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दो गोली लगने के बाद भी करता रहा संघर्ष

पटना: अपराधियों ने जब पुरुषोत्तम मिश्र को बैंक के गेट पर रोक कर बैग को छीनने का प्रयास किया तो उन्होंने अपराधियों को पीछे धकेल दिया. उस समय तक अपराधियों के हाथ में पिस्टल नहीं थी. अपराधी जब बैग छीनने में कामयाब नहीं हुए, तो एक ने पिस्टल निकाली और धमकी दी. लेकिन पुरुषोत्तम मिश्र […]

पटना: अपराधियों ने जब पुरुषोत्तम मिश्र को बैंक के गेट पर रोक कर बैग को छीनने का प्रयास किया तो उन्होंने अपराधियों को पीछे धकेल दिया. उस समय तक अपराधियों के हाथ में पिस्टल नहीं थी. अपराधी जब बैग छीनने में कामयाब नहीं हुए, तो एक ने पिस्टल निकाली और धमकी दी. लेकिन पुरुषोत्तम मिश्र ने बैग देने से इनकार कर दिया और उन लोगों से भिड़ गये.

गोली लगने के बाद भी जूझते रहे
पासा पलटते देख अपराधियों ने उन्हें पहले एक गोली मारी, ताकि बैग को छीन कर वे लोग आसानी से वहां से निकल सके. लेकिन एक गोली लगने के बाद भी वे अपराधियों से जूझते रहे. एक गोली मारने के बाद भी अपराधी उनसे बैग छीनने में सफल नहीं हो पाये. क्योंकि वे किसी भी हालत में बैग छोड़ने को तैयार नहीं थे. इसके बाद अपराधियों ने फिर से उन्हें एक गोली मार दी. दूसरी गोली लगने के बाद वे गिर गये और लेकिन तब भी उन्होंने पैसों से भरा बैग नहीं छोड़ा. लेकिन गोली लगने के कारण उनकी स्थिति काफी कमजोर हो चुकी थी और इसका फायदा उठाते हुए अपराधी उनके हाथ से बैग छीन कर निकल भागे.

अंतिम सांस तक भी नहीं हारी हिम्मत
अस्पताल पहुंचने के बाद भी पुरुषोत्तम मिश्र ने हिम्मत नहीं हारी और वे अस्पताल कर्मियों से बात करते रहे. उन्होंने ही अस्पताल कर्मियों को अपनी पत्नी अनामिका का मोबाइल नंबर दिया. जिस पर अस्पताल के लोगों ने घटना की जानकारी दी. उन्होंने अस्पताल कर्मियों को भी बताया कि उन्हें कुछ नहीं होगा. लेकिन उन्हें नहीं पता था कि शरीर के अंदर गोली लगने के कारण उनकी आंत फट गयी है.

मालिक के लिए हो गये बलिदान :पुरुषोत्तम मिश्र चाहते तो वे आसानी से बैग को अपराधियों के हवाले कर देते, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और अंतिम क्षण तक उन्होंने खुद बैग को अपराधियों के हवाले नहीं किया. दो गोली मारने के बाद ही अपराधी उनसे बैग लेकर निकल भागने में सफल रहे.

सुरक्षाकर्मी चाहते तो पकड़े जाते हत्यारे
पैसे छीने जाने की घटना बैंक के गेट पर पांच से दस मिनट के अंदर तक होती रही. लेकिन बैंक के सुरक्षाकर्मी अंदर थे. उन्हें तब इसकी जानकारी मिली, जब गोली की आवाज हुई. लेकिन पहली गोली की आवाज पर भी वे लोग सतर्क नहीं हुए और मोरचा नहीं संभाला. अगर वे लोग सतर्क होते तो संभावना यह बनती थी कि अपराधी दूसरी गोली नहीं मार पाते. लेकिन कहीं से भी उन अपराधियों का विरोध नहीं हुआ और आसपास के दुकानदार व लोग भी तमाशबीन बने रहे और अपराधियों ने दूसरी गोली भी मार दी और बैग लेकर पैदल ही निकल भागने में सफल रहे.

बूढ़े कंधों पर बैंक की सुरक्षा : बैंक के अंदर तीन सुरक्षाकर्मी तैनात हैं. लेकिन तीनों सुरक्षाकर्मियों की उम्र 50 वर्ष से अधिक है. एक सुरक्षाकर्मी निजी सिक्यूरिटी एजेंसी का है और अन्य दो होमगार्ड के जवान हैं. ये जवान राइफल लेकर कुछ दूरी तक भी दौड़ने लायक नहीं हैं.

बैंक के बाहर भी नहीं लगा था सीसीटीवी कैमरा
बैंक की लचर सुरक्षा व्यवस्था का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि वहां बाहर परिसर या मेन गेट के बाहर का दृश्य देखने के लिए कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था. अगर बैंक के बाहर सीसीटीवी कैमरा होता तो उसकी वीडियो फुटेज पुलिस के लिए काफी काम आती और अपराधियों को पकड़ने में काफी आसानी होती.

नहीं थी पत्रकार नगर थाने की जिप्सी
जिस स्थान पर घटना हुई, वहां दूर-दूर तक पत्रकार नगर थाने की जिप्सी नहीं थी. जबकि, जिस समय घटना हुई, उस समय केंद्रीय विद्यालय के छात्रों की छुट्टी होती है और बच्चों के स्कूल जाने व उनके घर लौटने के समय स्कूल के समीप पुलिस की जिप्सी के तैनात रहने का निर्देश वरीय पुलिस अधिकारियों को है.

किसी अपने ने निभायी है लाइनर की भूमिका
पैसों के बैंक में जमा करने की जानकारी किसी अपने को ही हो सकती है. उसी करीबी ने लाइनर की भूमिका को निभाया और अपराधियों को पुरुषोत्तम मिश्र के संबंध में पूरी जानकारी दी होगी. इसके साथ ही यह भी बताया होगा कि वह किसी समय पैसे लेकर फलां बैंक की ओर जायेंगे. सारी जानकारी मिलने के बाद अपराधियों ने इस घटना को अंजाम दिया.

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