सोम प्रकाश की विधायकी गयी

पटना: औरंगाबाद जिले के ओबरा से निर्दलीय विधायक सोम प्रकाश का निर्वाचन रद्द हो गया है. पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह के एकलपीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी नौकरी से सोम प्रकाश का इस्तीफा और विधानसभा चुनाव में उनके नामांकन की प्रक्रिया गलत थी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 26, 2014 7:57 AM

पटना: औरंगाबाद जिले के ओबरा से निर्दलीय विधायक सोम प्रकाश का निर्वाचन रद्द हो गया है. पटना हाइकोर्ट के न्यायाधीश नवनीति प्रसाद सिंह के एकलपीठ ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया. न्यायाधीश ने अपने फैसले में कहा कि सरकारी नौकरी से सोम प्रकाश का इस्तीफा और विधानसभा चुनाव में उनके नामांकन की प्रक्रिया गलत थी और नामांकन के समय वह लाभ के पद पर थे. इस फैसले के बाद ओबरा में दोबारा चुनाव कराने की संभावना बन गयी है.

सोम प्रकाश 1994 बैच के दारोगा थे. उन्होंने तीन नवंबर, 2010 को सरकारी सेवा से इस्तीफा दे दिया था और ओबरा विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ा. उन्होंने जदयू के प्रमोद सिंह चंद्रवंशी से महज 802 मतों से जीत हासिल की थी.

चुनाव बाद श्री चंद्रवंशी ने उनके खिलाफ चुनाव याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति नवनीति प्रसाद सिंह ने अपने फैसले में सोम प्रकाश के दारोगा पद से दिये गये इस्तीफे व उसकी स्वीकृति तक के सभी पहलुओं पर विशेष चर्चा की. तीन नवंबर, 2010 को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का अंतिम दिन था और इधर सोम प्रकाश का इस्तीफा मंजूर करने की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ायी गयी. फैसले के अनुसार, तीन नवंबर को सोम प्रकाश ने अपना इस्तीफा फतुहा की तत्कालीन एएसपी नताशा गुड़िया को दिया. एएसपी गुड़िया ने उन चल रही विभागीय कार्रवाई समाप्त कर चार पेजों की रिपोर्ट पटना के एसएसपी को भेज दी. एसएसपी ने उसी दिन इस रिपोर्ट पर विचार किया और सोम प्रकाश को दोषी पाते हुए उनके सर्विस रेकॉर्ड में दो ब्लैक स्पॉट सजा के तौर पर लगा कर इस्तीफे की स्वीकृति में आनेवाली तकनीकी पेच को दूर कर दिया. इसके बाद एसएसपी ने उनके इस्तीफे को पटना रेंज के डीआइजी को भेज दिया.

डीआइजी ने इसे चार नवंबर को स्वीकृत कर लिया. लेकिन, इसकी सूचना सोम प्रकाश को नहीं दी और बिना मांगे इसे औरंगाबाद के डीएम को फैक्स कर दिया. औरंगाबाद में उस दिन ओबरा के निर्वाची पदाधिकारी ने स्क्रूटनी के दौरान इस्तीफे की स्वीकृति के संबंध में सवाल उठाया. इसके जवाब में डीएम ने निर्वाची पदाधिकारी को इस्तीफे के फैक्स की प्रति सौंप दी. उनके नामांकन को स्वीकार कर लिया गया. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान अभूतपूर्व तेजी दिखायी गयी. इस प्रक्रिया में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया कि औरंगाबाद जिले में एक अन्य मामले में उन पर एक और विभागीय कार्रवाई चल रही है, जिसका संज्ञान न तो विभाग ने लिया और न सोम प्रकाश ने.

याचिकाकर्ता प्रमोद चंद्रवंशी के मुताबिक, सोम प्रकाश पर औरंगाबाद जिले में तैनाती के दौरान नौ विभागीय कार्रवाई चल रही थीं, जिनमें आठ मामले समाप्त हो गये थे. एक मामला ऐसा था, जिस पर तत्कालीन एसपी गणोश कुमार ने उन्हें नोटिस जारी किया था. सोम प्रकाश ने इस मामले की चर्चा अपने नामांकन पत्र में भी नहीं की थी, जबकि सुनवाई के दौरान उन्होंने माना कि उन पर विभागीय कार्रवाई चल रही थी, इसलिए उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया जा रहा था. अपने फैसले में कोर्ट ने इसे गलत प्रक्रिया माना है. कोर्ट ने कहा है कि चुनाव याचिका की सुनवाई के दौरान इस्तीफा व उसकी वैधानिकता से जुड़े सवाल पर विचार करना उसके अधिकार में है.

श्री चंद्रवंशी की ओर से वरीय अधिवक्ता एसके मंगलम ने बहस की, जबकि सोम प्रकाश अपने मुकदमे की खुद ही पैरवी कर रहे थे. सोम प्रकाश इस फैसले के खिलाफ 30 दिनों में सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकते हैं.

मैं कोर्ट के फैसले से काफी खुश हूं. यह आम जनता की जीत है. सोम प्रकाश सिंह ने गलत तरीके से नामांकन दाखिल कर जनादेश लिया था, जो आम जनता का अपमान था. जनता को दोबारा अपना जनप्रतिनिधि चुनने का मौका मिलने जा रहा है. लोगों का अपार समर्थन मेरे साथ है. दोबारा मैदान में आने पर सभी वर्गो का समर्थन मुङो मिलेगा.
प्रमोद सिंह चंद्रवंशी, याचिकाकर्ता व जदयू प्रत्याशी

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