जदयू घोषणापत्र:निजी क्षेत्र में आरक्षण,महिलाओं को देंगे हक
पटना: लोकसभा चुनाव के लिए जदयू ने शनिवार को अपना घोषणापत्र जारी किया. प्रदेश कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में जारी घोषणापत्र में धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर किसी भी हाल में समझौता नहीं करने का दावा किया गया है. चार खंडों में बने घोषणापत्र के पहले […]
पटना: लोकसभा चुनाव के लिए जदयू ने शनिवार को अपना घोषणापत्र जारी किया. प्रदेश कार्यालय में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मौजूदगी में जारी घोषणापत्र में धर्मनिरपेक्षता के सवाल पर किसी भी हाल में समझौता नहीं करने का दावा किया गया है.
चार खंडों में बने घोषणापत्र के पहले खंड में वैकल्पिक दृष्टिकोण व दूसरे खंड में भाजपा से अलग होने के बाद सरकार की उपलब्धियों की चर्चा है. तीसरे खंड में गवर्नेंस की संघीय दृष्टि, तो चौथे और अंतिम खंड में राज्यों के लिए 25 चार्टर का जिक्र किया गया है. पार्टी ने बिहार के मतदाताओं से सभी 40 सीटों के लिए जनादेश मांगते हुए कहा है कि केंद्र में जदयू समर्थित सरकार बनी, तो निजी क्षेत्रों में भी अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े तबकों को आरक्षण दिया जायेगा. इसके अलावा बिहार के तर्ज पर अगड़ी जातियों के लिए सवर्ण आयोग का गठन किया जायेगा.
40 पन्नों के घोषणापत्र में बिहार की तरह राष्ट्रीय स्तर पर पंचायत और शहरी निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की गयी है. बिहार समेत सभी अल्प विकसित राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा देने और सांप्रदायिकता व भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति की बात कही गयी है. पार्टी ने बिहार मॉडल को देश के विकास के लिए बेहतर मॉडल मानते हुए इसे घोषणापत्र में जगह दी है. घोषणापत्र में राज्य सरकार की उपलब्धियों का भी जिक्र है.
घोषणापत्र जारी करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं को समाप्त कर राज्यों को अपने तरीके से योजनाएं शुरू करने का अवसर मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक ही नाप का जूता सबके पैरों में अटाने का काम केंद्र कर रहा है. यह ठीक नहीं है. वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर अभी राज्यों को 31 प्रतिशत राशि मिल रही है. जदयू राज्यों को इसकी जगह 50 फीसदी राशि देने के पक्ष में है. पार्टी ने प्रवासी मजदूरों को सुरक्षा के लिए प्रवासी मजदूर सुरक्षा कानून बनाने और उनकी सुरक्षा की जिम्मेवारी संबंधित राज्यों को सौंपने की बात कही है. मुख्यमंत्री ने सांप्रदायिकता को देश की एकता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया, वहीं भ्रष्टाचार को देश के विकास के लिए बड़ी बाधा करार दिया. गुड गवर्नेंस, पारदर्शिता और भ्रष्टाचारमुक्त प्रशासन का वादा किया गया है. मुख्यमंत्री ने डीएम और एसपी के साथ केंद्र की बैठकों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि केंद्र-राज्यों के संबंधों को नये सिरे से परिभाषित किया जाना चाहिए. अभी केंद्र चाहता है, तो कुछ राज्यों को विशेष मदद करता है और कुछ को नहीं. नयी व्यवस्था से समावेशी विकास होगा.
इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, जल संसाधन मंत्री विजय कुमार चौधरी, राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, अरुण कुमार श्रीवास्तव और मुख्यमंत्री के सांस्कृतिक सलाहकार पवन कुमार वर्मा भी मौजूद थे.
पांच बिंदुओं पर फोकस
1. अच्छी शासन व्यवस्था 2. सबको साथ लेकर चलनेवाला विकास 3. सांप्रदायिक सौहार्द 4.केंद्र-राज्य संबधों की पुनव्र्याख्या 5. कानून का राज