पटना: भ्रष्ट लोकसेवकों के खिलाफ की गयी कार्रवाई को लेकर लगभग ढाई घंटे तक चली विभागीय प्रमुखों की बैठक में मुख्य सचिव अशोक कुमार सिन्हा के तेवर तल्ख दिखे. चुनाव आयोग की बंदिश के बाद कार्रवाई में शिथिलता पर नाराजगी जाहिर करते हुए उन्होंने कहा कि कार्रवाई एक निरंतर प्रक्रिया है, इसमें शिथिलता बरदाश्त नहीं होगी. इससे संबंधित मामलों को जल्द निबटाया जाना चाहिए.
मुख्य सचिव ने अधिकारियों से कहा कि 2006 से लेकर अब तक के भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की निगरानी विभाग की सूची सभी विभागीय प्रमुखों को उपलब्ध करा दी गयी है.
संतोष की बात यह है कि अब तक 300 भ्रष्ट लोकसेवकों को सेवा से बरखास्त किया जा चुका है. 100 से अधिक आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई अंतिम चरण में है. कार्रवाई के मामले में स्वास्थ्य, शिक्षा व पीडब्ल्यूडी व ग्रामीण कार्य अव्वल है. ग्रामीण विकास, सहकारिता, पुलिस, खाद्य उपभोक्ता एवं संरक्षण विभाग, जल संसाधन जैसे विभागों में कार्रवाई की गति धीमी है. विधानसभा सचिवालय से भी कार्रवाई अपेक्षित है जो अब तक शुरू नहीं हुआ है. बैठक में सामान्य प्रशासन के प्रधान सचिव डॉ धर्मेद्र सिंह गंगवार, योजना एवं विकास के प्रधान सचिव विजय प्रकाश, स्वास्थ्य के प्रधान सचिव दीपक कुमार, गृह के प्रधान सचिव आमिर सुबहानी, निगरानी के प्रधान सचिव एसके नेगी, डीजी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो पीके ठाकुर, शिक्षा के प्रधान सचिव अमरजीत सिन्हा समेत कई अन्य विभागों के प्रमुख मौजूद थे.
बिचौलियों के खिलाफ चले अभियान
मुख्य सचिव ने निगरानी विभाग, आर्थिक अपराध इकाई जैसी एजेंसियों से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई में तेजी लाने को कहा है. जिला स्तर पर भी उड़नदस्ता गठित की गयी है. उसे गतिशील बनाने की जरूरत है. इसे प्राथमिकता दिया जाना है. निचले स्तर के कार्यालयों यथा प्रखंड व अंचल स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार व बिचौलियों के साम्राज्य को खत्म करने के लिए ऑपरेशन दलाल जैसी कार्रवाई पुलिस प्रशासन चलाये. अब वह विभागवार मामले की समीक्षा कर रहे हैं. चुनाव के दौरान काले धन के उपयोग को रोकने के लिए सघन जांच अभियान चलाया जाना चाहिए.