Hockey World Cup 2023: भारतीय टीम विश्व चैंपियन बने, उप-कप्तान अमित रोहिदास की माता ने जतायी इच्छा

राष्ट्रीय जूनियर प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने के बाद अमित सुर्खियों में आए. उन्होंने 2009 में एशियाई कप में भाग लिया और 2012 में एशियाई चैंपियनशिप में भारतीय टीम में शामिल हुए.

By Prabhat Khabar News Desk | January 14, 2023 8:25 AM

राउरकेला, ललित नारायण सिंह: गोलापी रोहिदास भारतीय हॉकी टीम को विश्व चैंपियन बनते देखना चाहती हैं. भारतीय हॉकी टीम के उपकप्तान और अपने लाडले अमित रोहिदास के हाथों में ट्रॉफी देखने को उनकी आंखें लालायित हैं. इससे पहले तोक्यो ओलिंपिक में बेटे को कांस्य पदक मिलने पर उनकी आंखें भर आयी थीं. बेटे की उपलब्धि पर मां गर्व से फूले नहीं समा रही थीं. शुक्रवार को प्रभात खबर से बातचीत में अमित रोहिदास की मां गोलापी रोहिदास ने कहा कि उनकी इच्छा है कि भारतीय टीम विश्व कप जीते. उनके बेटे के हाथ में विश्व कप की ट्रॉफी हो. उसके पिता की भी यही इच्छा थी.

तोक्यो ओलिंपिक से पहले भी उसके पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करे. पिता की इस इच्छा को अमित ने पूरा किया. भारत ने 2021 में ओलिंपिक में कांस्य पदक जीता. लेकिन बेटे का ये कारनामा देखते-देखते पिता गोपाल रोहिदास की 18 अक्तूबर 2020 को किडनी की बीमारी से मौत हो गयी थी.

कोच कालू चरण चौधरी ने दी ट्रेनिंग

2004 में पानपोष स्पोर्ट्स हॉस्टल में चयन के बाद कोच कालू चरण चौधरी ने अमित की ट्रेनिंग शुरू की. यहीं से उनके लिए मार्ग प्रशस्त हुआ. यह उनके संघर्ष का अंत और उनके भाग्य की शुरुआत थी. राष्ट्रीय जूनियर प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करने के बाद अमित सुर्खियों में आए. उन्होंने 2009 में एशियाई कप में भाग लिया और 2012 में एशियाई चैंपियनशिप में भारतीय टीम में शामिल हुए. 2012 में लंदन ओलिंपिक के लिए लगे कैंप में जगह बनायी, लेकिन फाइनल सूची में जगह नहीं बना सके. इसके बाद कई प्रतियोगिताओं 2022 स्टेट स्पोर्ट्स (सिल्वर), 28वां सुल्तान अजलन शाह कप (सिल्वर), 2018 चैंपियंस ट्रॉफी (सिल्वर), 2016-17 हॉकी वर्ल्ड लीग (कांस्य), एशिया कप विजेता टीम में शानदार प्रदर्शन कर अपनी पहचान बनायी और आज टीम के उपकप्तान हैं. सरकार ने उनके योगदान को देखते हुए 2021 में अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया. इतिहास रचने को तैयार भारतीय हॉकी टीम के उप-कप्तान अमित ने जब से टीम की रक्षा पंक्ति की कमान संभाली, तब से टीम के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ है.

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हॉकी के शौकीन थे पिता, दुकान बंद कर भाग जाते थे मैच देखने

गोलापी रोहिदास ने बताया कि अमित के पिता गोपाल रोहिदास की सुंदरगढ़ जिले के बालीशंकरा चौक पर जूते की मरम्मत की दुकान थी. वे इसी दुकान से परिवार का पालन-पोषण करते थे. छह लोगों के परिवार का भरण-पोषण करना मुश्किल था. इसलिए वे मजदूरी के लिए गोवा और मुंबई जाते थे, लेकिन गरीबी में भी उन्हें (गोपाल को) हॉकी के खेल का बड़ा शौक था. जब वे सुनते कि हॉकी खेली जा रही है, तो काम छोड़कर पागलों की तरह दौड़ पड़ते थे. कई बार दुकान बंद कर मैच देखने चले जाते थे. खेल देखकर खाली हाथ घर लौटते थे. फिर परिवार को भूखे रहना पड़ता था. जीवनयापन के लिए पूरे परिवार को रोज मेहनत करनी पड़ती थी, उनके पति की हॉकी की दीवानगी को करीब से देखने वाला उनका छोटा बेटा आज हॉकी में इतिहास रच रहा है. वह ओडिशा का पहला गैर-आदिवासी हॉकी ओलिंपियन है. बचपन में अमित पैसे की कमी के कारण हॉकी स्टिक या गेंद नहीं खरीद पाता था. इसलिए वह गांव के मिशन स्कूल के मैदान में अभ्यास करने के लिए बांस और लकड़ी की छड़ियों का इस्तेमाल करता था.

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