थिम्पू : बिहार में नालंदा विश्वविद्यालय को उत्कृष्टता के वैश्विक केंद्र के रुप में विकसित करने के लक्ष्य के सहयोग को लेकर भारत और भूटान राजी हो गए हैं. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और भूटान नरेश जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक की वार्ता के बाद आज दोनों पक्षों ने थिम्पू में इस संबंध में सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया.
विदेश सचिव सुजाता सिंह और उनके भूटानी समकक्ष येशे दोरजी ने इस सहमतिपत्र पर हस्ताक्षर किया.
सहमतिपत्र के अनुसार, नालंदा विश्वविद्यालय के लक्ष्यों और कार्यों में एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय शिक्षण केंद्र की स्थापना करना है जो लिंग, जाति, नस्ल, विकलांगता, धर्म और सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि से परे सभी देशों से विलक्षण और सबसे ज्यादा समर्पित छात्रों को एक साथ ला सके.
समझौते के अनुसार भारत इस विश्वविद्यालय में पढ़ने या काम करने आ रहे छात्रों र कर्मचारियों को समुचित वीजा देगा. विश्वविद्यालय की स्थापना और उसे चलाने के लिए धन की व्यवस्था स्वैच्छिक दान पर आधारित होगी.