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झारखंड के बैंकों में बढ़ रहा एनपीए, 7428.06 करोड़ फंसे

एसएलबीसी के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों के कुल एनपीए में से 6046़ 93 करोड़ रुपये का एनपीए प्राथमिक क्षेत्र में दिये गये कर्ज से संबंधित है. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, आवास, शिक्षा और एमएसएमइ के क्षेत्र में कर्ज दिया जाता है. रांची : बैंक से कर्ज लेकर नहीं लौटाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही […]

एसएलबीसी के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों के कुल एनपीए में से 6046़ 93 करोड़ रुपये का एनपीए प्राथमिक क्षेत्र में दिये गये कर्ज से संबंधित है. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, आवास, शिक्षा और एमएसएमइ के क्षेत्र में कर्ज दिया जाता है.

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झारखंड के बैंकों में बढ़ रहा एनपीए, 7428. 06 करोड़ फंसे 2

रांची : बैंक से कर्ज लेकर नहीं लौटाने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इससे बैंकाें का नन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) बढ़ रहा है. 31 दिसंबर, 2023 तक राज्य के बैंकों का एनपीए 7428़ 06 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है. इतनी रकम लोगों ने नहीं लौटायी है. इसे लेकर चिंता जतायी गयी है. सबसे अधिक एनपीए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमइ) क्षेत्र का है. एमएसएमइ का एनपीए 3469़ 44 करोड़ रुपये है. एनपीए के मामले में दूसरा स्थान कृषि क्षेत्र का है. इस क्षेत्र में बैंकों का 2346़ 64 करोड़ रुपये का एनपीए है.

प्राथमिक क्षेत्र में एनपीए 6046़ 93 करोड़ रुपये

एसएलबीसी के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों के कुल एनपीए में से 6046़ 93 करोड़ रुपये का एनपीए प्राथमिक क्षेत्र में दिये गये कर्ज से संबंधित है. प्राथमिक क्षेत्र में कृषि, आवास, शिक्षा और एमएसएमइ के क्षेत्र में कर्ज दिया जाता है. गैर प्राथमिक क्षेत्रों में दिये गये कर्ज में से 1381़ 13 करोड़ रुपये एनपीए हो चुका है. कृषि के अलावा, शिक्षा ऋण के क्षेत्र में भी एनपीए का आंकड़ा 100 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. एसएलबीसी के आंकड़ों के अनुसार, इस क्षेत्र में 102़ 60 करोड़ का एनपीए है. हाउसिंग में एनपीए 166़ 50 करोड़ रुपये है. कुल एनपीए में 50 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ दो बैंकों का है. बैंक ऑफ इंडिया का एनपीए 2403़ 71 करोड़ रुपये और पीएनबी का 1390़ 69 करोड़ रुपये है.

जरूरतमंदोंं को समय पर नहीं मिल पाता है ऋण : बैंक लगातार एनपीए एकाउंट की निगरानी करते हैं. बैंकों की ओर से जिस सेक्टर में ऋण दिये जाते हैं, उसके पहले संबंधित सेक्टर के एनपीए की भी समीक्षा की जाती है. बैंक लोन देने की प्रक्रिया काफी कड़ी कर देते हैं. नतीजा यह होता है कि जरूरतमंदों को समय पर लोन नहीं मिलता या फिर लोन मिल ही नहीं पाता है.

क्या है एनपीए :

बोलचाल की भाषा में यह बैंकों का फंसा हुआ कर्ज है, जिसकी लंबे समय से वसूली नहीं हो पा रही है. लगातार तीन महीने तक कर्ज की किस्त नहीं मिलने पर खाते को एनपीए घोषित कर दिया जाता है. ग्राहकों द्वारा खातों को नियमित कर दिया जाता है, तो वह पुन: एनपीए से बाहर हो जाता है.

वसूली के नियम सबसे पहले ग्राहक को नोटिस दिया जाता है कि आपका एकाउंट एनपीए हो गया है. 10 लाख रुपये से ऊपर की लोन राशि होने पर डीआरटी यानी डेब्ट रिकवरी ट्रिब्यूनल में केस किया जाता है. इससे नीचे की लोन राशि होने पर सर्टिफिकेट केस या टाइटल मॉर्गेज सूट किया जाता है. सरफेसी एक्ट 2002 के तहत गिरवी रखी हुई संपत्ति को जब्त करने और बकाया राशि की तुरंत वसूली के लिए उन्हें बेचने का अधिकार दिया गया है.

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