सीवान.
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की योजना को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का कार्य सामाजिक कार्यकर्ता आशा के जिम्मे हैं. जानकारों क ी मानें तो आशा को एनआरएचएम का बैक बोन कहा जाता है. लेकिन सीवान क े हालात पर नजर डालें तो यहां एनआरएचएम की पूरी योजना में अगर सबसे ज्यादा कोई उपेक्षित है तो वह आशा ही है. हालांकि जिले में 3008 आशा का पद है, जिसमें 2943 आशा नियुक्त है. एनआरएचएम की लगभग सभी योजनाओं को ग्रामीण क्षेत्रों में लागू करने का कार्य आशा के द्वारा होता है, जिनमें जननी बाल सुरक्षा योजना,आदर्श दंपती योजना, परिवार कल्याण कार्यक्रम, जच्च-बच्चा प्रतिरक्षण कार्यक्रम, टीबी नियंत्रण कार्यक्रम व कुष्ठ नियंत्रण कार्यक्रम प्रमुख हैं. इन सभी योजनाओं को लागू कराने के लिये आशा को प्रोत्साहन राशि दी जाती है. लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण प्रोत्साहन राशि भी समय पर नहीं मिलती, जिसके कारण जिले भर की आशा परेशान रहती हैं. जिले के कई आशा ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि स्वास्थ्य प्रबंधक व लेखापालों द्वारा जानबूझ कर प्रोत्साहन राशि के भुगतान में विलंब किया जाता है. साथ ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, रेफरल अस्पताल व सदर अस्पताल में क ार्यरत एएनएम उन्हें उपेक्षा की दृष्टि से देखती हैं. साथ ही प्रसव के लिये लाये गये मरीजों पर कमीशन की भी मांग करती है. हालांकि इस संबंध में जिला स्वास्थ्य समिति के अधिकारियों का कहना है कि आशा को समय से प्रोत्साहन राशि देने का प्रयास किया जाता है. लेकिन कभी-कभी कुछ तकनीकी कारणों से भुगतान में विलंब हो जाता है. आशा के द्वारा किये जा रहे कार्यो के मूल्यांकन के आधार पर जिला स्वास्थ्य समिति प्रतिवर्ष प्रखंड की तीन श्रेष्ठ आशा को पुरस्कृत किया जाता है. डीसीएम से मिली जानकारी के अनुसार मार्च महीने में जिले की कुल 57 आशा क ो जिला स्वास्थ्य समिति के द्वारा पुरस्कृत किया गया. ग्रामीण क्षेत्रों में एनआरएचएम के कार्यक्र म को ठीक से लागू करने की जिम्मेवारी स्वास्थ्य प्रबंधकों पर है और आशा को मोबलाइज करने के लिए स्वास्थ्य समिति के द्वारा प्रत्येक प्रखंडों में बीसीएम प्रतिनियुक्त किये गये हैं लेकिन सीवान के अधिकतर प्रखंडों में स्वास्थ्य प्रबंधकों व बीसीएम के बीच अहम की लड़ाई के चलते एनआरएचएम की बैक बोन क ही जाने वाली आशा को काफी परेशानी होती है.