकीपर रहे. 2014 के बाद श्रीजेश ने मुड़कर नहीं देखा. उन्होंने ओलंपिक, विश्व कप, चैम्पियंस ट्रॉफी, एशियाई खेल, राष्ट्रमंडल खेल, प्रो लीग सभी टूर्नामेंटों में अपना जलवा बिखेरा. श्रीजेश को खेल रत्न, पद्मश्री, विश्व के सर्वश्रेष्ठ एथलीट और एफआईएच के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी के सम्मान से नवाजा गया है. उन्होंने 336 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं.
श्रीजेश ने पहले ही कर दी थी संन्यास की घोषणा
ब्रॉन्ज मेडल मैच से पहले श्रीजेश ने एक्स पर लिखा, ‘अब जबकि मैं आखिरी बार पोस्ट के बीच खड़ा होने जा रहा हूं तब मेरा दिल कृतज्ञता और गर्व से फूलकर कुप्पा हो रहा है. सपनों में खोए रहने वाले एक युवा लड़के से भारत के सम्मान की रक्षा करने वाले व्यक्ति तक की यह यात्रा असाधारण से कम नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘आज मैं भारत के लिए अपना आखिरी मैच खेल रहा हूं. मेरा हर बचाव, प्रत्येक डाइव, दर्शकों का शोर हमेशा मेरे दिल में गूंजते रहेंगे. आभार भारत, मुझ पर विश्वास करने के लिए, मेरे साथ खड़े होने के लिए. यह अंत नहीं है, यह संजोई गई यादों की शुरुआत है.
भाषा इनपुट के साथ
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