Pocso Act में मौत की सजा, जुर्माना भी संभव, दिल्ली पुलिस की चार्टशीट के बाद बृजभूषण सिंह को मिल सकती है राहत

दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पहलवान द्वारा बृजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज कराये गये मामले को रद्द करने की अदालत से सिफारिश की इसकी वजह यह है कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं.

By Rajneesh Anand | June 15, 2023 1:38 PM
an image

भारतीय कुश्ती संघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ आज दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दाखिल कर दिया. चूंकि बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज कराया गया था, इसलिए पुलिस ने दो चार्जशीट दाखिल किया. अबतक जो जानकारी सामने आयी है, उसके अनुसार दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पहलवान द्वारा बृजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज कराये गये मामले को रद्द करने की अदालत से सिफारिश की इसकी वजह यह है कि उनके खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं. यह सिफारिश बृजभूषण शरण सिंह के लिए राहत भरी है, क्योंकि पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज होने से उनकी परेशानी बहुत बढ़ गयी थी. आखिर पॉक्सो एक्ट में सी क्या बात है और किस अपराध में यह एक्ट लगाया जाता है? आइए जानते हैं.

क्या है पाॅक्सो एक्ट

पॉक्सो यानी प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस एक्ट. इस कानून को 2012 में लागू किया गया था. ये कानून बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों की रोकथाम के लिए बनाया गया है. इस एक्ट के तहत 18 साल के कम उम्र के बच्चे और बच्चियों को शामिल किया गया है, इस एक्ट के तहत नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न के मामले में कठोर दंड का प्रावधान किया गया है. इस एक्ट का उद्देश्य एक बच्चे को किसी भी प्रकार के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक, मानसिक और भावनात्मक शोषण और उपेक्षा से बचाना है.

पहचान उजागर करना भी अपराध

इस एक्ट के तहत यह व्यवस्था की गयी है कि अगर कोई बच्चा या बच्ची यौन शोषण के शिकार होते हैं तो पूरी न्याय प्रक्रिया के दौरान पीड़ितों के साथ संवेदनशील तरीके से व्यवहार किया जायेगा और उनकी देखभाल की जायेगी. न्याय प्रक्रिया को पारदर्शी और न्यायपूर्ण होना चाहिए ताकि बच्चे के साथ किसी भी तरह का भेदभाव ना हो पाये. साथ ही बच्चे को सुरक्षा का अधिकार भी दिया जाये, ताकि उसके साथ दोबारा कोई दुर्घटना ना हो. इस एक्ट में यह प्रावधान भी किया गया है कि बच्चे को निजता अधिकार प्राप्त हो. उसकी पहचान किसी भी हालत में उजागर ना की जाये. इसके साथ ही बच्चे को मुआवजे का अधिकार भी प्राप्त है.

क्या हैं सजा के प्रावधान

-पोक्सो एक्ट के तहत अगर कोई व्यक्ति किसी नाबालिग के साथ पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट का दोषी पाया जाता है तो उसे 10 से 20 साल की जेल हो सकती है. साथ ही उसे उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और भारी जुर्माना भी भरना पड़ सकता है.

-पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असाॅल्ट के दौरान अगर बच्चे या बच्ची की मौत हो जाती है, तो अत्यधिक कठोर सजा का प्रावधान है जिसके तहत 20 साल तक की सजा या फिर आजीवन कारावास या फिर मौत की सजा का भी प्रावधान है.

-इसी तरह अगर कोई व्यक्ति बच्चे का इस्तेमाल पाॅर्नोग्राफी के लिए करता है, तो भी सजा के प्रावधान पांच से सात साल के हैं.

-बच्चे का अश्लील वीडियो रखने उसे प्रसारित करने जैसे अपराधों के लिए भी पाॅक्सो एक्ट के तहत सजा का प्रावधान है जो अपराध के नेचर के अनुसार तीस से सात साल तक की हो सकती है.

Also Read: बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने दायर की 1000 पन्नों की चार्जशीट, पॉक्सो एक्ट में मिली क्लीन चिट

Exit mobile version