यहां बच्चों को बाढ़ की छुट्टी का इंतजार

भागलपुर : इन स्कूलों के बच्चों को बाढ़ की छुट्टी का इंतजार रहता है. जिले के 50 स्कूलों में गरमी की नहीं बाढ़ की छुट्टी होती है. यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि पिछले 38 सालों से चल रही है. गंगा और कोसी के किनारे सटे जिले के 50 स्कूलों में सन 1978 से ही […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2017 11:26 AM
भागलपुर : इन स्कूलों के बच्चों को बाढ़ की छुट्टी का इंतजार रहता है. जिले के 50 स्कूलों में गरमी की नहीं बाढ़ की छुट्टी होती है. यह सिलसिला आज से नहीं बल्कि पिछले 38 सालों से चल रही है. गंगा और कोसी के किनारे सटे जिले के 50 स्कूलों में सन 1978 से ही शिक्षा विभाग के द्वारा बाढ़ की छुट्टी दी जा रही है. इस बार भी गरमी में यह स्कूल खुले रहे मगर हर वर्ष 15 अगस्त को जश्न-ए-आजादी के बाद 16 अगस्त को इन स्कूलों में बाढ़ की छुट्टी घोषित कर दी जाती है. गंगा व कोसी की कलकल बहती धार के बीच शिक्षा की बयार कुंद पड़ जाती है. कुछ स्कूल पानी में डूब जाते हैं तो कुछ बाढ़ पीड़ितों की शरणस्थली बन जाती है.
इस्माइलपुर प्रखंड के सभी स्कूलों में छुट्टी : गंगा के किनारे बसे इस्माइलपुर प्रखंड में सभी 36 स्कूलों में बाढ़ की छुट्टी होती है. प्रखंड के 18 प्राइमरी व 18 मिडिल स्कूल 16 अगस्त को बंद हो जायेंगे. तकरीबन 20 दिनों तक स्कूल बंद रहेंगे. 1978 से ही प्रखंड के स्कूलों में छुट्टी दी जा रही है.
नारायणपुर प्रखंड के 10 स्कूल होंगे : बंद नारायणपुर प्रखंड के 10 प्राइमरी व मिडिल स्कूल में बाढ़ कालीन अवकाश होता है. तबहिया, बैठकपुर व शहजादपुर ग्राम पंचायत के अधीन आते सभी स्कूल में ताले लग जाते हैं. यह दियारा का इलाका है. यहां मानसून के दौरान हर साल नदियां कहर बरपाती हैं.
खरीक प्रखंड में तीन स्कूलों में ताला : कोसी के उफान के कारण खरीक प्रखंड के तीन स्कूलों में ताले जड़ दिये जाते हैं. लखनपुर, नरैया व भवनपुरा आदि गांव में कोसी के कटाव के कारण स्कूल बंद कर दिये जाते हैं.
स्कूलों के भवन को भी नुकसान
बाढ़ के कारण इन 50 स्कूलों में हर साल कोई न कोई नुकसान भी होता है. धार तेज होने पर दीवार भी दरक जाती है. बाढ़ की छुट्टी के बाद स्कूल खुलता है तो यहां रिपेयरिंग की जरूरत पड़ती है.
स्कूल में ही शरण लेते हैं लोग
बाढ़ के दौरान जिन स्कूलों में पानी कम आता है वहां गांव वाले शरण ले लेते हैं. इसके अलावा प्रशासन द्वारा भी बाढ़ आपदा से संबंधी कार्यों का संचालन इन स्कूलों से ही होता है.

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