Bihar Results: पटना. बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) ने 75 प्रतिशत सीटें जीती हैं, फिर भी एक सपना अधूरा ही रहा. मतदान से पूर्व भाजपा नेताओं ने कहा था कि पिछले चुनाव में किशनगंज हार जाने की कसक रही, इस बार हम 40 के 40 सीटें जीतेंगे. बिहार की राजनीति में एनडीए ने अपना दबदबा तो बनाए रखा, मगर पिछली बार वाला जादू नहीं चला. 2019 के लोकसभा चुनाव में 40 में 39 सीटें जीतने वाले राजग को इस बार 30 सीटों पर ही सिमट गया. पिछली बार महागठबंधन ने महज किशनगंज की एक सीट जीती थी. इस बार उसने नौ सीटों पर जीत दर्ज की है. पप्पू यादव ने पूर्णिया की सीट निर्दलीय लड़कर जीत ली है.
भाजपा से बेहतर जदयू का स्ट्राइक रेट
राजग की ओर से भाजपा और जदयू ने क्रमश: 17 और 16 सीटों पर चुनाव लड़ा था. दोनों ही दलों को 12-12 सीटों पर विजय मिली. ऐसे में जदयू का स्ट्राइक रेट भाजपा से बेहतर रहा, लेकिन सबसे शानदार प्रदर्शन लोजपा-रा का रहा. चिराग पासवान की पार्टी ने पांच में से पांच सीटें जीत ली. बिहार में सबसे बड़ी जीत भी चिराग की पार्टी के नाम ही रही. चिराग की पार्टी के पांच में से चार उम्मीदवार एक लाख से अधिक मतों के अंदर से जीते हैं. जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने अपनी गया की एकमात्र सीट जीत ली है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा को इस बार भी काराकाट से हार का सामना करना पड़ा. उनकी दल राष्ट्रीय लोक मोर्चा (रालोमो) का खाता नहीं खुल सका.
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राजद से बेहतर कांग्रेस व माले का प्रदर्शन
यही हाल महागठबंधन में मुकेश सहनी की अगुवाई वाली विकासशील इंसान पार्टी (वीआइपी) का रहा. इस बार भी तीन सीटों पर चुनाव लड़ी और सभी सीटें गंवा दीं. सीपीआइ और सीपीएम को भी अपनी एक-एक सीट पर हार का सामना करना पड़ा है. वैसे राजद का प्रदर्शन सबसे बुरा रहा. पार्टी 23 सीटों पर चुनाव लड़ी और मगर महज चार सीटों पर ही जीत हासिल की. इस मायने में कांग्रेस और माले ने शानदार वापसी की है. दोनों के स्ट्राइक रेट बेहतर रहे. कांग्रेस ने नौ में तीन, जबकि भाकपा माले ने तीन में से दो सीट पर जीत दर्ज की.