Bhagalpur Lok Sabha Election : लोकसभा के लिए भागलपुर व बांका में 26 अप्रैल को मतदान है. आमलोगों को मतदान करने के लिए कार्यालयों व कार्यस्थलों से महज एक दिन का अवकाश मिलेगा. ऐसे में प्रश्न यह उठता है कि दूर-दराज से भागलपुर शहर में आकर पढ़ाई- लिखाई व कामकाज करने वाले लोग या दूर में रह रहे भागलपुर के लोग, क्या अपने गांव व शहर पहुंचकर मतदान कर सकेंगे. इस बाबत विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत कर्मियों व संगठनों से बातचीत की गयी. सभी संगठनों ने एक स्वर में अपने कर्मियों से मतदान में भाग लेकर लोकतांत्रिक कर्तव्य को पूरा करने की अपील की. वहीं दूसरे राज्य व बिहार के अन्य जिलों के कर्मियों का कहना है कि जिस दिन मतदान होगा, सिर्फ उसी दिन की छुट्टी मिलेगी. सड़कों पर वाहनों का परिचालन नहीं के बराबर होगा. ट्रेन की मदद से रेलवे स्टेशन तो पहुंच सकते हैं लेकिन गांव तक पूरे परिवार को लेकर पहुंचना काफी परेशानी भरा मामला हो सकता है. निर्वाचन आयोग को अपने घरों से बाहर रह रहे लोगों के लिए भी मतदान करने की व्यवस्था करनी होगी. इसके बिना मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ने वाला है.
800 में अधिकांश एमआर दूसरे शहर व राज्य के निवासी
बिहार झारखंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिव्स यूनियन के जिला इकाई के मीडिया प्रभारी रंजीत आचार्य ने बताया कि भागलपुर जिले में 800 से अधिक एमआर कार्यरत हैं. अधिकांश एमआर दूसरे जिले व दूसरे राज्य के रहने वाले हैं. सभी दवा कंपनियों की ओर से मतदान दिवस पर अवकाश घोषित किया गया है. यूनियन की तरफ से अपील है कि सभी एमआर अपने गांव व शहरों में जाकर मतदान जरूर करें. वहीं कई बक्सर, पटना, इलाहाबाद, रांची व मोतिहारी जैसे शहरों के एमआर का कहना है कि एक दिन में मतदान कर वापस ड्यूटी पर लौटना काफी चुनौतीपूर्ण होगा. दो से तीन दिन की छुट्टी मिलती तो जरूर जाते.
किरायेदारों को घर जाने में घोर परेशानी
बांका कटोरिया के जीवन रजक शहर के अलीगंज में किराये के मकान में रहकर तीन बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे हैं. वह खुद एक निजी कंपनी में सेल्समैन के तौर पर कार्यरत हैं. उन्होंने बताया कि बांका में मतदान 26 अप्रैल को है. जबकि 25 अप्रैल को शाम सात आठ बजे काम से छुट्टी मिलेगी. रात में परिवार के पांच सदस्यों को लेकर कटोरिया तक जाना मुश्किल से भरा रहेगा. 26 को अगर बस मिलती है तो घर जाने की कोशिश करेंगे.
भागलपुर में 18 जिलों के रहते हैं छात्र
शहर के प्राइवेट स्कूलों में पढ़ा रहे सैकड़ों शिक्षक भी दूसरे जिले के रहने वाले हैं. जबकि यूनिवर्सिटी में पढ़ाई करने वाले, प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले हजारों छात्र भी महज एक दिन की छुट्टी में मतदान करने शायद अपने घर न जा पाये. पीजी छात्र महेश कुमार ने बताया कि वह धोरैया बांका के रहने वाले हैं, मतदान के लिए कक्षा बंद रहेगी. कोशिश रहेगी कि सुबह-सुबह ट्रेन से मतदान के लिए निकलें. मामले पर प्राइवेट टीचर एसोसिएशन के संयोजक राकेश कुमार ने बताया कि भागलपुर में बिहार व झारखंड के 18 जिले के छात्र व शिक्षक रहते हैं. छात्रों में अधिकांश दसवीं, 12वीं, ऑनर्स व पीजी समेत प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी से जुड़े हैं. इन्हें कम से कम दो दिनों की छुट्टी मिलनी चाहिये. इससे वोट का प्रतिशत और बढ़ेगा. उन्होंने कहा कि बेहतर भविष्य के निर्माण के लिए हमें मतदान जरूर करना चाहिये.
आठ हजार से अधिक मजदूर चले गये बाहर
मजदूर संगठन एक्टू के प्रदेश सचिव मुकेश कुमार मुक्त ने बताया कि संगठन से जुड़े आठ हजार से अधिक मजदूर राज्य के बाहर कामकाज के लिए निकल गये हैं. सभी होली मनाकर वापस लौट गये हैं. चुनाव भी महापर्व की तरह है. इसके लिए केंद्र सरकार को कम से कम सात दिन का अवकाश का नियम लागू करना चाहिये. वहीं स्पेशल ट्रेन का संचालन करना चाहिये. मतदान के लिए सिर्फ एक दिन की छुट्टी मिलती है, ऐसे में लोग बाहर से अपने गांव आकर मतदान करेंगे, यह कैसे संभव है. चुनाव आयोग को चाहिये कि तकनीक के सहारे लोग बाहर रहकर भी अपने निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदान कर पायें.