बाढ़ का दर्द : दाह-संस्कार के लिए न जमीन मिली, न लकड़ी, सीने पर पत्थर रख शव को पानी में बहाया

बाढ़ में घर गिरने से हुई थी परमेश्वर की मौत कमतौल (दरभंगा) : पिछले 15 अगस्त को आयी बाढ़ की बेहरमी ने ढढिया गांव के एक परिवार की खुशियां छीन लीं. बाढ़ की चपेट में आने से 17 अगस्त को घर गिरने से उसके नीचे दब कर परमेश्वर यादव की मृत्यु हो गयी. शव जलाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 22, 2017 7:19 AM
बाढ़ में घर गिरने से हुई थी परमेश्वर की मौत
कमतौल (दरभंगा) : पिछले 15 अगस्त को आयी बाढ़ की बेहरमी ने ढढिया गांव के एक परिवार की खुशियां छीन लीं. बाढ़ की चपेट में आने से 17 अगस्त को घर गिरने से उसके नीचे दब कर परमेश्वर यादव की मृत्यु हो गयी. शव जलाने की समस्या आ गयी. खिरोई नदी के किनारे स्थित श्मशान घाट अथाह पानी में डूबा है. घर के बाहर सड़क पर पानी की तेज धारा बह रही थी. आसपास सूखी जगह नहीं थी.
ऊपर से बाढ़ में शव जलाने के लए सूखी लकड़ी कहां से आये. कोई रास्ता नहीं देख परिजनों ने शव को पानी में बहाने का कठोर निर्णय लिया. पत्नी सोनावती देवी सीने पर पत्थर रखे आंखों से आंसू बहाते पति के शव को जल में प्रवाहित किये जाते देखती रही. जिसने जीवन भर सुरक्षा का भरोसा दिया था, वह छोड़ कर चला गया था.
विधि ने पति का अंतिम संस्कार भी रीति के अनुसार नहीं होने दिया. बाढ़ की विभीषिका ऐसी कि पांच दिन बाद भी श्राद्ध कर्म करने के लिए घर तथा आसपास सूखी जगह नहीं है. सोनावती खुद पति के अंतिम संस्कार के कर्म को पूरा कर रही है. सड़क किनारे क्रिया-कर्म किया जा रहा है.

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