संतोष की हत्या करने पटना आया था दुर्गेश, पर पुलिस रही बेखबर

क्राइम. 11 साल की उम्र से ही दुर्गेश ने शुरू कर दिया था अपराध पटना : दुर्गेश ने कई अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया था. पुलिस जब इसे खोजने लगी, तो यह अंडरग्राउंड हो गया था. लेकिन यह संतोष सिंह की हत्या करने के लिए 2015 में पटना आया था और उसे अपने हाथों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 25, 2017 7:29 AM
क्राइम. 11 साल की उम्र से ही दुर्गेश ने शुरू कर दिया था अपराध
पटना : दुर्गेश ने कई अपराध की घटनाओं को अंजाम दिया था. पुलिस जब इसे खोजने लगी, तो यह अंडरग्राउंड हो गया था. लेकिन यह संतोष सिंह की हत्या करने के लिए 2015 में पटना आया था और उसे अपने हाथों से गोली मारी थी.
उसने संतोष सिंह की हत्या इसलिए कर दी थी, क्योंकि उसे शक था कि उसी ने बिरजू राय की हत्या की है. संतोष ही दुर्गेश को अपराध की दुनिया में लाया था. लेकिन बाद में वह संतोष सिंह से अलग हो गया और बिरजू राय के साथ हाथ मिला लिया. बिरजू राय संतोष का भी गुरु था. बिरजू राय के तीन छोटे-छोटे बच्चे थे. बदला लेने की नीयत से उसने संतोष सिंह की हत्या कर दी. वह पटना में करीब 15 दिनों तक रहा, लेकिन पटना पुलिस को उसकी भनक तक नहीं लगी. यह खुलासा उसने पकड़े जाने के बाद पुलिस के समक्ष किया है.
उसने यह जानकारी दी कि स्वर्ण व्यवसायी रविकांत की हत्या में उसका कोई हाथ नहीं था. उसकी हत्या अनजाने में ही करमू ने कर दी थी. करमू भी उसी के गिरोह का था. दुर्गेश शर्मा महज 11 साल की उम्र से अपराध की घटना को अंजाम देने लगा और उसने अपने गिरोह के साथ बुद्धा कॉलोनी इलाके से एक डॉक्टर का अपहरण कर 13 लाख की फिरौती वसूली थी. इस घटना को उसने 2001 में अंजाम दिया था. इसका मन बढ़ा और फिर इसने डॉक्टर भरत सिंह का भी अपहरण किया. पकड़े जाने के बाद इससे जब पुलिस ने पूछताछ की, तो उसने दोनों डॉक्टरों के अपहरण के साथ ही संतोष की हत्या में अपनी संलिप्तता को स्वीकार कर लिया और यह बताया कि उसने क्यों उन लोगों की हत्या की.
पूर्व विधायक के सरकारी आवास से हुई थी गिरफ्तारी : पुलिस ने इसे 2003 में जोगबनी के एक पूर्व विधायक जाकिर के सरकारी आवास से गिरफ्तार करने में सफलता पायी थी. इसके बाद यह साढ़े तीन साल बाद जमानत पर रिहा हुआ था. इसके बाद इसने ताबड़तोड़ कई घटनाओं को अंजाम दिया और 2010 में आरा में 26 लाख के बैंक लूट में यह पकड़ा गया.
इसके बाद 2011 में इसने फर्जी जमानत के कागज बनवाये और बेऊर जेल से छूट गया. इसके बाद यह अंडरग्राउंड हो गया और वह अपनी मां के पास असम के तिनसुखिया चला गया. उसकी मां वहां शिक्षिका थी. वह पटना में अपने पिता को लेकर वापस तिनसुखिया जाने वाला था, वह पकड़ लिया गया.
पूछताछ के बाद भेजा गया जेल : दुर्गेश शर्मा को पटना पुलिस ने पूछताछके बाद सोमवार को जेल भेज दिया. इसके साथ ही पुलिस ने दुर्गेश को रिमांड पर लेने के लिए आवदेन दिया है. फिलहाल आवेदन पर निर्णय नहीं हो सका. लेकिन संभवत: दुर्गेश को रिमांड पर लेने की अनुमति पुलिस को मिल जायेगी.
पटना : पिछले दो दशक से पटना में आतंक का पर्याय बना रवि गोप अब एसटीएफ के टारगेट पर है. वर्ष 2006 से फरार चल रहे रवि गोप पर 50 हजार का इनाम घोषित है. इस इनामी अपराधी की तलाश में एसटीएफ की एसआइजी जुट गयी है.
हत्या, लूट, हत्या के प्रयास और रंगदारी के 13 कांडों का भगौड़ा रवि गोप बिहार से बाहर जरूर है, पर उसके शूटर और गुर्गे पटना में रंगदारी वसूलते हैं. रवि गोप जरायम की दुनिया में एक डरावना नाम है जिसके एक इशारे पर गोलियों की तड़तड़ाहट होती है. पिछले 11 सालों से वह पुलिस को चकमा दे रहा है, पहले भी एसटीएफ उसे दिल्ली, मुंबई तक तलाश चुकी है. लेकिन, अब दुर्गेश शर्मा की गिरफ्तारी के बाद एसटीएफ के हौसले बुलंद हैं. रवि के बारे में पुलिस के पास जो जानकारी है उसके मुताबिक उसने नागपुर में रियल स्टेट का कारोबार फैला रखा है. वह मुंबई और नागपुर आता-जाता है. वहीं बैठ कर पटना में आपराधिक घटनाओं को अंजाम दिला रहा है. पुलिस मुख्यालय ने रवि गोप पर 20 सितंबर, 2016 को 50 हजार का इनाम घोषित किया. पिछली बार जब उसका शूटर श्रवण कहार पुलिस के हत्थे चढ़ा था, तो उसकी निशानदेही पर पुलिस टीम नागपुर गयी थी, लेकिन पहले ही वह भाग गया.
पकड़ा गया था रवि गोप का शार्प शूटर श्रवण कहार : श्रवण कहार रवि गोप का शूटर है. 13 जून, 2016 को उसे राजेंद्रनगर पुल के नीचे से गिरफ्तार किया था. सके पास से 500 ग्राम चरस बरामद किया गया गया था. 17 साल तक रवि के साथ रहने के दौरान श्रवण ने 11 लोगों की हत्या की है. श्रवण ने अपराध के जरिये अकूत चल व अचल संपत्ति अर्जित की है. वह पंडारक थाने के समरीपुर का रहने वाला है. छोटी-मोटी घटना को अंजाम देने के बाद उसने अपराध की दुनिया में कदम रखा.
रवि ने अपने शूटरों से करायी कई हत्याएं : रवि ने श्रवण से विरोधियों की एक-एक कर हत्या करवाई. राजधानी के चर्चित अशोक गुप्ता हत्याकांड में श्रवण कहार शामिल था. उसकी हत्या लोहानीपुर में चार साल पहले हुई थी. इससे पहले श्रवण ने वर्ष 2000 में सैदपुर नहर के पास शिवा नेता को मौत के घाट उतार दिया. पीरबहोर में 2001 में पंकज शर्मा को गोली मारकर हत्या कर दी. इसी साल श्रवण ने कदमकुआं में कालिया स्मैकियर को मार डाला. 2004 में सैदपुर में पोथवा की हत्या कर दी. 2006 में कदमकुआं के सैदपुर में लंगड़ा स्मैकियर की हत्या कर दी.
वर्ष 2012 में राजेंद्रनगर में अनिल ओझा, इसी साल लोहानीपुर में अंगरेजवा और 2011 में कोतवाली इलाके के वीणा सिनेमा के पास हापट गोप की हत्या कर दी थी.
वर्ष 2005 में कदमकुआं इलाके में दीनानाथ को मार डाला था. 2006 में साहित्य सम्मेलन के पास संग्राम सिंह को रास्ते से साफ कर दिया. इसके अलावा श्रवण ने वर्ष 2014 में एक डेयरी का 28 लाख रुपये लूट ली थी. इस घटना के बाद से श्रवण फरार हो गया था, जिसे पुलिस ने 2106 में गिरफ्तार किया.

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