गुजरात की सेहत ठीक करेगा बिहार

पटना: लोकसभा चुनाव के दौरान इन दिनों बिहार व गुजरात बार-बार चर्चा में हैं. कभी गुजरात मॉडल की चर्चा बिहार में होती है, तो कभी इस पर सवाल खड़े होते हैं. राजनीतिक चर्चाओं के बीच खबर है कि गुजरात की सेहत ठीक करने के लिए बिहार आगे आया है. बिहार में तैयार ब्लड प्लाज्मा से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 27, 2014 7:40 AM

पटना: लोकसभा चुनाव के दौरान इन दिनों बिहार व गुजरात बार-बार चर्चा में हैं. कभी गुजरात मॉडल की चर्चा बिहार में होती है, तो कभी इस पर सवाल खड़े होते हैं. राजनीतिक चर्चाओं के बीच खबर है कि गुजरात की सेहत ठीक करने के लिए बिहार आगे आया है.

बिहार में तैयार ब्लड प्लाज्मा से गुजरात के मरीजों का इलाज होगा. हाल ही में गुजरात की कंपनी इंटास फार्मा ने पीएमसीएच के ब्लड बैंक से प्लाज्मा खरीदा है. प्लाज्मा से यह कंपनी हीमोफीलिया पीड़ित मरीजों के लिए दवा तैयार करेगी.

बिहार में खून की मांग कम होने के बावजूद प्लाज्मा का उत्पादन ज्यादा हो गया है. इस कारण पीएमसीएच के ब्लड बैंक ने इसे बेचने का निर्णय लिया. स्वास्थ्य विभाग से अनुमति के बाद इसके लिए टेंडर निकाला गया. इसकी खरीद में कई कंपनियों ने रुचि दिखायी थी. रिलायंस कंपनी भी इस दौड़ में थी. लेकिन उसका रेट कम होने के कारण यह टेंडर नहीं मिला. सबसे ज्यादा बोली लगानेवाली अहमदाबाद की इंटास फार्मा कंपनी का चुनाव हुआ. कंपनी ने 1271 रुपये प्रति लीटर की दर से करीब 16 लाख रुपये कीमत की प्लाज्मा खरीदी है. इंटास फार्मा इस प्लाज्मा को कोरिया भेज कर दवा तैयार करेगी.

क्या है प्लाज्मा
कंपोनेंट सेपरेटर मशीन की मदद से एक यूनिट खून से कई तरह के कंपोनेंट निकाले जाते हैं. उसी में एक कंपोनेंट प्लाज्मा भी होता है. अन्य कंपोनेंट प्लेटलेट्स, पैक्ड सेल, क्रायो हैं. खून की मात्र का आधा प्रतिशत प्लाज्मा बनता है. जैसे 1000 मिली खून से लगभग 500 मिली प्लाज्मा बन जाता है. ब्लड बैंक के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ उपेन्द्र प्रसाद बताते हैं कि मेल और फीमेल में अलग-अलग प्लाज्मा की मात्र मिलती है. मर्द के 1000 मिली ब्लड से 55 प्रतिशत प्लाज्मा निकल जाता है. औरत के 1000 मिली ब्लड से 65 प्रतिशत प्लाज्मा बनता है.

इन बीमारियों का होता है इलाज
ब्लड प्लाज्मा से हीमोफीलिया पीड़ित मरीजों के लिए दवा बनती है. हीमोफीलिया मरीजों को फैक्टर आठ और फैक्टर नौ की जरूरत है. यह फैक्टर प्लाज्मा से ही तैयार किया जाता है. बर्न केस, लीवर की बीमारी और प्रोटीनीमिया एलब्यूमिन की कमीवाले मरीजों को भी प्लाज्मा की जरूरत होती है.

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