बिहार में मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही जदयू कोटे से 9 मंत्रियों ने शपथ ली है. 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद नीतीश कैबिनेट में जदयू कोटे के कुछ विधायकों को तीसरी बार, कुछ विधायकों को दूसरी और एक को पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिला है. जदयू ने पुराने चेहरों पर भरोसा जताया तो भाजपा ने अपने कोटे से मंत्री बनाने में सोशल इंजीनियरिंग दिखाया है. जदयू कोटे से तीसरी बार मंत्री बनने वालों में मुख्य रूप से अशोक चौधरी, लेसी सिंह, जयंत राज, सुनील कुमार, जमा खान, शीला कुमारी और मदन सहनी शामिल हैं. वहीं दूसरी बार मंत्री बनने वालों में रत्नेश सदा और पहली बार मंत्री बनने वालों में महेश्वर हजारी शामिल हैं.
जदयू कोटे के 9 मंत्री..
जदयू कोटे से नौ मंत्रियों ने शपथ ग्रहण की है. इसमें अनुसूचित जाति समुदाय से तीन मंत्री शामिल हैं. वहीं अनुसूचित जनजाति समाज से एक मंत्री, अतिपिछड़ा समाज से दो मंत्री, पिछड़ा समाज से एक, सवर्ण समाज से एक मंत्री सहित मुस्लिम समाज से एक मंत्री भी शामिल हैं. इससे पहले अशोक चौधरी पिछली बार भवन निर्माण विभाग में मंत्री पद का कार्यभार संभाल रहे थे. इनका राजनीतिक करियर कांग्रेस में भी रहा. इन्होंने कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी. ये अनुसूचित जाति समाज से आते हैं. लेसी सिंह भी पिछली दोनों बार खाद्य एवं उपभोक्ता मंत्री रही थीं. ये राजपूत यान सवर्ण समाज से आती हैं. मदन सहनी पिछली बार समाज कल्याण विभाग के मंत्री का पदभार संभाल रहे थे. ये अतिपिछड़ा समाज से आते हैं.
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2020 के बाद पहली बार मंत्री बने महेश्वर हजारी
महेश्वर हजारी को 2020 के बाद पहली बार मंत्री पद का कार्यभार दिया गया है. इससे पहले वे विधानसभा उपाध्यक्ष का कार्यभार संभाल रहे थे. वे समस्तीपुर से सांसद रहे हैं. वे अनुसूचित जाति समाज से आते हैं. शीला कुमारी 2020 में पहली बार विधायक बनने के बाद मंत्री बनीं. उन्होंने इस बार तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है. ये पिछली बार परिवहन मंत्री थीं. ये अतिपिछड़ा समाज से आती हैं.
आइपीएस अधिकारी रहे हैं सुनील कुमार
सुनील कुमार ने 2020 के बाद तीसरी बार मंत्री पद का कार्यभार ग्रहण किया है. वे वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी रह चुके हैं. ये 2020 में पहली बार विधायक और फिर मंत्री बने. इनको मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी. ये अनुसूचित जाति समाज से संबद्ध हैं.
जदयू के युवा नेता हैं जयंत राज
युवा नेता जयंत राज ने 2020 के बाद तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली. इसके पहले उन्होंने ग्रामीण कार्य विभाग और लघु जल संसाधन विभाग में मंत्री पद का कार्यभार संभाला था. वे पिछड़ा वर्ग से आते हैं. जमा खान ने भी तीसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है. इससे पहले वे अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री थे. वे मुस्लिम समाज से आते हैं. रत्नेश सदा ने भी दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है. वे अनुसूचित जनजाति समाज से आते हैं. इससे पहले वे अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री थे.
मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा की दिखी सोशल इंजीनियरिंग
नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार में भाजपा ने सोशल इंजीनियरिंग का पूरा ख्याल रखा है. भाजपा से सवर्ण से पांच, पिछड़ा वर्ग से तीन,अतिपिछड़ा वर्ग से दो और दो दलित मंत्री बनाये गये हैं.दूसरी बार मंत्री पद की शपथ लेने वाली पूर्व उपमुख्यमंत्री रेणु देवी अतिपिछड़ा वर्ग के नोनिया जाति से आती हैं. वहीं, पहली बार विधान पार्षद बने और मंत्री पद की शपथ लेने वाले हरी सहनी भी अतिपिछड़ा वर्ग के मल्लाह जाति से आते हैं.पिछड़ा वर्ग से मंत्री बनने वाले विधान पार्षद दिलीप जायसवाल व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता वैश्य समुदाय और सुरेंद्र मेहता कुशवाहा जाति से आते हैं.तीनों पहली बार मंत्री बने हैं.वहीं, दूसरी बार मंत्री पद की शपथ लेने वाले नितीन नवीन कायस्थ जाति से हैं.
कोई पहली बार, तो कोई दूसरी बार बने मंत्री
दूसरी बार मंत्री पद की शपथ लेने वाले विधान पार्षद जनक राम और पहली बार मंत्री बनने वाले विधायक कृष्णनंदन पासवान दलित वर्ग से आते हैं, जबकि सवर्ण कोटे से ब्राह्मण समुदाय से आने वाले विधान पार्षद मंडल पांडेय और नीतीश मिश्र ने दूसरी बार मंत्री पद की शपथ ली है.वहीं, नीरज कुमार सिंह दूसरी बार और पहली बार मंत्री पद का शपथ लेने वाले संतोष सिंह राजपूत हैं.