पटना. बाढ़ प्रभावित बिहार में पानी की ऐसी किल्लत हुई कि सौ से अधिक लोगों की जान ली जा चुकी है. पानी के लिए हुई हत्या का यह आंकड़ा देश में सर्वाधिक है. यह दावा होली की छुट्टी के बाद सोमवार से शुरू हुए विधानसभा में भाजपा के विधायक संजय सरावगी ने किया है. दरभंगा के पांच वार विधायक रहे संजय सरावगी ने अल्पसूचित तारांकित प्रश्नों को लेकर भाजपा की तरफ से नीतीश सरकार के धीमी कार्य रफ़्तार को लेकर सवाल उठाया.
संजय सरावगी ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नल-जल योजना की तारीफ़ करते फिरते हैं. लेकिन, इसके बाद भी आज बिहार के अंदर पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है. बिहार जैसे राज्य में पिछले तीन वर्षों के अंदर पानी के लिए 112 हत्याएँ हो चुकी है, जबकि इसी कालखंड में पूरे देश में पानी को लेकर महज 265 हत्या हुई हैं. बिहार में इतनी संख्या में हत्या होने के बाद भी सीएम नीतीश कुमार यह दावा करते हैं कि वो लोगों को साफ़ पानी मुहैया करवाते हैं, जो कि सरासर झूठ है. संजय सरावगी ने कहा कि सरकार को इस संबंध में एक रिपोर्ट तैयार करना चाहिए कि पीने के पानी के लिए कितनी हत्या हुईं और तालाब के लिए कितनी हत्या हुईं हैं.
इसके अलावा भाजपा विधायक संजय सरावगी ने कहा कि राज्य के अंदर कहने को तो सब कुछ हाईटेक और ऑनलाइन हो गया है, लेकिन इसके बाद भी वर्तमान में युवाओं को अपना एक चरित्र प्रमाण पत्र बनवाने को लेकर लंबा इंतजार करना पड़ता है और दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती है. इसके बाद भी युवाओं को हुई परेशानी के आलोक में किसी भी अधिकारियों पर कोई भी कार्रवाई नहीं की गयी है.
संजय सरावगी के आरोप पर सरकार की तरफ से मंत्री विजेंद्र यादव ने जबाव देते हुए कहा कि भाजपा विधायक को बिना पूरे आंकड़े को देखे यह नहीं कहना चाहिए कि बिहार में सबसे ज्यादा हत्या हुई हैं. मंत्री बिजेंद्र यादव ने वैसे स्वीकार किया कि बिहार में 112 हत्याएं हुई हैं, लेकिन इन हत्याओं के पीछे जल संकट नहीं बल्कि तालाबों को लेकर हुई झड़प का मामला है. मंत्री ने भाजपा नेता को एक अखबार की कीटिंग का हवाला दिया. साथ ही उन्होंने एनसीआरब की रिपोर्ट का भी हवाला दिया.
बिजेंद्र प्रसाद ने कहा कि 265 देश भर में है तो 112 सिर्फ बिहार में कैसे हो जाएगा? राज्यवार तो इन्होंने आंकड़ा मांगा नहीं है. इसी पर आगे बिजेंद्र प्रसाद ने कहा- सरावगी जी आप कितना देर पढ़ते हैं और कितना मेहनत करते हैं हम जान नहीं रहे हैं. ज्यादा तेज बनने की जरूरत नहीं है. थोड़ा कम तेज बनिए.”