नोएडा विकास प्राधिकरण के विवादास्पद मुख्य अभियंता यादव सिंह निलंबित
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा विकास प्राधिकरण के विवादास्पद मुख्य अभियंता यादव सिंह को आज अंतत: निलंबित कर दिया. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यादव सिंह को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिये गये हैं. जांच नोएडा के मुख्य कार्याधिकारी करेंगे. उल्लेखनीय है कि 27 नवंबर की सुबह […]
लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने नोएडा विकास प्राधिकरण के विवादास्पद मुख्य अभियंता यादव सिंह को आज अंतत: निलंबित कर दिया. राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि यादव सिंह को निलंबित कर उनके खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिये गये हैं. जांच नोएडा के मुख्य कार्याधिकारी करेंगे.
उल्लेखनीय है कि 27 नवंबर की सुबह यादव सिंह की पत्नी कुसुमलता और उनके साङोदारों की कंपनियों पर आयकर विभाग की टीमों ने छापे मारे थे. दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में ये छापे मेकान इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड और मीनू क्रिएशन्स प्राइवेट लिमिटेड के परिसरों पर मारे गये.
इन कंपनियों पर मुख्य आरोप है कि प्रापर्टी के काम में इन कंपनियों ने कोलकाता से बोगस शेयर होल्डिंग बनाकर 30 से 40 कंपनियों के जरिए नोएडा प्राधिकरण से अपने नाम भूखंड आवंटित कराये और फिर इन कंपनियों के शेयर बेच दिये. इस प्रकार शेयर खरीदने वाले पक्ष को इन कंपनियों के खरीदे भूखंड मिल गये. ये सभी सौदेबाजी पिछले तीन से चार साल के दौरान हुई. इस प्रकार कर की चोरी हुई है.
जिस दौरान भूखंडों की सौदेबाजी हुई, यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण में मुख्य अभियंता के पद पर तैनात थे. आयकर छापों के दौरान यादव सिंह के यहां लाखों रुपये की नकदी, करोड़ों रुपये के हीरे और सोना तथा कई लॉकर बरामद किये गये थे.
उच्चतम न्यायालय की काले धन पर बनी एसआइटी के निर्देश पर आयकर विभाग विभिन्न दस्तावेज और जानकारियां प्रवर्तन निदेशालय(इडी) से साझा कर रहा है.
उत्तर प्रदेश में पूर्व की मायावती सरकार के समय यादव सिंह नोएडा प्राधिकरण के मुख्य अभियंता थे. सपा सरकार आने के बाद यादव सिंह को निलंबित कर उनके खिलाफ सीबीसीआइडी जांच बिठा दी गयी थी लेकिन सीबीसीआइडी जांच में बरी होते ही सपा सरकार ने यादव सिंह को न सिर्फ नोएडा, बल्कि ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेस-वे जैसे तीन महत्वपूर्ण प्राधिकरणों में तैनाती दे दी. यादव सिंह को नोएडा प्राधिकरण में पुन: तैनात किये जाने और आयकर छापों में अथाह संपत्ति का पता लगने के बावजूद उन्हें निलंबित नहीं किये जाने को लेकर सपा सरकार विपक्ष के निशाने पर थी और उसे विपक्ष की तीखी आलोचना सहनी पड़ी.