उत्तरप्रदेश में राज्यसभा चुनाव : राजनीतिक दलों ने धन्ना सेठों को नकार निष्ठावानों को मैदान में उतारा
लखनऊ से राजेन्द्र कुमार उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की रिक्त हुई दस सीटों पर इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों ने थैलीशाह धनपतियों को नकार दिया है. परिणाम स्वरूप लंबे समय बाद सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों के प्रमुखों ने पार्टी के निष्ठावान नेताओं को राज्यसभा भेजने के लिए चुना है. ऐसे में […]
लखनऊ से राजेन्द्र कुमार
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की रिक्त हुई दस सीटों पर इस बार प्रमुख राजनीतिक दलों ने थैलीशाह धनपतियों को नकार दिया है. परिणाम स्वरूप लंबे समय बाद सपा, बसपा, भाजपा और कांग्रेस जैसे बड़े दलों के प्रमुखों ने पार्टी के निष्ठावान नेताओं को राज्यसभा भेजने के लिए चुना है. ऐसे में अपने धनबल और राजनीतिक संबंधों के सहारे देश के उच्च सदन यानीकी राज्यसभा पहुंचने की मंशा रखने वाले अमर सिंह, अजित सिंह, अखिलेश दास, बेनी प्रसाद वर्मा जैसे नेताओं असफलता हाथ लगी है.
प्रमुख राजनीतिक दलों के इस फैसले से राज्यसभा चुनावों के लिए यूपी में इस बार चुनावी तस्वीर बिल्कुल बदली सी नजर आ रही है, हालांकि एक माह पूर्व ऐसा नहीं था. तब यूपी में रिक्त हो रही दस राज्यसभा सीटों पर नजर टिकाते हुए देश के तमाम प्रमुख नेता व औद्योगिक एवं मीडिया घरानों के मुखिया सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ,बसपा सुप्रीमों मायावती और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपना बायोडेटा देने में लगे थे. ताकि उक्त दलों के मुखिया पार्टी के कोटे से उन्हें राज्यसभा भेजने पर विचार कर लें.
इसी मंशा के तहत ही सपा से नाता तोड़ चुके अमर सिंह ने अपने को मुलायमवादी बताते हुए सपा प्रमुख मुलायम सिंह से मुलाकात की थी. कुछ औद्योगिक एवं मीडिया घरानों के मुखिया भी मुलायम सिंह से मिले क्योंकि रिक्त हुई दस सीटों में सपा के छह सदस्य राज्यसभा के लिए चुने जाने हैं. इसी तरह मीडिया में आयी खबरों व मायावती के बयानों के मुताबिकबसपा सुप्रीमो से भी अखिलेश दास सरीखे नेताओं ने मुलाकात की और बसपा के कोटे से फिर राज्यसभा जाने के लिए पार्टी को चंदे के रूप में भारी धनराशि देने का वायदा भी किया. बसपा के भी दो सदस्य इन चुनावों में राज्यसभा के लिए चुने जाएंगे.
वहीं कांग्रेस तथा भाजपा अपने कोटे से एक-एक सदस्य को राज्यसभा भेजने की स्थिति में है. इसी के चलते मनमोहन सरकार में मंत्री रहे रालोद के मुखिया अजित सिंह ने राज्यसभा जाने के लिए सोनिया गांधी से लेकर मुलायम सिंह तक संदेश भेजा पर उनकी बात नहीं बनी. पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा, सलमान खुर्शीद, कपिल सिब्बल जैसे बड़े कांग्रेसी नेताओं के राज्यसभा जाने का प्रयास भी असफल रहा क्योंकि कांग्रेस, सपा, बसपा के प्रमुखो ने लोकसभा चुनावों में भाजपा के हाथों मिली करारी शिकस्त के बाद थैलीशाहों की जगह सूबे के समीकरणों का ध्यान रखते हुए पार्टी के निष्ठावान नेता को ही राज्यसभा में भेजने का फैसला किया. भाजपा ने भी कुछ इसी तर्ज पर सोचते हुए राम माधव का नाम किनारे करते हुए मनोहर पर्रिकर को राज्यसभा भेजने का फैसला लिया.
हालांकि यूपी से राज्यसभा जाने वालों का इतिहास देखें तो बसपा से जयंत मल्होत्रा को राज्यसभा भेजने के फैसले को उनकी आर्थिकक्षमता से ही जोड़कर देखा गया था. वर्ष 2008 में कांग्रेसी से बसपाई हुए अखिलेश दास का राज्यसभा जाना अनायास ही नहीं था. सपा से अनिल अंबानी और कांग्रेस से राजीव शुक्ला का पहली बार राज्यसभा पहुंचना संबंधों व राजनीतिक पहुंच की काबिलियत से जोड़ा गया था. 2002 में उद्योगपति ललित सूरी को राज्यसभा पहुंचाने को लेकर हुई उठापटक अभी भी यूपी के विधायक भूले नहीं है. तब आर्म्स डीलर सुरेश नंदा को उनके खिलाफ पर्चा भरना भी जलालत का सबब बन गया था. सपा से राज्यसभा गए अमर सिंह की आम शोहरत राजनीति और कारपोरेट के बीच सेतु की ही रही है. भाजपा नेता सुधांशु मित्तल ने भी 2006 में कोशिश राज्यसभा पहुंचने की पूरी की थी. परन्तु इस बार कोई प्रमुख राजनीतिक दल इस तरह के विवाद में नहीं फंसा और सभी ने बहुत सोचविचार कर ही राज्यसभा चुनावों को लेकर अपने उम्मीदवार उतारे.
राजनीतिक दलों के प्रमुखों की इस जोड़ तोड़ का ही नतीजा है कि दस राज्यसभा सीटों के लिए निर्विरोध निर्वाचन की स्थिति बन गई है. हालांकि बसपा सांसद के भाई कमर अहमद ने ग्यारहवें प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र सोमवार को दाखिल किया है पर उनके नामांकन पत्र पर किसी भी विधायक के हस्ताक्षर नहीं है. कई अन्य खामियां भी उनके नामांकन पत्र में हैं. जिसे लेकर प्रदेश पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री अंबिका चौधरी दावा करते हुए कहते हैं कि निर्वाचन अधिकारी कमर अहमद के नामांकन पत्र की खामियों के आधार पर उनका नामांकन पत्र खारिज कर देंगे. फिर 13 नवंबर को सपा, बसपा, कांग्रेस और भाजपा के प्रत्याशियों को निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा और थैली के भरोसे राज्यसभा पहंचने की मंशा रखने वाले नेताओं की बोलती बंद हो जाएगी.
यह नेता होंगे निर्विरोध निर्वाचित
सपा से : प्रो.रामगोपाल यादव, चन्द्रपाल यादव, जावेद अली खां, डा. तजीन फातिमा, रवि प्रकाश वर्मा, नीरज शेखर।
बसपा से : राजाराम और वीर सिंह एडवोकेट
कांग्रेस से : पीएल पुनिया
भाजपा से : रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर को