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स्मार्ट खेती कर रहे झारखंड के विनोद, खेतों में लगाया सेंसर

विनोद ने बताया कि तीन एकड़ में सेंसर लगी कई मशीनें लगायी गयी हैं. यहां वेदर स्टेशन भी लगाया गया है. सेंसर मशीन से मेरे मोबाइल पर अलर्ट आ जाता है. मिट्टी में नमी की रिपोर्ट मिल जाती है. मनोज सिंह, रांची: हजारीबाग के गिद्दी की डांड़ी पंचायत के किसान विनोद कुमार ‘स्मार्ट खेती’ कर […]

विनोद ने बताया कि तीन एकड़ में सेंसर लगी कई मशीनें लगायी गयी हैं. यहां वेदर स्टेशन भी लगाया गया है. सेंसर मशीन से मेरे मोबाइल पर अलर्ट आ जाता है. मिट्टी में नमी की रिपोर्ट मिल जाती है.

मनोज सिंह, रांची: हजारीबाग के गिद्दी की डांड़ी पंचायत के किसान विनोद कुमार ‘स्मार्ट खेती’ कर रहे हैं. वे अपने खेतों में इंफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी (आइसीटी) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी) का उपयोग कर रहे हैं. खेतों में लगी सेंसर युक्त मशीनों की मदद से वे कहीं भी रह कर जरूरत के हिसाब से पानी दे पाते हैं, खेतों में नमी की जानकारी ले लेते हैं, खेतों के आसपास की मौसम की स्थिति को समझ लेते हैं. इस काम में उनको नाबार्ड और इफको ने सहयोग किया है.विनोद 20 एकड़ में खेती करते हैं और खेती को लेकर नये-नये प्रयोग भी करते रहते हैं. फिलहाल वे करीब तीन एकड़ में उक्त तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं. विनोद ने एमबीए की पढ़ाई की है. कोरोना के समय उन्होंने बैंक की नौकरी छोड़ दी थी. उनकी पत्नी भी मल्टीनेशल कंपनी में नौकरी करती थीं. अब दोनों मिलकर खेती कर रहे हैं.

विनोद के हाथ में है अपने खेत की नब्ज: विनोद ने बताया कि तीन एकड़ में सेंसर लगी कई मशीनें लगायी गयी हैं. यहां वेदर स्टेशन भी लगाया गया है. सेंसर मशीन से मेरे मोबाइल पर अलर्ट आ जाता है. मिट्टी में नमी की रिपोर्ट मिल जाती है. इससे हम जहां भी रहते हैं, वहीं से पानी की मशीन मोबाइल के माध्यम से ऑन कर देते हैं. खेतों में कई सप्लाई लाइन हैं. जिस सप्लाई लाइन की जरूरत होती है, वही ऑन किया जा सकता है. इससे खेतों में समय पर पानी मिल जाता है. इससे समय रहते फसल की जरूरत पूरी हो जाती है. करीब एक साल पहले इसकी शुरुआत की गयी थी. इससे मटर व अन्य फसल ली गयी हैं. अभी यहां तरबूज और मटर लगा हुआ है. इससे पौधों के स्वास्थ्य, नाइट्रोजन की उपलब्धता, मिट्टी की नमी, सॉयल ऑर्गेनिक कार्बन, ग्रीनरी लेवल भी मेंटेन रहता है. इसके उपयोग से कीटनाशकों की लागत 95 फीसदी कम होती है. उपज में 45 फीसदी की वृद्धि होती है.

पायटल प्रोजेक्ट के तहत पूरे राज्य में हो रहा यह काम : सेटेलाइट मॉनिटरिंग आधारित हाइटेक एवं सूक्ष्म कृषि को बढ़ावा देने के लिए ‘इफको किसान सुविधा लिमिटेड’ के सहयोग से पायलट प्रोजेक्ट के तहत राज्य में यह काम शुरू किया गया है. नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक एसके जहागिरदार कहते हैं कि विनोद कुमार ने इस परियोजना को लागू करने का जिम्मा उठाया है. इससे आदिवासी किसानों को भी जोड़ा जा रहा है.

वर्जन : छोटे और सीमांत किसानों के बीच स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने की एक पहल पूरे देश में शुरू की गयी है. यह फसलों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से बचाने में मदद करती है. बदलते मौसम में कृषि में होने वाली हानि को लाभ में बदलने में मदद मिली है.

– सूरज कुमार सिन्हा, वरीय प्रबंधक, इफको किसान सुविधा लिमिटेड

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