Tokyo Olympics 2020 : ओलंपिक में पदक जीतना हर खिलाड़ी का सपना होता है और इस सपने को सच करने के लिए खिलाड़ियों की बेतहाशा मेहनत होती है. ओलंपिक में दुनिया के बेहतरीन खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं और इन बेहतरीन खिलाड़ियों को हाराकर पदक अपने नाम करना भगीरथ प्रयास से कम नहीं है. टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों ने अब तक पांच पदक अपने नाम कर लिया है. इस पदक को जीतने के लिए भारतीय खिलाड़ियों ने जी तोड़ मेहनत की थी, किसी ने आठ साल से छुट्टी नहीं ली तो कोई हर रोज आठ घंटे मेहनत करता था.
One more medal in the waiting for India. Let this time be the gold. Buck-up & Congratulations #RaviDahiya, we expect the best from you. #Tokyo2020 #Olympics pic.twitter.com/0MKhVlTt45
— Amar Prasad Reddy (@amarprasadreddy) August 4, 2021
रवि (Wrestler Ravi Dahiya) ओलिंपिक मेडल जीतने के लिए हर दिन आठ घंटे तक अभ्यास करते थे. छह साल की उम्र से रवि ने गांव के अखाड़े में कुश्ती शुरू कर दी थी और बाद में दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में चले गये थे. राकेश ने याद किया वह प्रत्येक दिन गांव से अपने बेटे के लिए दूध और मक्खन लेकर जाते थे, ताकि उनके बेटे को पोषक आहार मिल सके. बता दें कि किसान के पुत्र रवि दहिया अपने गांव के तीसरे ओलिंपियन हैं. उनसे पहले महावीर सिंह (मास्को 1980 और लॉस एंजिलिस 1984) तथा अमित दहिया (लंदन 2012) भी ओलिंपिक में हिस्सा ले चुके हैं.
You’ve boxed your way into history #Lovlina! Superb! 🇮🇳 pic.twitter.com/GvM9HGCOa0
— Gautam Gambhir (@GautamGambhir) August 4, 2021
भारतीय मुक्केबाज लवलीना बोरगोहेन (Boxer Lovlina Borgohain) ने बुधवार को कहा कि पिछले आठ साल के उसके बलिदानों का यह बड़ा इनाम है और अब वह 2012 के बाद पहली छुट्टी लेकर इसका जश्न मनायेंगी. इस पदक के लिए लवलीना ने आठ साल तक मेहनत की है. उन्होंने किहा कि घर से दूर रही, परिवार से दूर रही और मनपसंद खाना नहीं खाया, लेकिन मुझे नहीं लगता कि किसी को ऐसा करना चाहिए. मुझे लगता था कि कुछ भी गलत करूंगी, तो खेल पर असर पड़ेगा. गांव के विकास की उम्मीद यह पदक उनके ही लिए नहीं बल्कि असम के गोलाघाट में उनके गांव के लिए भी बदलाव लानेवाला रहा. अब गांव तक पक्की सड़क बनायी जा रही है.