शिक्षकों पर सख्ती: शिक्षा विभाग का कड़ा फैसला ठीक से पढ़ाओ या जाओ
पटना: राज्य के नियोजित शिक्षक अगर परफॉर्म नहीं करेंगे, तो उन्हें बरखास्त कर दिया जायेगा. शिक्षा विभाग स्कूल में अनियमित रूप से आने वाले और बच्चों को सही तरीके से नहीं पढ़ाने वाले शिक्षकों को हटाने तक की कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. शिक्षकों पर यह कार्रवाई समय सीमा के अंदर पाठय़क्रम पूरा […]
पटना: राज्य के नियोजित शिक्षक अगर परफॉर्म नहीं करेंगे, तो उन्हें बरखास्त कर दिया जायेगा. शिक्षा विभाग स्कूल में अनियमित रूप से आने वाले और बच्चों को सही तरीके से नहीं पढ़ाने वाले शिक्षकों को हटाने तक की कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है.
शिक्षकों पर यह कार्रवाई समय सीमा के अंदर पाठय़क्रम पूरा नहीं करने, स्कूल से लगातार गायब रहने और स्कूल में रहते हुए बच्चों को नहीं पढ़ाने पर की जायेगी. ऐसा होने पर उन्हें कर्तव्यहीनता और अनुशासनहीनता के आरोप में डिसमिस किया जा सकता है. इसकी पुष्टि प्राथमिक शिक्षा प्रभारी निदेशक सह संयुक्त निदेशक आर. एस. सिंह ने की है.
उन्होंने बताया कि स्कूलों में बच्चे-शिक्षक के साथ-साथ सारी सुविधाएं दी जा रही हैं. ऐसे में अगर शिक्षक बच्चों की लर्निग अच्छी नहीं कर सकते हैं तो उन्हें डिसमिस तक करने की कार्रवाई की जा सकती है. सूबे के पांच जिलों में निरीक्षण के दौरान मिली अनियमितताओं के बाद शिक्षा विभाग ऐसी कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. कई जगहों पर बिना सूचना के शिक्षक गायब पाये गये तो एक जगह तो बच्चों के अनुपात में स्कूल में शिक्षक ही ज्यादा हैं. कहीं मध्याह्न् भोजन योजना में गड़बड़ी तो कहीं स्कूल की बिल्डिंग बनाने में घपला की भी बात सामने आयी. पटना के पैमार घाट आवासीय स्कूल की नयी बिल्डिंग बनी थी, लेकिन ऊपर के फ्लोर के कमरों में दरार आ गयी है. यहां के प्रधानाध्यापक भी बदल गये हैं. ऐसे में विभाग ने तत्कालीन प्रधानाध्यापक व ठेकेदार पर एफआइआर करने का निर्देश दिया है. वहीं, गया जिले के डोभी में उत्क्रमित मध्य विद्यालय करमौनी की प्राचार्या पुष्पा कुमारी पर भी प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया गया है. उन पर बच्चों का गलत अटेंडेंस बनाकर मध्याह्न् भोजन योजना में गड़बड़ी करने का आरोप है.
घटाव व भाग भी नहीं दे सकते बच्चे
रिपोर्ट के अनुसार गणित में दो अंकों का घटाव करने वाले क्लास तीन के बच्चों की संख्या में भी कमी आयी है. 2010 में 44.3 फीसदी बच्चे इसका हल कर पाते थे, लेकिन 2013 में 27.7 फीसदी बच्चे ही इसे सोल्व कर पा रहे हैं. हालांकि एक से तीन अंकों का भाग हल करने में क्लास पांच के बच्चों में पिछले साल की तुलना में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन 2010 से यह काफी कम है. 2010 में 51.7 फीसदी, 2012 में 31.3 फीसदी और 2013 में 34.1 फीसदी हो गया है.
56 फीसदी बच्चों को अक्षर का ज्ञान नहीं
प्रथम संस्था की रिपोर्ट असर के अनुसार बिहार के सरकारी स्कूलों की पहली क्लास के 56.5 फीसदी बच्चों को अक्षर का ज्ञान नहीं है. जबकि 8.7 फीसदी बच्चे ही शब्द बता पाते हैं. सरकारी स्कूल के क्लास तीन में क्लास एक का पाठ (रिडिंग) करने वाले बच्चों की संख्या में भारी गिरावट आयी है. 2010 में जहां 44.9 फीसदी बच्चे रिडिंग कर सकते थे, वहीं 2013 में घटकर ये आंकड़ा 33.2 फीसदी हो गया है. वहीं 2010 में 58.4 फीसदी क्लास पांच के बच्चे क्लास दो का पाठ पढ़ सकते थे, लेकिन 2013 में ये आंकड़ा घटकर 43.9 फीसदी रह गया है. इसमें हर साल गिरावट दर्ज हो रही है.
सरकार की मंशा साफ नहीं
सरकार की कोशिश रहती है कि शिक्षक स्कूलों में नहीं पढ़ाएं. शिक्षकों से शैक्षणिक काम से ज्यादा अलग-अलग काम लिये जाते हैं. चुनाव में बीएलओ टीचर बनेगा, मध्याह्न् भोजन शिक्षक बनवायेग तो वे कसे परफॉर्म करेंगे. स्कूलों में शिक्षकों के परफॉर्म करने के लिए समय नहीं मिलता. शिक्षक गैर शैक्षणिक कामों से हटेंगे तभी यह संभव है. शिक्षक क्यों नहीं पढ़ायेंगे? उनकी नियुक्ति ही इसी के लिए हुई है, लेकिन उन्हें गैर शैक्षणिक कामों से हटाना होगा.
– केदार पांडेय, महासचिव बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ