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Year Ender 2022: सीनियर पहलवानों ने किया थोड़ा संघर्ष, इस साल चमके ग्रीको रोमन और जूनियर पहलवान

खेल के क्षेत्र में साल 2022 भारत के लिए बेहतर रहा. कुश्ती का बात करें तो सीनियर पहलवानों ने थोड़ा निराश किया, लेकिन ग्रीको रोमन और जूनियर ने कमाल किया. भारत ने अंडर-23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहली बार तीन मेडल जीतकर अपना दबदबा कायम किया. लेकिन सीनियर पहलवानों ने निराश किया.

By Agency | December 24, 2022 6:25 PM
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राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के स्टार पहलवानों से दबदबा बनाने की उम्मीद थी जो उन्होंने किया, लेकिन इससे अधिक चुनौतीपूर्ण विश्व चैंपियनशिप ने इन सभी के प्रदर्शन का खुलासा कर दिया. फिर भी ग्रीको रोमन पहलवानों के उदय और जूनियर पहलवानों के असाधारण प्रदर्शन ने साल 2022 को भारतीय कुश्ती के लिये अच्छा वर्ष बना दिया. भारत ने बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों में 12 पदक जीते, जिसमें साक्षी मलिक ने स्वर्ण जीतकर अपने करियर को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश की. लेकिन केवल बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट ही बेलग्रेड में हुई विश्व चैंपियनशिप में पदक जीत सके.

ग्रीको रोमन में भारत को मिली पहचान

ग्रीको रोमन स्टाइल में साजन भानवाला, नितेश और विकास की बदौलत भारत ने अंडर-23 विश्व चैंपियनशिप में ऐतिहासिक तीन पदक जीतकर शानदार प्रदर्शन किया. जूनियर वर्ग (लड़के और लड़कियां दोनों) अंतरराष्ट्रीय स्तर की आयु वर्ग की प्रतियोगिताओं में पदक के दावेदार बने जो भारतीय कुश्ती में पहली बार हुआ. सोफिया में अंडर-20 विश्व चैंपियन बनने वाली अंतिम पंघाल का प्रदर्शन बेहतरीन रहा क्योंकि वह 53 किग्रा में विनेश फोगाट के जाने के बाद भारत की सर्वश्रेष्ठ दावेदार हो सकती हैं.

रवि दहिया ने किया निराश

रवि दहिया 2021 में अपने ओलंपिक रजत पदक के बाद रातोंरात स्टार बन गये थे लेकिन इस साल उनका प्रदर्शन इतना चमकदार नहीं रहा. उन्होंने सर्किट पर एक स्वर्ण और एक रजत जीतकर शुरुआत करने के बाद एशियाई चैंपियनशिप में एक स्वर्ण पदक हासिल किया. सत्र की शुरुआत में वह 61 किग्रा में खेले क्योंकि वह वजन कम करने की प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहते थे. राष्ट्रमंडल खेलों में उनसे स्वर्ण पदक की उम्मीद थी और विश्व चैंपियनशिप से बाहर होना उनके खुद के लिये ही नहीं बल्कि उनके प्रशंसकों के लिए भी हैरानी भरा रहा क्योंकि 57 किग्रा स्पर्धा में उनका दबदबा रहा है.

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कुश्ती में विदेशी कोच नहीं देते ट्रेनिंग

दिलचस्प बात यह भी है कि इस साल उन्होंने छत्रसाल स्टेडियम में और सोनीपत में राष्ट्रीय शिविर के दौरान भारतीय कोचों से ट्रेनिंग ली क्योंकि भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) ने देश के पहलवानों के लिये विदेशी कोच नहीं रखने का फैसला किया. रवि का मुश्किल दौर चल रहा था तो अमन सहरावत ने रवि के 57 किग्रा वर्ग में अच्छी प्रगति की. अल्माटी में बोलाट तुर्लीखानोव कप में स्वर्ण जीतकर वह अंडर-23 विश्व चैंपियन बने. रवि को अब 2023 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा जिसमें 2024 पेरिस ओलंपिक के लिये जगह बनाना भी दांव पर लगा होगा.

अंशु मलिक को करना होगा और परिश्रम

एक अन्य पहलवान अमन भी 57 किग्रा में रवि के सामने गंभीर चुनौती पेश करेंगे. महिलाओं के 57 किग्रा में 2021 में विश्व चैंपियनशिप का कांस्य पदक जीतने वाली सरिता मोर ने पहले ही फैसला कर लिया है कि वह इस ओलंपिक भार वर्ग में ही प्रतिस्पर्धा करेंगी जिसमें वह वह पेरिस खेलों के लिये क्वालीफाई करने की कोशिश करेंगी. इसका मतलब है कि तोक्यो ओलंपिक में हिस्सा ले चुकी अंशु मलिक के लिये आगामी सत्र आसान नहीं होगा. कोहनी और घुटने के की चोटों के कारण वह 2022 में अच्छा नहीं कर सकीं.

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बजरंग पुनिया अब भी सर्वश्रेष्ठ

बजरंग पूनिया 65 किग्रा वर्ग में भारत के सर्वश्रेष्ठ पहलवान बरकरार हैं क्योंकि कोई भी पहलवान इस भार वर्ग में उनके स्थान के लिए गंभीर खतरा पैदा करने के करीब नहीं आया है. वह इस साल थोड़े जूझते रहे लेकिन विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक के साथ सत्र का समापन कर वापसी की. बजरंग का रक्षण थोड़ा बेहतर हुआ है लेकिन उनके आक्रामक खेल में अभी भी काफी सुधार की जरूरत है.

2023 में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद 

टोक्यो में पदक नहीं जीतने की निराशा के बाद से विनेश फोगाट में वैसी फुर्ती नहीं दिखी जैसी वह आमतौर पर दिखा करती थीं. भारत की सबसे प्रतिभाशाली और मजबूत महिला पहलवानों में से एक विनेश को संघर्ष करते देखना दिल तोड़ने वाला रहा. राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतना अच्छा रहा जहां प्रतिस्पर्धा कमजोर थी जिसके बाद उन्होंने विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता. अब उनसे 2023 में अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है क्योंकि पेरिस खेलों को देखते हुए यह महत्वपूर्ण वर्ष होगा.

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