योग शिक्षिका राफिया नाज मामले पर बाबूलाल ने उठाए हेमंत सरकार पर सवाल, कहा- राज्य सरकार की खामोशी आश्चर्यजनक
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को योग शिक्षिका राफिया नाज पर हुए हमले और उन्हें मिल रही जान से मारने की धमकी पर प्रदेश सरकार से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की.
रांची : भाजपा विधायक दल के नेता एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सोमवार को योग शिक्षिका राफिया नाज पर हुए हमले और उन्हें मिल रही जान से मारने की धमकी पर प्रदेश सरकार से उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की. मरांडी ने सोमवार को अपने आवास से डिजिटल संवाददाता सम्मेलन में पुलिस महानिदेशक द्वारा योग शिक्षिका के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग किए जाने की भी कड़ी आलोचना की और पूछा कि क्या प्रदेश सरकार चाहती है कि झारखंड से कोई दूसरी मलाला बने?
उन्होंने कहा कि यहां योग शिक्षिका के साथ मुट्ठी भर लोगों की मानसिकता को देखते हुए यही लगता है कि सही मायने में यह मामला पाकिस्तान की शिक्षा कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई से इतर नहीं है. संवाददाता सम्मेलन में स्थानीय योग शिक्षिका राफिया नाज के साथ मौजूद मरांडी ने बताया कि देश में योग शिक्षा के लिए दर्जनों मेडल और प्रशस्ति पत्र जीत चुकी रफिया को जान से मारने की धमकी और हमला करने की कोशिशों के बावजूद हेमंत सरकार का इस मुद्दे पर मौन बेहद आश्चर्यजनक है और इसीलिए उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है तथा इस मामले से प्रधानमंत्री और केन्द्रीय गृहमंत्री को भी अवगत कराया है.
संवाददाता सम्मेलन में रफिया नाज ने बताया कि योग ही उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है. उन्होंने कहा, ‘‘मुझे प्रतिदिन जान से मारने की धमकी दी जा रही है लेकिन इसकी शिकायत राज्य सरकार और पुलिस से करने पर उन्होंने उनकी सुरक्षा वापस ले ली और स्वयं पुलिस महानिदेशक ने कहा, ‘मेरा दिमाग न खराब करो’. ” रफिया ने बताया कि योग करने और उसकी शिक्षा देने के कारण उन्हें अनेक वर्षों से जान से मारने की धमकी दी जा रही है.
उन्होंने कहा, “राज्य की पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार ने उन्हें सुरक्षा उपलब्ध करायी थी परन्तु नयी सरकार ने उनकी सुरक्षा वापस लेकर उन्हें धमकी देने वाले कट्टरपंथियों और हमला करने वालों के समक्ष असहाय अकेला छोड़ दिया. ” बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में मुख्यमंत्री को पत्र लिख कर रफिया को सुरक्षा उपलब्ध कराने और मामले की जांच करवाने की बात कही है.
मरांडी ने कहा कि जिस युवती पर राज्य को फक्र होना चाहिए उसके साथ हुई ज्यादती रोंगटे खड़ी करने वाली है. उन्होंने कहा कि राफिया द्वारा इस मामले में फोन पर गुहार लगाने के बाद राज्य के सबसे बड़े ओहदे पर बैठे पुलिस अधिकारी की भाषा प्रदेश के लिए बहुत ही चिंताजनक है. उन्होंने कहा कि राफिया ने केवल इतना कुसूर किया है कि वह योग को बढ़ावा देती है और लोगों को निरोग बनाने के लिए योग सिखलाती है.
उन्होंने आरोप लगाया कि संबंधित समुदाय के गिने चुने असामाजिक लोग इसे पचा नहीं पा रहे हैं. मरांडी ने कहा कि राफिया ने इस बारे में पुलिस को कई बार लिखित शिकायत दी. ऑनलाइन एफआईआर भी दर्ज कराईं. मानवाधिकार आयोग ने भी इसे गम्भीरता से लेते हुए रांची पुलिस से 12 जुलाई को 8 सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है.
महिला आयोग ने भी इसे संज्ञान में लिया है. उन्होंने कहा, ‘‘प्रभारी पुलिस महानिदेशक द्वारा एक लड़की की बात को बिना पूरा सुने यह कहना कि फोन रखो, दिमाग मत खराब करो गैर जिम्मेदाराना रुख को प्रदर्शित करता है. ऐसे में फिर क्यों नहीं राज्य का कोई दुस्साहसी दारोगा महिलाओं का खुलेआम बाल खींचने और मारपीट करने की दुस्साहस करेगा. ”
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अगर राफिया को सुरक्षा देने में अक्षम है तो वह लिखित बताए. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र की प्रति प्रधानमंत्री एवम् गृह मंत्री को भी प्रेषित किया है.
posted by : sameer oraon