बालू माफिया सुभाष को पुलिस व अन्य कई अफसरों का मिलता रहा सहयोग

अवैध खनन : डीआइजी की रिपोर्ट में राजद नेताओं से भी संबंध का खुलासा रिपोर्ट पर हुआ अमल तो खुलेंगे कई के राज पटना : जिस बालू माफिया सुभाष प्रसाद यादव ने एक ही दिन में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के तीन फ्लैट खरीदे हैं, उसे अवैध बालू खनन के कार्यों में पुलिस और प्रशासन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 10, 2017 6:54 AM
अवैध खनन : डीआइजी की रिपोर्ट में राजद नेताओं से भी संबंध का खुलासा
रिपोर्ट पर हुआ अमल तो खुलेंगे कई के राज
पटना : जिस बालू माफिया सुभाष प्रसाद यादव ने एक ही दिन में पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के तीन फ्लैट खरीदे हैं, उसे अवैध बालू खनन के कार्यों में पुलिस और प्रशासन के अधिकारी भी सहयोग करते रहे हैं.
सिर्फ पुलिस ही नहीं, माइंस और ट्रांसपोर्ट के अफसर भी उसके काले कारनामें की राह आसान बना रहे थे. यह तथ्य उस सरकारी रिपोर्ट में दर्ज है जिसे करीब छह माह पूर्व पटना के तत्कालीन डीआइजी शालीन ने पटना उच्च न्यायालय के निर्देश पर तैयार की थी. तत्कालीन डीआइजी ने यह रिपोर्ट इसी साल अप्रैल महीने में कोर्ट को सौंप दी है.
सूत्र बताते हैं कि डीआइजी की रिपोर्ट पर अभी भी अमल हुआ तो बालू माफिया को संरक्षण देने वाले राजनेता और अफसर गठजोड़ उजागर हो सकता है. पटना उच्च न्यायालय में चल रहे मामला सीडब्लयूजेसी 17809:2015 की सुनवाई के दौरान 17 फरवरी को तत्कालीन डीआइजी को बालू घाटों से खनन और इसमें लगे माफिया तत्वों की पहचान पर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया था.
कोर्ट के आदेश पर जांच हुई थी शुरू, पटना हाइकोर्ट में जमा है विस्तृत रिपोर्ट
डीआइजी ने स्थानीय पुलिस और माइंस के अधिकारियों के साथ बिहटा, मनेर, कुरजी और दीघा तथा भोजपुर के कई बालू घाटों का स्थल निरीक्षण किया. हालांकि, चार दिन बाद कोर्ट ने अपने आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी. पुन: अप्रैल महीने में कोर्ट ने रिपोर्ट सौंपने को कहा. सूत्रों के मुताबिक फिलहाल यह रिपोर्ट पटना हाइ कोर्ट में जमा है.
रिपोर्ट में बालू खनन को लेकर किस प्रकार सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ायी गयी है उसकी चर्चा विस्तार से की गयी है. रिपोर्ट में बालू माफिया के राजद के शीर्ष नेताओं से राजनीतिक कनेक्शन के भी सीधे संकेत दिये गये हैं.
सूत्र बताते हैं कि अपने चार दिनों की तहकीकात पर तैयार की गयी इस रिपोर्ट में कहा गया कि बालू माफिया सुभाष प्रसाद यादव के रिश्तों को लेकर पुलिस और माइंस के कनीय अधिकारी बंद कमरे में उसके आला अधिकारी और बड़े नेताओं से कनेक्शन की बात स्वीकारते हैं. रिपोर्ट में बालू माफिया के संबंधों और अवैध कारोबार की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सलाह भी दी गयी है.
रिपोर्ट में सुभाष प्रसाद यादव के सहयोगी के तौर पर राजद नेता पप्पू राय, विधायक अरुण यादव और विधान पार्षद राधाचरण सेठ के नाम की भी चर्चा है. सूत्रों के मुताबिक रिपोर्ट में पटना मेें तैनात कुछ आला पुलिस अधिकारियों के भी नाम लिये गये हैं जिनकी मिलीभगत से बालू माफिया का काला कारोबार चल रहा है. रिपोर्ट में पटना के बिहटा और मनेर में बालू उठाव का ठेका जिस ब्राडसन कंपनी को मिला है उसके डायरेक्टर सुभाष प्रसाद यादव के बड़े रसूखदारों से सीधे ताल्लुकात की बात कही गयी है.
तीन मीटर से अधिक नहीं करना था खनन कर दिया 10 मीटर
आम लोग, ग्रामीण तथा पुलिस
प्रशासन और मीडिया से मिली जानकारी के आधार पर तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने पटना जिले में मात्र 12 एकड़ जमीन में ही बालू खनन का पट्टा दिया है. लेकिन, इसके एवज में डेढ़ सौ हेक्टेयर से अधिक इलाके में बालू का अवैध रूप से खनन किया जा रहा है.
बिहार माइंस एंड मिनलरल्स कनशेसन अमेंडमेंट रूल्स 2014 के मुताबिक बालू खनन का कार्य अधिकतम तीन मीटर की गहरायी तक ही किया जा सकता है. लेकिन, प्रशासन और स्थानीय दबंग लोगों के सहयोग से बालू माफिया ने दस मीटर गहरे गढ़े बना डाले हैं. बालू खनन वाले क्षेत्र में मजदूरों के लिए न तो सैनिटेशन की व्यवस्था है और न ही पीने का पानी उपलब्ध है. जबकि, सरकारी प्रावधान के लिए यह अनिवार्य है. बालू चालान और ट्रक-ट्रैक्टरों पर ढुलाई होने के दौरान इसकी जांच के लिए कोई अधिकारी उपलब्ध नहीं होते.
पर्यावरण के लिए भी बन रहे खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक बालू से सोना बनाने में मशगूल माफिया ने जहां सरकारी राजस्व को बड़े पैमाने पर चूना लगाया. वहीं, पर्यावरण को लेकर भी भारी खतरा उत्पन्न कर दिया है.
स्थानीय लोगों से मिली जानकारी का हवाला देते हुए रिपोर्ट में इस बात की चर्चा है कि प्रतिदिन हजारों ट्रैक्टर और ट्रकों में भर कर बालू का अवैध खनन किया जा रहा है. इस कारण वहां हमेशा धूलकण हवा में उड़ते रहते हैं जो सांस के साथ फेफड़े में चले जाते हैं. इस कारण श्वास संबंधी कई तरह के रोगों की समस्या हो सकती है.

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