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परफॉर्मेंस बेस्ड होगी प्रोमोशन और पोस्टिंग

सभी थानों और जिलों को अलग से यह बताना पड़ेगा कि किस केस में हुई कितनी गिरफ्तारी पटना : राज्य में अपराध को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सभी स्तर के पुलिस पदाधिकारियों को पूरी संजिदगी से उठानी होगी. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या ढुलमूल रवैया बरतने का सीधा असर उनके परफॉर्मेंस पर पड़ेगा. […]

सभी थानों और जिलों को अलग से यह बताना पड़ेगा कि किस केस में हुई कितनी गिरफ्तारी
पटना : राज्य में अपराध को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी सभी स्तर के पुलिस पदाधिकारियों को पूरी संजिदगी से उठानी होगी. इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या ढुलमूल रवैया बरतने का सीधा असर उनके परफॉर्मेंस पर पड़ेगा. पुलिस मुख्यालय ने सूबे के सभी थाना से लेकर जिला स्तर के तमाम पदाधिकारियों को इसके लिए खासतौर से निर्देश जारी किया है.
इसके अनुसार, सभी थाना को अब यह स्पष्ट रूप से बताना पड़ेगा कि उनके यहां कब-कब कौन से जघन्य अपराध मसलन हत्या, लूट, रेप, अपहरण, एससी-एसटी अत्याचार जैसी अन्य घटनाएं हुईं और इन मामलों में कितनी तत्परता से एफआईआर दर्ज कर अपराधियों की गिरफ्तारी की गयी. किसी मामले में शामिल सभी अपराधियों की गिरफ्तारी हो पायी या नहीं.
इसी तरह से सभी जिलों को भी अपने यहां होने वाली घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी अपराधवार देनी होगी. जिला स्तर पर होने वाली क्राइम मीटिंग में भी इसी तरह से आंकड़े लिये जायेंगे और इसके आधार पर ही सभी गंभीर अपराध की समीक्षा की जायेगी. इसके आधार पर ही संबंधित जिलों के कप्तान से लेकर थानाध्यक्ष और दारोगा तक की पोस्टिंग और प्रोमोशन की प्रक्रिया को निर्धारित किया जायेगा.
भेजना होगा विस्तृत ब्योरा
नयी व्यवस्था में पुलिस पदाधिकारियों को यह बताना होगा कि उन्होंने किस अपराध खासकर बड़े अपराध में कितने समय में डायरी कोर्ट में प्रस्तुत की. अगर किसी बड़े अपराध में किसी गुनाहगार को तुरंत बेल मिल जाता है, तो इसकी भी गहन समीक्षा की जायेगी.
अगर लापरवाही पायी गयी, तो संबंधित पुलिस पदाधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. पुलिस मुख्यालय ने इसका पालन सभी जिलों को सख्ती से करने का आदेश दिया है. साथ ही जघन्य अपराधों की संख्या और इसमें गिरफ्तार हुए अपराधियों का विस्तृत ब्योरा भी प्रत्येक सप्ताह पुलिस मुख्यालय को भेजने के लिए कहा गया है.
पहले की क्राइम मीटिंग या समीक्षा के दौरान थाना से लेकर जिला स्तर तक सभी तरह के अपराधों में गिरफ्तार अपराधियों को एक साथ दिखा कर परफॉर्मेंस को बता दिया जाता था. इस तरह से अपराध के आंकड़ों की बाजीगरी के बदौलत गंभीर अपराधों की प्रवृत्ति उजागर नहीं हो पाती थी.
यह पता ही नहीं चल पाता था कि जघन्य अपराधों में बड़े या शातिर अपराधियों की गिरफ्तारी हुई या नहीं. कई थाना स्तर पर इसके लिए बड़े स्तर पर सेटिंग की बात भी कई मामले में सामने आयी है. छोटे अपराध करने वालों को आसानी से पकड़ कर जेल भेज दिया जाता था और कई थाना या जिला इसके बदौलत ही अपनी उपलब्धि को आंक लेते थे. अब इन बातों को ध्यान में रखते हुए थाना से लेकर जिला स्तर तक क्राइम को कंट्रोल करने के लिए दुरुस्त मॉनीटरिंग सिस्टम शुरू की गयी है.
अपराधियों की गिरफ्तारी तुरंत कर कार्रवाई करने के लिए सभी जिलों को निर्देश दिया गया है. इनका परफॉर्मेंस भी इसके आधार पर ही आंका जायेगा. अच्छा काम करने वालों को सम्मानित भी किया जायेगा, तो लापरवाह पुलिस पदाधिकारियों पर सख्त कार्रवाई भी होगी.

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