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राष्ट्रीय जनता दल के कार्यालय में छायी रही वीरानगी

छपरा (सारण) सारण के सांसद व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को सीबीआइ की अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं में घोर उदासी का माहौल रहा. राजद कार्यालय विधायक जितेंद्र राय के आवास पर वीरानगी छायी रही. शहर के रौजा स्थित जिला राजद कार्यालय पर दिन भर सन्नाटे […]

छपरा (सारण)
सारण के सांसद व राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को सीबीआइ की अदालत द्वारा दोषी करार दिये जाने के बाद उनके समर्थकों व कार्यकर्ताओं में घोर उदासी का माहौल रहा. राजद कार्यालय विधायक जितेंद्र राय के आवास पर वीरानगी छायी रही.
शहर के रौजा स्थित जिला राजद कार्यालय पर दिन भर सन्नाटे का माहौल रहा. श्री नंदन पथ स्थित विधायक जितेंद्र राय के आवास सह कार्यालय पर भी सन्नाटा का आलम छाये रहा. मौना चौक स्थित पूर्व मंत्री उदित राय के कार्यालय पर भी वीरानगी का माहौल रहा. बताते चलें कि राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद की यह कर्मभूमि है और यहीं से उन्होंने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी.
पहली बार 1977 में वह छपरा लोकसभा क्षेत्र के सांसद बने और 1989 में भी सांसद चुने गये. 1990 में बिहार के मुख्यमंत्री बने और सोनपुर विधानसभा क्षेत्र के प्रतिनिधित्व दो बार किये. 2004 में जब वह सांसद बने, तो रेलमंत्री के पद को सुशोभित किया और रेलमंत्री के रूप में लालू ने सारण को औद्योगिक हब बनाने का कार्य शुरू किया. हालांकि यह कार्य अभी पूरा होना शेष है. दरियापुर रेल चक्का कारखाना बन कर तैयार है और मढ़ौरा में डीजल रेल कारखाना बनाने का कार्य शुरू होनेवाला है.
राजद का है आधार क्षेत्र
सारण राजद का गढ़ माना जाता है. लोग इस बात को मानते आये हैं कि यह उनका आधार क्षेत्र है और इसी बल पर पूरे देश में उनकी तूती बोलती है. इस क्षेत्र में जितना लालू को भावनात्मक लगाव है, उतना ही अधिक यहां के लोगों का भावनात्मक जुड़ाव रहा है. यही वजह है कि पूरे जिले में कोर्ट के फैसले से लोगों में उदासी व निराशा का माहौल रहा.
पहले भी जा चुके हैं जेल
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद पहले भी दो बार जेल जा चुके हैं, लेकिन पहले जेल जाने और अब जेल जाने में फर्क है. पहली बार वे 1974 में जेल गये थे, तो वह आपातकाल का दौर था. संपूर्ण क्रांति के प्रणोता लोकनायक जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर लालू आंदोलन में कूद पड़े और वह उस समय छात्र राजनीति में थे. जेल जाने के साथ ही लालू ने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी. दुबारा 1996 में वह जेल गये, तो उस समय बिहार के मुख्यमंत्री थे. जेल जाने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा. इस बार जब जेल गये, तो सारण के सांसद हैं और राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.

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